हमें ये समाचार मिला है की मुन्नवर भगत जिन्होंने "लाखों हैं यहाँ दिलवाले" फिल्म बनाई है, उनके साथ धोखाधड़ी हुई है। उनका एक सुपरमार्केट है मीरा रोड में जो बंद पड़ा है। उसे खरीदने के लिए नवल लूणाकरण चांडक और उसके कुछ लोग आये. इन्होने इनके प्रॉपर्टी के नकली कागज़ बनाकर एक नहीं बल्कि दो बैंक सिटी को ऑपरेटिव बैंक, परेल ब्रांच ४.५ करोड़ और कुर्ला नागरिक बैंक ३ करोड़ क़र्ज़ ले लिया। हमें तो ऐसा लगता है की बैंक के लोग भी इसमें मिले हुए हैं क्योंकि बिना पेपर चेक करके कोई बड़ी रकम कैसे दे सकता है। फिलहाल मास्टर माइंड को कुर्ला के वी बी पुलिस स्टेशन ने पकड़ लिया है। हम तो बस इतना चाहते हैं कि कानून से ये शातिर दिमाग वाले लोग छूट न पाये क्योंकि आम जनता का पैसा गया है।
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मैदान ने क्यों कोई झंडे नहीं गाड़े समझ नहीं आया जबकि यह बेहतरीन फिल्म है
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