Thursday, July 31, 2014

हिंदी फिल्म -- डी गैंग्स ऑफ़ मुंबई

हिंदी फिल्म --  डी गैंग्स ऑफ़ मुंबई
रिलीज़ – १ अगस्त
बैनर – एन स्क्रीन इमोशन्स प्रा लि मि    
निर्माता – चन्द्र शेखर शेट्टी
निर्देशक – विल्फ्रेड लोबो और राजीव रंजन दास
लेखक  -- अभय चौधरी
संगीतकार – लियाकत अजमेरी

कलाकार – संजय कपूर, आर्य बब्बर, महिमा चौधरी, ओम पुरी, मुकेश तिवारी और अन्य भी.
जैसा कि नाम से ही पता चल रहा है ‘डी गैंग्स ऑफ़ मुंबई’ अंडर वर्ल्ड डॉन  दाउद के जीवन पर बनी एक और फिल्म. इससे पहले कई फिल्मे उसके जीवन पर बनी. अधिकतर सफल रही. जिनमें कंपनी, डी, वन्स अपॉन ए टाइम इन मुंबई, रिस्क, शूट आउट वडाला,  डी डे, वन्स अपॉन ए टाइम इन मुंबई दोबारा आदि प्रमुख हैं.

अवि (संजय कपूर ) और शिवा (आर्य बब्बर ) मुंबई शहर के रहने वाले दो लोग जो कि अपने अपराधों की वजह से पूरे मुंबई में जाने जाते हैं. ये दोनों गैंगस्टर अनेकों निर्दोषों की हत्या के दोषी हैं. लगातार हो रही हत्याओं के बाद मुम्बई पुलिस जागती है और अब उसे ये दोनों ही जिन्दा या मुर्दा हर हाल में चाहिये. ए सी पी हेमन्त जोग ( सुशील सिंह) को इन दोनों को पकड़ने का जिम्मा सौपां जाता है. ए सी पी की    अपराधियों से निपटने के बारे में एक नयी सोच और दूरदर्शी अवधारणा है उसका सोचना है कि एक बार अपराधियों को भी सुधरने का अवसर देना चाहिये और इसके लिए वो उच्च अधिकारियों से अनुमति प्राप्त कर लेता है.  वह उनको जेल से निकाल कर ऐसी नयी जगह ले जाता है जहाँ हिंसा नहीं है, जहाँ कोई उन्हें पकड नहीं रहा. एक नयी जिन्दगी की शुरुआत करते हैं दोनों ही. अवि अपनी पत्नी (महिमा चौधरी) और बेटे के साथ साधारण जीवन बिता कर बहुत ही खुश है. यूं ही दिन गुज़रते हैं एक दिन अवि को एसीपी हेमंत जोग की मौत की बहुत ही बुरी खबर मिलती है एसीपी हेमंत जोग उनके जीवन का रक्षक था,  अब क्या होगा उनके साथ उसे यही चिंता सताती है. पूर्व आयुक्त रमाकांत जोग (ओम पुरी ) जो कि एसीपी हेमंत जोग के पिता हैं अपने बेटे कि डायरी पढ़ते हैं तो उन्हें पता चलता है कि अपने बेटे की सोच के बारें में.  वो बिना कुछ सोचे विचारे इन दोनों से मिलता है और उन्हें आश्वासन देता है कि चिंता मत करो सब कुछ अच्छा ही होगा उनके साथ. 
   
मुंबई से तीन साल के अपने निर्वासन के बाद सौत्या ( जगननाथ निवंगुने ) जो कि अपने भाई पक्या का बदला लेने के लिए बैचेन है एक सिपाही (विनय आप्टे ) की मदद से पता लगा लेता है कि वो दोनों कहाँ छिपे हैं.     

क्या अवि और शिवा सौत्या के जाल फंस जाते हैं ? क्या  सौत्या उन्हें वापस से उसी बुराई कि दुनिया ले आता है ? क्या पूर्व आयुक्त का सपना पूरा होता है उन्हें सुधरा हुआ देखने का ?   

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