Thursday, April 21, 2016

हमारे यहाँ हास्य को कभी अच्छा अभिनय नहीं माना जाता -- वीर दास

 
स्टैंड अप कॉमेडियन और अभिनेता  वीर दास ने सन २००७ से २०१६ तक भले ही कुल १३ हिंदी फिल्मों में काम किया हो लेकिन उन्होंने करीब ३५ नाटकों, १०० कॉमेडी शो में काम किया है।  अभिनय करने के साथ - साथ वीर ने फेमिना , डी एन ए , मैक्सिम , एक्सोटिका और तहलका  आदि पत्र और पत्रिकाओं में हास्य लेख भी  लिखें है। वीर की एक के बाद करके कई फ़िल्में आने वाली हैं जिनमें संता बंता प्रा लि, शिवाय , 31 अक्टूबर, खन्ना पटेल प्रमुख हैं।  आज बॉलीवुड के बहुत सारे कलाकार हॉलीवुड में काम करके अपना नाम कमा रहे हैं उन्हीं की लाइन में वीर दास का नाम भी शामिल हो रहा है।  जल्दी ही वीर अमेरिकन कॉमेडी शो में  काम कर रहे हैं।  वीर से बातचीत हुई उनके अभिनय सफर को लेकर पेश हैं कुछ अंश --- 

 फिल्म "संता बंता प्रा लि" के बारें में बताइये ?
पूरी तरह से पारिवारिक हास्य फिल्म है।  यह ऐसी फिल्म है जिसे देख कर आप हँस - हँस कर लोट पोट हो जायेगें।  दो ऐसे लोगो की कहानी है जो कि पंजाब के एक छोटे से गाँव में  रहते हैं ,बहुत ही भोले भाले हैं , छुपा छुपी खेलते हैं और इस खेल के चैम्पियन हैं. दिल के बहुत साफ़ हैं खाना खाते हैं और मजे करते हैं। सरकार  इन दोनों को सीक्रेट एजेंट बना कर फ़िजी भेजती है जबकि  ये दोनों कभी अपने गाँव से बाहर भी नहीं गये और फिर जो कुछ इन दोनों के साथ होता है बस देखने लायक है। मैं बंता बना हूँ जबकि बमन संता की भूमिका में हैं। 
 जैसा आपने कहा यह हास्य फिल्म है तो  "संता बंता " के जोक्स तो नहीं हैं ?
फिल्म का नाम संता बंता है इसका मतलब यह नहीं है कि हमने दर्शकों को हँसाने के लिये उनके चुटकुलों का सहारा लिया है। नहीं - नहीं ऐसा बिलकुल भी नहीं है।  इस फिल्म में दो लोगों की कहानी है न कि जोक्स हैं , जब यह फिल्म बनाने की बात हुई थी तभी मैंने और बमन ने यह बिलकुल साफ़ कर लिया था कि संता बंता जैसे जोक्स हम बिलकुल नहीं रखेंगे इस फिल्म में। हमें बच्चों को भी थियेटर में लाना है इस फिल्म को देखने के लिये तो हमने कुछ अलग किया है। 

 हमारे यहाँ कॉमेडी का मतलब डबल मीनिंग संवाद ही रह गया है तो क्या इसमें भी ऐसा कुछ है ?
न न ऐसा कुछ नहीं है , ऐसे संवादों वाली फिल्म मैं "मस्तीजादे " कर चुका हूँ।  

 कितना मुश्किल  है लोगों को हंसाना ?
हमेशा मुश्किल होता है लोगों को हँसाना जबकि बहुत आसान है रुलाना।  लेकिन फिर भी हमारे यहाँ हंसाने को कभी भी अभिनय नहीं माना जाता । 

 "३१ अक्टूबर"  फिल्म के बारें में कुछ बताइये ?
बहुत गम्भीर फिल्म है, इन्दिरा गांधी जी की हत्या के बाद जो दंगे हुए थे उसी पर आधारित फिल्म है।  सिख किरदार  है मेरा। निर्देशक शिवाजी पाटिल जिन्हें मराठी  के लिये राष्ट्रीय अवार्ड मिला था ,उनकी पहली हिंदी फिल्म है सोहा अली मेरी पत्नी की भूमिका में हैं। दिल्ली , लुधियाना , चंडीगढ़  में शूटिंग हुई है। 

  आप फिल्म शिवाय भी कर रहे हैं जिसे अजय निर्देशित कर रहे हैं ?
जी हाँ शिवाय मेरे कॅरियर की  सबसे बड़ी फिल्म है। अभी तक मैंने ऐसी किसी भी फिल्म में काम नहीं  किया था. मैं एक पाकिस्तानी का किरदार अभिनीत कर रहा हूँ जो कि होप लेस रोमांटिक है. मैंने उर्दू बोली है इस फिल्म में ।  बहुत ही अच्छा रहा  अजय के साथ काम करना ।  

 आपने रोमांटिक , हास्य , गम्भीर, एक्शन सभी तरह की फ़िल्में कर ली अब किस तरह की फ़िल्में करना चाहते हैं ?
इतनी प्लानिंग करता तो मैं अभिनेता नहीं वकील बनता।  मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं फ़िल्में भी करूँगा। पहले एक सीन , फिर चार सीन,  फिर इससे कुछ आगे और अब मुख्य किरदार तो हर साल बॉलीवुड ने मुझे एक छोटा सा प्रोमोशन दिया है तो मुझे ऐसे ही प्रोमोशन मिलता रहे, बस।

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