Thursday, May 5, 2016

मैं बहुत कूल डैड हूँ - अरविन्द स्वामी




रोज़ा और बॉम्बे फेम अभिनेता अरविन्द स्वामी तो सभी को याद होंगे। उन्होंने एक से बढ़कर फ़िल्में दर्शकों को दी हैं।  आज भी ४५ साल की उम्र में अरविन्द उतने ही आकर्षक लगते हैं जितने वो जब १९  साल के थे और दर्शकों ने उन्हें तू ही रे और कुची कुची रकमा गीत गाते देखा था।  अब करीब १५ साल के बाद फिर वो निर्देशक तनुज भ्रामर की हिंदी फिल्म "डियर डैड " में दर्शकों को दिखाई देंगे।  इस फिल्म में  वो पिता  की भूमिका में हैं फिल्म की पूरी कहानी उनके ही इर्द गिर्द है। उनसे मुलाकात हुई उनकी इसी फिल्म को लेकर -----

इतने साल वापसी फिल्मों में और वो भी डैड की भूमिका में ?
जहाँ तक आपको याद हो तो मैं फिल्म "बॉम्बे " में भी दो बच्चों का पिता था।  जबकि असली जिंदगी में पिता नहीं था, अब तो मैं असली जिंदगी में भी पिता हूँ तो मुझे मज़ा आया इस फिल्म "डियर डैड "  करके क्योंकि बहुत कुछ मेरी असली जिंदगी के अनुभव भी हैं फिल्म में।  

  कैसे डैड बने हैं इस फिल्म में ?
 आज के डैड तो बहुत कूल होते हैं मैं भी फिल्म में और परदे पर ऐसा ही हूँ। 

क्या आपके पिता भी ऐसे ही कूल थे ? 
वो ज़माना कुछ और था,  आज का समय बदल चुका है. हम तो अपने पिता का सामना करने से भी डरते थे उनकी किसी भी बात को मना करने की हिम्मत भी नहीं होती थी जबकि आज ऐसा नहीं है।

इतने साल फिल्मों से दूरी की वजह ?
 मैंने १९ साल की उम्र में ही अभिनय की दुनिया में कदम रख लिया था और मुझे कामयाबी भी मिल गयी थी।  इतनी जल्दी मिली इस कामयाबी को मैं समझ नहीं पाया। इसलिए मैंने फिल्मों से दूर रहने का फैसला किया  और अपने व्यापार और  परिवार में व्यस्त हो गया।  अपने बच्चों का बढ़ा होते हुए देखा।  
७ साल पहले मेरे साथ दुर्घटना हुई जिससे मैं बिस्तर पर ही रहता था यहाँ तक की बाथरूम तक भी नहीं चल सकता था. फिर मैंने योग किया , मेडिटेशन किया और मैंने मैराथन में हिस्सा लिया।  इसके बाद २०१३ में मैंने मणिरत्नम के साथ तमिल फिल्म "कादल " की जो बहुत सफल रही और इसी दौरान मुझे इस फिल्म का ऑफर मिला और आज मैं बहुत खुश हूँ कि फिर से मैं अपने परिवार और चाहने वालों के बीच हूँ.

  निर्देशक तनुज भ्रामर के साथ काम करना कैसा रहा ?
अच्छा रहा तनुज की पहली ही हिंदी फिल्म है लेकिन इसके बावजूद उसने अच्छी फिल्म बनाई है विषय भी बहुत ही अच्छा चुना है ।  यह फिल्म रिश्तों पर आधारित है अक्सर हम माँ बेटे के बीच ही अच्छा रिश्ता दिखाते हैं जबकि उसने "डियर डैड " में पिता और पुत्र के बीच रिश्ता दिखाया है। 

इस फिल्म के बाद भी आप लगातार फ़िल्में करेगें या पिछली बार की तरह फिर गायब ?
नहीं - नहीं गायब होने इरादा कोई नहीं है , उस समय मैं स्टारडम को समझ नहीं  सका था। 

निर्देशन के बारें में सोचा है ?
हाँ बिलकुल कुछ स्क्रिप्ट पढ़ी हैं मैंने। जल्दी ही आपको इस बारें में भी पता चलेगा। 

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