मॉडल से अभिनेता बने रजनीश दुग्गल ने अपना फ़िल्मी सफर शुरू किया विक्रम भट्ट की फिल्म "१९२०" से। इस फिल्म के बाद उनकी जितनी भी फ़िल्में आयी लगभग एक जैसी ही थीं। लेकिन अब एक नयी फिल्म उनकी जल्दी ही रिलीज़ होने वाली है 'डायरेक्टर इश्क़ "नाम की , अपनी इस फिल्म के बारें में खुद रजनीश कहते हैं मेरी यह फिल्म उनकी पिछली सभी फिल्मों से जुदा है क्योंकि इस फिल्म में वो एक ठेठ बनारसी लड़के की भूमिका में है यह लड़का जो कि बी एच यू का लीडर है, दबंग है, किसी की भी नही सुनता है लेकिन जो कोई भी इसके पास आता है यह उसकी मदद करता है.
कभी "डेंजरस इश्क़" कभी "डायरेक्टर इश्क़" कुछ समझ नही बताइये कुछ इस बारें में ?
"डेंजरस इश्क़" एक थ्री डी फिल्म थी जिसमें चार जन्मों की कहानी थी जबकि 'डायरेक्टर इश्क़" में देसी लव स्टोरी है, एक फैमिली मनोरंजन है इस फिल्म में , बनारस शहर की इस प्रेम कहानी में बहुत ही सीधी सादी सी है।
"डायरेक्टर इश्क़" का क्या मतलब है ?
फिल्म में सबका अलग - अलग डायरेक्टर इश्क़ है फिल्म में , जैसे कि मेरे जैसे दबंग लड़के को जब किसी लड़की से पहली नज़र में प्यार हो जाता है तो वो है मेरा 'डायरेक्टर इश्क़। इसी तरह फिल्म का दूसरा नायक अर्जुन जब नायिका से मिलता है और उसे उससे प्यार हो जाता है तो वो हुआ उसका डायरेक्टर इश्क़।
हीरोइन का डायरेक्टर इश्क़ किससे होता है ?
यह जानने के लिये फिल्म के रिलीज़ का इंतज़ार करना पड़ेगा।
क्या वजह रही कि आपकी शुरूआती फ़िल्में एक सी ही थी ?
यही कि विक्रम भट्ट के साथ मेरा तीन फिल्मों का कॉन्ट्रेक्ट हुआ था। सबसे पहली आयी १९२०, फिर आयी डेंजरस इश्क़। ये दोनों ही हॉरर या पिछले जन्म की फ़िल्में थी। "लीला" फिल्म भी इसी तरह की फिल्म थी। लेकिन वो फिल्म इस कॉन्ट्रेक्ट का हिस्सा नही थी बस इत्तेफ़ाक़ से मिली मुझे यह फिल्म।
हमारी फिल्मों में सबकी इमेज बन जाती है कहीं ऐसा न हो आपकी भी इमेज ऐसी फिल्मों की बन जाये ?
देखिये वही इमेज बदलने के लिये मैंने यह फिल्म की है। इसके बाद आयेगी "बेईमान लव " फिर आयेगी उड़न छू , फिर ये लाल रंग तो इस साल में मेरी अलग - अलग जोनऱ की फ़िल्में आयेंगी।
आप मिस्टर इंडिया भी रहे हैं तो आपको लगता नही कि जिस तरह का आपका प्रोफाइल है आपको उस ग्रेड की फ़िल्में मिली ?
मेरे हिसाब से ग्रेड तय होता है कि आपने कितनी सफलता हासिल की , कई लोग तो ऐसे हैं इंडस्ट्री में जो कि बिना सफलता के भी ए ग्रेड बने हुए हैं। तो धीरे - धीरे मैं सीख रहा हूँ बिना फ़िल्मी बैक ग्राउंड के मेरे यहाँ तक पंहुचा हूँ तो मेरे लिये यह बहुत बड़ी बात है।