हिंदी फिल्म -- बॉबी जासूस
निर्माता -- दिया मिर्ज़ा , साहिल संघ और रिलायंस एंटरटेनमेंट
निर्देशक -- समर शेख
लेखक -- संयुक्ता चावला
कलाकार -- विद्या बालन , अली फैज़ल , अर्जन बाजवा, अनुप्रिया , सुप्रिया पाठक ,तन्वी आजमी , आकाश दहिया , राजेंद्र गुप्ता, किरण कुमार , बेनाफ दादाचंदजी और जरीना वहाब।
संगीत -- शान्तनु मोइत्रा
निर्देशक समर शेख की बतौर निर्देशक यह पहली फिल्म है जबकि इससे पहले वो स्टोरी बोर्ड आर्टिस्ट थे धूम , बंटी और बबली , फ़ना, धूम - २ , चक दे इंडिया , टशन , रोड साइड रोमियो और धूम - ३ आदि फिल्मों में और उन्होंने सहायक निर्देशक के तौर पर धूम ,रोड साइड रोमियो और बदमाश कंपनी फ़िल्में भी की।
फिल्म की कहानी इस प्रकार है ----- पुराने हैदराबाद की रहने वाली बिल्क़िस अहमद या बॉबी (विद्या बालन ) अपनी तीन बहनों में सबसे बड़ी है जिसकी शादी की उम्र भी बीत रही है लेकिन उसका सपना है सबसे बड़ी जासूस बनने का। उसकी दूसरे नंबर की बहन नूर ( बेनाफ दादाचंदजी ) हमेशा पढाई में ही लगी रहती है जबकि सबसे छोटी बहन ज़ीनत बस ११ साल की है। बिल्क़िस के पिता हारुन अहमद (राजेन्द्र गुप्ता ) जो की रेलवे में रिपेयर मैन हैं और उन पर घर की पांच महिलाओं की बहुत बड़ी जिम्मेदारी है. उनकी पत्नी ज़ेबोनिसा (सुप्रिया पाठक ) जो की बॉबी को बचाती रहती हैं और घर में सुख शांति रहे इसके लिए हर संभव कोशिश करती रहती हैं.
अम्मी यानि ज़ेबोनिसा की विधवा बहन कौसर ( तन्वी आज़मी ) भी इन सबके साथ ही रहती हैं और वो क्वारें लड़के - लड़कियों के रिश्ते करवाने का काम भी करती हैं. बॉबी पहली बार अपनी खाला के लिए ही जासूसी का काम करती है और लड़के वालों की सारी सच्चाई सबके सामने लाती है , जिससे बॉबी की हिम्मत और बढ़ती है कि वो एक दिन बहुत बड़ी जासूस बन ही जायेगी।
ऐसे समाज में जहाँ औरतें बुर्के में ही अपनी तमाम जिंदगी बिता देती हैं और निकाह कर घर बसाना ही उनकी जिम्मेदारी है ऐसे में बॉबी सारे नियम तोड़ देती है और ३० साल की उम्र में सपना देखने की हिम्मत करती है प्राइवेट जासूस बनने का। बॉबी को शादी से सख्त नफरत है।
पिस्ता हाउस से लेकर उर्दू गली तक , मेहँदी गली से होटल नाज़ और चार मीनार तक बॉबी को हर कोई जानता है बॉबी में गज़ब का साहस है उसमें कुछ कर गुज़रने की महत्वकांक्षा है बस उसे एक बड़े ब्रेक का इंतज़ार है। तभी उसे ऐसा अवसर मिल जाता है जिससे वो अपनी प्रतिभा को सिद्ध कर सकती है। अनीज़ खान ( किरण कुमार ) बॉबी के पास आता है अपनी समस्या लेकर और बॉबी शुरू हो जाती अपनी जासूसी दिमाग के साथ उसकी गुत्थी की सुलझाने के लिए।
क्या बॉबी अनीज़ खान का केस सुलझा पाती है? क्या उसका बॉबी प्राइवेट जासूसी का बिजनिस चल निकलता है ? यह जानने के लिए तो आपको इंतज़ार करना होगा फिल्म बॉबी जासूस का।
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