सभी चाहते हैं उनकी बनाई फिल्म या उनकी लिखी किताबों की बिक्री हो लेकिन जब किताब रिलीज़ होने वाली होती हैं तभी कुछ सच्ची बातें क्यों बताते हैं लेखक। जब ये सच्ची बातें उनकी जिंदगी में गुज़रती हो तभी उन्हें इन सबका जिक्र करना चाहिये। क्या यही सोच कर चुप हो जाते हैं कि जब हम बायोग्राफ़ी लिखेंगे तब इन बातों का ज़िक्र करेगें जिससे किताब की बिक्री में आसानी हो जाये। किताब बेचने की मजबूरी में ऐसी बीती बातों का जिक्र करना क्या अच्छा होता है जिससे कुछ लोगों का दिल दुखे।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
मंत्र मुग्ध कर देने वाली आवाज़ के धनी अमीन सयानी की यादें
91 साल की उम्र में अमीन सयानी जी का निधन हो गया। उनको हम देश का पहला आर जे भी कह सकते हैं। रेडियो सिलोन में गीतों का कार्यक्रम ब...
-
जग घुम्या, लौंग गवाचा, काला डोरिया जैसे सुपर हिट गानों की गायिका नेहा भसीन एक बार पुनः चर्चा में है अपने नए पंजाबी लोक गीत कुट ...
-
शहज़ादा- ए- ग़ज़ल जैज़िम शर्मा की नई ग़ज़ल एल्बम लफ्ज़ों के दरमियान। इसमें चार ग़ज़लें हैं। जिन्हे लिखा है दाग देहलवी, निदा फ़ाज़ली और जेपी ...
-
एडवांस बुकिंग अब शुरू हो चुकी है! 🤩 इस स्वतंत्रता दिवस, देखिए तारा सिंह की कहानी सहपरिवार। 💥 अभी बुक कीजिये अपने टिकिट्स। 🎟️ ...
No comments:
Post a Comment