हिंदी फिल्म - टेक इज़ इजी
बैनर --- फ़िल्मी बॉक्स मूवीज और प्रिंस प्रोडक्शन
निर्माता -- नरेन्द्र सिंह और धर्मेश पंडित
निर्देशक और लेखक -- सुनील प्रेम व्यास
कलाकार --- विक्रम गोखले , दीपानिता शर्मा ,राज जुत्शी , अनंग देसाई , जॉय सेनगुप्ता , सुलभा आर्या,विजय कश्यप , सुप्रिया कार्णिक और ज्योति गाबा ।
निर्देशक सुनील प्रेम व्यास ने ही दर्पण थियेटर और सिने आर्ट्स को स्थापित किया है। इन्होने इप्टा , संगीत कला केंद्र और भूमिका जैसी थियेटर कंपनियों के साथ भी काम किया है। नाट्य शाला और नाट्य भूमि जैसी उर्दू अकेडमी से भी जुड़े रहे। रोशन तनेजा से डिप्लोमा से ट्रेनिंग भी ली. लेखक और निर्देशक सुनील ने कई नाटकों में भी अभिनय किया। कई टी वी धारावाहिकों और फिल्मों को भी निर्देशित किया।
अभिनेता विक्रम गोखले ,राज जुत्शी , अनंग देसाई , जॉय सेनगुप्ता , सुलभा आर्या,विजय कश्यप , सुप्रिया कार्णिक और ज्योति गाबा आदि सभी कलाकार बहुत ही बेहतरीन हैं। अधिकतर सभी कलाकारों ने बड़े परदे के साथ छोटे परदे पर अपने सशक्त अभिनय छाप छोड़ी है
"टेक इज़ इजी " की कहानी जुड़ी है हर परिवार से , हरेक पिता - पुत्र से और लगभग आज के हर बच्चे और उसके माता - पिता से। भोले भाले बच्चों के सपनों और माता पिता के सपनों से जुड़ी कहानी है।
१० और १२ साल के अजय और रघु दो दोेस्तों का भावनात्मक सफर है इस फिल्म में , कैसे उनके बीच की दोस्ती होती है और फिर यही दोस्ती जलन और बाद में एक दूसरे से जीतने की होड़ में तब्दील हो जाती है। कैसे उनके बीच जो दोस्ती का प्यारा सा रिश्ता होता है जिंदगी में आगे बढ़ने ,प्रतियोगिता जीतने , अव्वल आने की चाह में पीछे छूट जाता है। इन दो दोस्तों के माध्यम से निर्देशक ने पूरे समाज, माता पिता और शैक्षिक संरचना को एक सन्देश देने की कोशिश की है।
क्योंकि जिस तरह आज के दौर में ८ और ९ कक्षा के विद्यार्थी आत्म हत्या जैसा कदम उठा रहे हैं वो सही नही हैं। आज बच्चों के ऊपर माता पिता और समाज का बहुत ही दवाब है कि उन्हें कुछ भी करके ९० % से ज्यादा नंबर लाने हैं परीक्षा में।
फिल्म में निर्देशक ने यह भी संदेश दिया है कि कैसे हम आज बच्चों को एक अच्छा डॉक्टर और इंजीनियर बनने से पहले एक अच्छा इंसान बनने की प्रेरणा दे सकते हैं।
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