महाराज साहेब ने बताया कि हम व्यसनमुक्त, पापमुक्त एवं प्रसादयुक्त बने। पाप दो प्रकार के हैं – कई पाप ऐसे हैं, जिनके पीछे हम पड़े हैं जैसे – हॉटल जाना, क्लब जाना वगैरह और कई पाप ऐसे है जो हमारे पीछे पड़े है – जैसे नारी को रसोईघर में कई पाप मजबूरन करने पड़ते है।
महाराज साहेब को एक पोस्ट कार्ड लिखना भी मुश्किल था उन्होंने ३००-३०० पुस्तकों पर अनेक विषयों पर विवेचन किया। गुरु के प्रति समर्पण भाव का यह जीता-जागता उदाहरण है।
पूज्यश्री ने बताया कि काटा, घाव और छोटी-सी चिंगारी को कभी छोटा मत समझना क्योंकि वह भयंकर स्वरुप हो सकती है इसी प्रकार किसी भी पाप को छोटा मत समझना।
शुद्धि और मुक्ति दिलाए वह ज्ञान है। चट्टान से पत्थर निकले वह product value (cost), पत्थर से प्रतिमा बने वह market value (price) है, लेकिन प्रतिमा से से शुभ भाव की उत्पति होना value है।
महाराज साहेब ने बताया कि मैं तो केवल कुरियर हूं। भगवान के वचनों की डिलीवरी करता हूं। जो सत्कार्य करता है उनकी अनुमोदना न करे तो भी सम्ययदर्शन को क्षति पहुंचती है।
आज प्रवचनसभा में मुरारीजी बापू आए थे। उन्होंने भी अपनी सरल शैली में श्रुत को महत्व दिया। उन्होंने कहा कि महाराजसाहेब मैं भी आपकी सारी पुस्तकें पढ़ता हूं और जो मेरे दिल को बातें छु जाती है वह मेरी कथा में जनता को बताता हूं।

अभिनेता रजनिश दुग्गल ने बताया कि साहित्य सत्कार समारोह में युवा पिढी के लिए ऊर्जा प्रदान करने का कार्य सपंन्न हुआ है और इस समारोह में आकर बहुत ही अच्छा लगा है।
गायिका स्वाती शर्मा ने कहा कि मैं अपने आपको बहुत भाग्यशाली समझती हूं कि इस तरह के धार्मिक और आध्यात्मिक कार्य में मुझे आने का अवसर मिला है। मुझे बहुत ही खुशी हुई है।
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