हालाँकि हरफन मौला अदाकार प्रशांत नारायण ने विभिन्न्न प्रकार की फिल्मों में अलग अलग किस्म के रोल किये हैं मगर जब भी उन्होंने तुच्छ और नीच किस्म के नकारात्मक किरदार निभाए हैं उन्हें समीक्षकों की प्रशंसा प्राप्त हुई है। क्योंकि उन्हें निगेटिव शेड्स वाले किरदार निभाना आसान प्रतीत होता है। जब उनसे पूछा जाता है कि वह एक बार फिर बड़ा डरावना चरित्र प्ले कर रहे हैं तो वह कहते हैं "फ्रेडरिक"एक बहुत ही विशेष फिल्म है। मेरा किरदार बड़ा हिंसक है मगर उस भूमिका में एक गहराई है। गुस्सा भरी उसकी प्रतिक्रिया खतरनाक है। "
पहली बार निर्देशक बने राजेश बुटालिया के साथ काम करने में वह बिलकुल नहीं हिचकिचाए "फिल्म के सेट पर एक उम्दा एनर्जी थी। नए डायरेक्टर्स के बारे में मुझे यह बात बेहद पसंद है कि वह सेट पर फिक्स धारणाओं के साथ नहीं आते। राजेश की सोच इस मामले में एकदम साफ़ थी कि वह चाहते क्या हैं?बतौर निर्देशक उन्होंने फिल्म में ताज़गी लाइ है।
प्रशांत फिल्म के संगीत से भी बेहद खुश हैं जिसकी बेहद तारीफ हो रही है.केके द्वारा गाया गीत "वक्त गया थम"उनका पसंदीदा नगमा है। "मैं मानता हूँ कि यह गीत बहुत खूबसूरत है। इस गीत को लिखा है फिल्म के निर्देशक राजेश बुटालिया ने और संजय बोस ने इसे कम्पोज़ किया है। यह गीत मुझे इतना अच्छा लगा कि मैंने अपने निर्देशक पर दबाव डाला कि वह यह गीत मुझ पर फिल्माएं।
थिएटर बैकग्राउंड से आने की वजह से वह नए लोगों के साथ काम करने को लर्निंग एक्सपीरिएंस मानते हैं क्योंकि नए चेहरे बड़े आत्मविश्वास के साथ परफॉर्म करते हैं और इस फिल्म में नई प्रतिभाओं ने भी यादगार अभिनय किया है।
"मैंने अलग अलग फिल्मों में भिन्न भिन्न प्रकार के रोल किये हैं लेकिन "फ्रेडरिक"में वास्तव में बहुत कुछ नया और अलग है। आप "फ्रेड्रिक "से निराश नहीं होंगे"प्रशांत अपनी बात पूरी करते हैं।
निर्माता मनीष कलारिया और निर्देशक राजेश बुटालिया की फिल्म "फ्रेड्रिक "२७ मई को पूरे देश में रिलीज़ हो रही है जिसमे प्रशांत नारायण के साथ नए चेहरे अविनाश ध्यानी और तुलना बुटालिया ने अभिनय किया है।
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