Thursday, October 30, 2014

हिंदी फिल्म --- रोर- द टाइगर्स ऑफ द सुंदरबन्स

हिंदी फिल्म --- रोर- द टाइगर्स ऑफ द सुंदरबन्स 
रिलीज़ --- ३१ अक्टूबर 
निर्माता -- अबिस रिज़वी 
निर्देशक -- कमल सदाना  
लेखक -- कमल सदाना और अबिस रिज़वी 
कलाकार --- पुलकित जवाहर, प्रणय दीक्षित, अभिनव शुक्ला, अंचित कौर, नोरा फतेही,अंचित कौर, आरन चौधरी, सुब्रत दत्ता, मधु ,  वीरेन्द्र
सिंह गुमान 
संगीत ---- रमोना एरीना 

यह सुंदरवन पर बनी अपनी तरह की पहली फिल्म होगी। हाँ इससे पूर्व जंगल की थीम पर फिल्म 'काल'  भी बन चुकी है।

बेखुदी, यलगार , रंग जैसी फिल्मों में काम कर चुके अभिनेता कमल सदाना इस फिल्म से अब डायरेक्शन में किस्मत आजमाने के लिए तैयार है। अपनी इस फिल्म 'रोर- द टाइगर्स ऑफ द सुंदरबन्स' में  सुंदरवन के टाइगर्स का खौफ और उन्हें बचाने  की जद्दोजहद दिखा रहे हैं।


अभिनेता  अभिनव शुक्ला की बतौर मुख्य कलाकार यह  पहली बॉलीवुड मूवी है। अभिनव कई सारे टीवी सीरियल्स में काम कर चुके हैं। इनमें जर्सी नंबर 10, गीत, जाने क्या बात हुई, छोटी बहू, एक हजारों में मेरी बहना है,  हिटलर दीदी और बदलते रिश्ते की दास्तान शामिल हैं।   

उदय ( पुलकित जवाहर ) एक युवा फोटो पत्रकार सुंदरवन के जंगलों में अपने काम के सिलसिले में जाता है।  वो एक शिकारी के जाल में से एक सफेद बाघ के बच्चे  को बचाता है और उस बच्चे को अपने साथ ले  आता है। रात में  अपने बच्चे को ढूंढती हुई  रॉयल बंगाल शेरनी गांव में प्रवेश करती है. वह अपने शावक के खून  की गंध को सूंघती हुई उदय की झोपड़ी तक जा पहुँचती  है . लेकिन वहां उसे अपना बच्चा नही मिलता तो वह अपना गुस्सा उदय पर निकालती है  और उसे मार देती है और उसका शरीर  भी अपने साथ ही ले जाती है. 

अपने भाई उदय  के शरीर को ले जाने के लिए पंडित (अभिनव शुक्ला ) कमांडो टीम के कप्तान सुंदरवन में आता है। वह जंगल की वार्डन  (अंचित कौर ) के पास जाता है लेकिन वो उससे कहती है कि यह केस खत्म हो चुका है इसलिए जंगल में उसके भाई के शरीर को लाने के लिए पंडित के साथ कोई भी जायेगा ।  भावनात्मक रूप से दुखी गुस्से में पंडित खुद ही अकेले जंगल में जाने का फैसला करता है। इसके लिए वो अपनी कमांडो टीम को बुलाता है झुम्पा ( हिमारशा ) गाइड मधु (प्रणय दीक्षित ) को अपने साथ लेकर सफेद बाघिन को मारने के लिए जंगल जाता है। बाघिन को खोजते हुए वो सुंदरवन के दलदली गढ़ में पंहुच जाते हैं। 

 तेज और बुद्धिमान सफेद बाघिन न केवल उनसे खुद को बचाती है बल्कि उन्हंे अपने साथ अपने गढ़ में ले जाती है. एक शिकारी भीरा ( सुब्रत दत्ता ) अपने  उदेश्य  ले किये बाघिन को बचाता है.

क्या होता है आखिरी में क्या पंडित को अपने भाई उदय का शरीर मिल जाता है ? या पंडित भी अपने भाई की तरह बाघिन का शिकार बन जाता  है ?

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