हिंदी फिल्म -- फिल्मीस्तान
कलाकार - शारिब हाशमी, इनामुलहक और कुमुद मिश्रा।
निर्देशक -- नितिन कक्कड़
संगीतकार -- अरिजीत दत्ता
आज हम सब के बीच फिल्म फिल्मीस्तान की जोरों से चर्चा है जबकि जब सन २०१२ में इस फिल्म को राष्ट्रीय पुरुस्कारों के साथ - साथ कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरूस्कार मिले थे तब किसी ने इस फिल्म की चर्चा नही की थी. छोटे बजट की फिल्मों को अक्सर यह मार झेलनी पड़ती है चाहे फिल्म अच्छी ही लेकिन फिल्मों की वितरक मिलने में मुश्किल होती है.
यह फिल्म भारत-पाकिस्तान के रिश्तों को एक नए अंदाज़ में पेश करती है. निर्देशक नितिन कक्कड़ ने अनोखे अंदाज में दोनों देशों को करीब दिखाने की एक अच्छी कोशिश की है।
सनी अरोड़ा एक्टर बनना चाहता है। एक्टिंग में सही मौका नहीं मिलने पर वह कुछ समय के लिए एक अमेरिकी फिल्म मंडली का सहायक बन जाता है। राजस्थान के सीमांत पर शूटिंग के दरम्यान सनी का अपहरण हो जाता है। पाकिस्तानी आतंकवादी उसे अमेरिकी समझ कर उठा ले जाते हैं। इसी दौरान सनी की मुलाकात आफताब से हो जाती है। आफताब हिंदी फिल्मों की पायरेटेड डीवीडी का धंधा करता है। हिंदी फिल्मों के दीवाने आफताब और सनी के बीच दोस्ती होती है। हिंदी फिल्मों के स्टार, संवाद और संगत में दोनों की दोस्ती गाढ़ी होती है। सनी अपने बेफिक्र और निर्भीक मासूमियत से आतंकवादी सरगना महमूद को छेड़ता रहता है। वे फिल्मों की इस दीवानगी और समानता से असमंजस में रहते हैं।
शारिब हाशमी (सनी अरोड़ा) और इनामुल हक (आफताब) ने अपने किरदारोको सादगी और ईमानदारी के साथ पे श किया है। आतंकवादी सरगना महमूद बने कुमुद मिश्रा ने भी अच्छा अभिनय किया है.
अभी तक हमने दोनों देशो के बीच लाइन ऑफ़ कंट्रोल पर फायरिंग गोली बारूद पर बनी फ़िल्में ही देखी हैं लेकिन यह फिल्म दर्शकों को एक अलग ही दुनिया में ले जायेगी।
फिल्म 'फिल्मीस्तान' उन दर्शकों को बेहद पसंद आएगी जिनके जीवन में बस दो माँ ही सबसे ज्यादा महत्व रखती हैं अपनी माँ और सिनेमा।
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