Wednesday, July 13, 2016

मैं मस्ती का ज्यादा बड़ा फैन हूँ बजाय ग्रेट ग्रैंड मस्ती के -- विवेक ओबेरॉय

विवेक ओबेरॉय अभी चर्चित हैं क्योंकि उनकी "मस्ती" सीरीज़ की तीसरी फिल्म "ग्रेट ग्रैंड मस्ती " रिलीज़ हो रही है।  हालांकि यह फिल्म ऑनलाइन लीक हो चुकी हैं लेकिन फिर भी विवेक बहुत उत्साहित हैं अपनी इस फिल्म को लेकर।  उनका कहना इस फिल्म के प्रोमो भी दर्शकों ने खूब पसंद किये हैं। उनका कहना है कि इस फिल्म के लगभग हर गीत को दर्शकों ने यू ट्यूब पर खूब देखा हैं. ९ मिलियन हिट्स मिले हैं "रेशम का रुमाल  वाले गाने को।" 

"ग्रैंड मस्ती " ने १०० करोड़ से ज्यादा कमाई की थी अब विवेक उम्मीद करते हैं कि उनकी इस फिल्म को करीब २०० करोड़ तो कमाने ही चाहिये।  पिछली फिल्म की सफलता के बारें में बात करते हुए वो कहते हैं हालाँकि पिछली फिल्म ने बहुत सफलता हासिल की थी। लेकिन मैं  मस्ती का ज्यादा बड़ा फैन हूँ बजाय ग्रेट ग्रैंड मस्ती के। क्योंकि उस फिल्म की बात ही कुछ और है।  जबकि मैं  उस फिल्म को करते समय बहुत कम्फ़र्टेबल नहीं था।  मेरी पहली हास्य फिल्म थी "मस्ती" . "मस्ती "फिल्म से पहले मैंने गंभीर अभिनय ही ज्यादा किया था। मेरे लिए पहली मस्ती बहुत मुश्किल थी।  कोई अच्छा पंच होता था तो मैं इंदु जी कहता था यह मुझ  पर वेस्ट मत करो।  मुझे झिझक होती थी अजीब - अजीब मुंह बनाने में। लेकिन अब मेरे साथ ऐसा नहीं है।   

मुझे कॉमेडी बहुत मुश्किल लगती है अगर मुझे बोला जाये कि  "मस्ती"  टीम से अलग दूसरी टीम के साथ कॉमेडी करनी है  तो मेरे बस की नहीं है  और इस सबका सारा श्रेय इंदु जी को ही जाता है. सारे के सारे सीन चाहे लड़की हो या लड़के के सबके सब पहले इंदु जी करके दिखाते हैं हम उसे ही कॉपी करने की कोशिश करते हैं।"

फिल्म की कहानी के बारें में विवेक बताते हैं ," फिल्म में तीन मुस्टंडे हैं अपनी बीवियों को छोड़ कर चले हैं मस्ती करने लड़की की तलाश में। मिलती भी है उन्हें खूबसूरत लड़की लेकिन वो भूत निकलती हैं फिर मज़ेदार घटनायें शुरू होती हैं। जब पता चलता है लड़की भूत है जो भी भूत के साथ जायेगा वो ऊपर जायेगा ऐसे में तीनों दोस्त अपनी जान बचाने के लिये एक दूसरे की बलि चढ़ाने के लिये भी तैयार हो जाते हैं।"

एक तरफ "ग्रैंड मस्ती" की सफलता और दूसरी ओर "कृष" की सफलता आप किसे बड़ा समझते हैं  ? "मेरे लिए दोनों ही फिल्मों की सफलता एक समान है बस सीरियस परफॉर्मेंस में सम्मान ज्यादा  मिलता है। " 

सुना आपका बेटा बहुत ही सेंसेटिव है जानवरों को लेकर ? "जी हाँ उसे यह सब उसके दादा जी ही  सिखा रहे हैं।  गऊ माता को रोटी खिलाना हो, कौए को रोटी खिलाना हो , मंदिर जाना हो सब पापा सिखाते हैं उसे." 

आप जहां एक ओर मस्ती जैसी फ़िल्में कर रहे हैं वहीं दूसरी ओर आप गाँव गोद लेकर समाज सेवा भी कर रहे हैं ? अभिनय मैं परदे पर करता हूँ ,

समाज के लिए  मैं जो कुछ भी करता हूँ अपने मन के लिये।"
 

No comments:

Post a Comment

मैदान ने क्यों कोई झंडे नहीं गाड़े समझ नहीं आया जबकि यह बेहतरीन फिल्म है

  कल  मैने प्राइम विडियो पर प्रसारित निर्देशक अमित रविंद्रनाथ शर्मा और अभिनेता अजय देवगन की फिल्म "मैदान" देखी। अजय देवगन की यह फि...