Thursday, January 10, 2019

दिल और दिमाग में इतनी दुविधा


जिन फिल्मों को आप विशेष रूप से सिनेमा हॉल न जाकर देखना चाहे आप उन्हें अमेजॉन प्राइम वीडियो ,नेटफ़्लिक्स घर बैठे आराम से देख सकते हैं।  ऐसी ही एक शाम ,मैंने सोचा क्यों न एक अच्छी सी  हिंदी फिल्म  देखा जाये। मेरे साथ कालेज में पढ़ने वाली मेरी बेटी भी थी। कई फिल्मों में से हम दोनों ने हैप्पी फिर भाग जायेगी और मनमर्ज़ियाँ को चुना। 
 फिल्म "हैप्पी फिर भाग जायेगी" को इसलिये चुना क्योंकि पिछली फिल्म "हैप्पी भाग जायेगी " मैंने देखी थी. उस फिल्म को देखते समय मज़ा आया था बोरियत नहीं हुई थी और उसे मैंने सिनेमा हॉल में देखा था। तो लगा शायद यह फिल्म भी अच्छी होगी लेकिन जबर्दस्ती २० मिनट तक हम दोनों ने उस फिल्म को देखा लेकिन इसके आगे हमारी देखने की हिम्मत नहीं हुई। भगवान करें भागी हुई हैप्पी घर ही न आये और अगली फिल्म निर्माता - निर्देशक कभी बना ही पाये। 

 इसके बाद हमने फिल्म "मनमर्ज़ियाँ " देखने के बारें में  सोचा, क्योंकि अभिषेक बच्चन की कोई फिल्म बहुत दिनों से आयी नहीं और इसके अलावा विकी कौशल और तापसी पुन्नू दोनों ही अच्छा काम करते हैं और फिर यह फिल्म अनुराग कश्यप की फिल्म थी , फिल्म में फ़ालतू गालियाँ भी नहीं थी। फिल्म देखनी शुरू की , पंजाबी परिवेश फिल्म का , लेकिन जिस तरह के दृश्य थे फिल्म में , उन्हें देखकर कहीं से भी नहीं लग रहा था कि यह फिल्म अमृतसर की कहानी दिखा रही हो , ऐसा लग रहा था कि विदेश की कहानी उठा कर अमृतसर में फिट की गयी हो।  बाहर दादा जी और छोटी बहन बैठे हैं और कमरे में हीरो जो कि छत से आया है हीरोइन के साथ अनुराग कश्यप का सो कॉल्ड "फ्यार " में बिजी है।  शादी करना नहीं चाहता हीरो , हीरोइन को  शादी करना है , क्योंकि उसके माँ - बाप नहीं हैं , हीरोइन कोई बेचारी है लेकिन शादी तो एक दिन करनी ही है।  हीरो "फ्यार " तो कर सकता है शादी की जिम्मेदारी निभाने से घबराता है , विदेश से एक लड़का आता है और कई लड़कियों में से उसे वही एक लड़की पसंद आती है सब कुछ जानने के बाद भी उससे शादी करता है।  लड़की अपने प्रेमी को भुला नहीं पाती और शादी के बाद भी उससे बहाने - बहाने से मिलती है. अब नया मोड़ जब एन आर आई लड़के को लड़की के  बारें में मालूम था तब उसने शादी क्यों की और अब तलाक की जल्दी और फिर दूसरी शादी की भी तैयारी ।
  दूसरी तरफ लड़की का  प्रेमी भी लड़की को छोड़ने के लिए तैयार नहीं।  लड़की से शादी करने के लिये कनाडा जाकर टैक्सी चलाने के लिये भी तैयार। दोनों के घर वाले भी तैयार , अब एक नया मोड़ तलाक के सिलसिले में लड़की और उसका एन आर आई पति कोर्ट में मिले। पैदल - पैदल चलते चलते कुछ बातें हुई और अब लड़की फिर अपने पति के साथ यानि जो लड़की अपने प्रेमी से शादी करने के लिए घर से भाग भी गयी थी , शादी के बाद भी उसके पास जा रही थी , प्रेमी भी बदल गया अब अचानक दिमाग में करंट आया  प्रेमी को छोड़ कर फिर से पति के पास।  कभी इधर - कभी उधर। 
वाह अनुराग कश्यप वाह ,दिल और  दिमाग में इतनी दुविधा , तभी फिल्म सफल नहीं हुई।  ऐसी  फिल्में कभी भी दर्शकों पर कोई भी प्रभाव नहीं छोड़ती।

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