
फिर अगर फिल्म में गालियाँ भी हैं तो क्या बात है क्योंकि जिस #उपन्यास "काशी का अस्सी " पर यह फिल्म आधारित बताई जा रही है उसमें भी भरपूर गालियां ( अरे नहीं नहीं बनारस की लोकप्रिय संस्कृति कहा जाता है उसे तो ) हैं तो फिर फिल्म में भी यही सब हो तो क्या बुराई है। वैसे भी आजकल तो जिसमें जितनी गालियाँ हो तो बस समझो वो हिट है।

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