Thursday, August 16, 2018

कहानी - हिंदी फिल्म -- गोल्ड

कहानी - हिंदी फिल्म -- गोल्ड 
रिलीज़ -- १५ अगस्त 
बैनर -- एक्सेल एंटरटेनमेन्ट 
निर्माता -- फ़रहान अख़्तर और रितेश सिधवानी 
निर्देशक -- रीमा कागती 
संवाद -- जावेद अख़्तर
कहानी -- रीमा कागती, राजेश देवराज 
पटकथा -- राजेश देवराज 
कलाकार -- अक्षय कुमार, मौनी रॉय, कुणाल कपूर, अमित साध,सनी कौशल, विनीत कुमार सिंह, निकिता दत्ता 
संगीत -- सचिन जिग़र, अर्को पर्वो मुखर्जी, तनिष्क बागची 
गीत -- जावेद अख़्तर,वायु,अर्को  
गायक - गायिका --  यासिर देसाई,विशाल डडलानी, दलेर मेहँदी, सचिन- जिग़र, मोनाली ठाकुर,के के,दिव्या कुमार, सुखविंदर सिंह,फ़रहाद भिवण्डीवाला, शाशा तिरुपति।              

अरमान,वैनटी फेयर,लगान, दिल चाहता है, लक्ष्य , जिंदगी न मिलेगी दोबारा आदि फिल्मों  में  सहायक निर्देशक के रूप में काम चुकी रीमा कागती की  बतौर स्वतंत्र निर्देशक पहली फिल्म थी  २००६ में रिलीज हुई फिल्म " हनीमून ट्रेवल्स प्रा लिमि। इसके बाद २०१६ में आयी फिल्म "तलाश ". फिल्म "गोल्ड " उनकी तीसरी फिल्म है। २०१७ में अक्षय कुमार की फिल्म आयी "टॉयलेट : एक प्रेम कथा , इससे पहले रुस्तम, एयरलिफ़्ट, ओ एम जी, हाउसफुल- २ आदि अनेकों फ़िल्में आयी हैं जिन्हें दर्शकों ने बहुत पसंद किया है। 

फिल्मों में बैक ग्रॉउंड डाँसर के रूप में काम कर चुकी मौनी रॉय इस फिल्म "गोल्ड " में मुख्य अभिनेत्री के तौर में काम कर रही हैं।  मौनी ने २००७ में "क्योंकि सास भी कभी बहू थी " से अपना अभिनय सफर शुरू किया। इसके बाद इन्होने कस्तूरी, दो सहेलियाँ , श्श्श्श कोई है ,देवों के देव महादेव ,नागिन के अलावा अनेकों रियल्टी शो में काम किया है.

अभिनेता कुणाल कपूर ने २००५ में " मीनाक्षी : ए टेल ऑफ़ थ्री सिटीज " से अपने अभिनय की शुरुआत की।  इसके बाद  कुणाल की  रंग दे बसंती ,आजा नच ले, लागा चुनरी में दाग़ , बचना ए हसीनों ,वेलकम टू सज्जनपुर, डॉन - २,लम्हा , लव शव ते चिकन खुराना आदि अनेकों फ़िल्में आयी हैं। 

सच्ची घटनाओं से प्रेरित फिल्म "गोल्ड " की कहानी है  --  जज़्बे की, देश के लिए कुछ कर गुजरने के जूनून की. 
१९४८ -- लंदन ओलंपिक द्वितीय विश्व युद्ध के बाद आयोजित होने वाला पहला ओलंपिक था। इससे पहले १९३६ में बर्लिन में ओलम्पिक हुआ था।  12 साल के अंतराल के बाद आयोजित होने वाले  इस ओलंपिक को लेकर क्या देशवासी , क्या खिलाड़ियों सभी में गज़ब का उत्साह था। क्योंकि आज़ादी के बाद यह पहला ही ओलम्पिक था जिसमें स्वतंत्र भारतीय टीम हिस्सा लेने वाली थी। इससे पहले ब्रिटिश इंडिया के झंडे तले हॉकी में भारतीय टीम विजेता बनी थी। अब देश आज़ाद हो चुका था लेकिन टीम के वरिष्ठ खिलाड़ी किसी न किसी वजह से हॉकी खेलना छोड़ चुके थे। ऐसे में फिर से उसी उम्दा टीम के उम्दा खिलाड़ियों को एक जुट करने का जिम्मा उठाता है १९३६ के बर्लिन ओलम्पिक में हिस्सा ले चुकी  ब्रिटिश इंडिया की विजेता टीम का मैनेजर और खिलाड़ी तपन दास ( अक्षय कुमार ) . तपन दास के समझाने पर रघुवीर प्रताप सिंह ( अमित साध ) इम्तियाज़ शाह ( विनीत कुमार सिंह ) हिम्मत सिंह ( सनी कौशल ) आदि पुराने खिलाड़ी भी अंग्रेजों से २०० साल की ग़ुलामी का बदला लेने के लिये हॉकी टीम में खेलने के लिए तैयार हो जाते हैं। एक के बाद एक करके ऑस्ट्रिया, ऑस्ट्रेलिया,अर्जेंटीना , हॉलैंड,और ब्रिटेन आदि सभी टीमों को पछाड़ती हुई  स्वतंत्र भारत की हॉकी टीम  अपना पहला स्वर्ण पदक जीत कर फहरते हुए तिरँगे के नीचे अपना राष्ट्र गान गाती  हैं। यही इस फिल्म में दिखाया है।    
 

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