दक्षिण में करीब ४० फ़िल्में कर चुकी काजल अग्रवाल फिल्म "दो लफ़्ज़ों की कहानी" में अंधी युवती की भूमिका में हैं। वो बताती हैं कि " मैंने कुछ फ़िल्में देखी जिनमें हीरोइनें अंधी बनी थी , साथ ही मैं ब्लाइंड स्कूल केटीचर और छात्रों से मिली। मैंने सीखा कि ब्लाइंड लोग कैसे बातें करते महसूस करते हैं और उनसे मिलकर मुझे यह कहीं भी नहीं लगा कि वो दुखी हैं अगर वो देख नहीं पाते हैं तो । वैसे तो काजल की कई फिल्मों के हिंदीरीमेक बन चुकी हैं लेकिन वो चाहती हैं कि उनकी हिट फिल्म "मगाधीरा" का हिंदी रीमेक बने तो उसमें खुद काजल ही अभिनय करें। रणदीप के साथ काम करने में काजल को बहुत मज़ा आया। वैसे देखा जाये तो उन्होंनेअपना फ़िल्मी सफर फिल्म "क्यों हो गया न " से शुरू किया था लेकिन सिर्फ ३ मिनट की भूमिका थी इस फिल्म में उनकी। 
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मैदान ने क्यों कोई झंडे नहीं गाड़े समझ नहीं आया जबकि यह बेहतरीन फिल्म है
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