हिंदी फिल्म -- पोस्टर बॉयज रिलीज़ --- ८ सितम्बर बैनर --सोनी पिक्चर्स नेटवर्क्स प्रोडक्शंस। निर्माता -- सनी साउंड्स प्रा लि, श्रेयस तलपड़े और दीप्ति तलपड़े। निर्देशक --श्रेयस तलपड़े।
कहानी --समीर पाटिल। स्क्रीनप्ले -- बँटी राठौर और पारितोष पेंटर। कलाकार -- सनी देओल , बॉबी देओल, श्रेयस तलपड़े, सोनाली कुलकर्णी और समीक्षा भटनागर। संगीत -- तनिष्क बागची, दलेर मेहँदी , ऋषि रिच,सोनी रवन , सुनै महराठे , श्रेतस अयंगर और दलेर मेहँदी।
गीतकार --जावेद अख्तर, कुमार , सौरभ पाण्डेय ,सोनी रवन.
गायक और गायिका ---दलेर मेहँदी, नेहा कक्कड़,सुकीर्ति कक्कड़,इक्का सिंह,यश नरवेकर, कैलाश खेर और श्री डी।
गायक और गायिका ---दलेर मेहँदी, नेहा कक्कड़,सुकीर्ति कक्कड़,इक्का सिंह,यश नरवेकर, कैलाश खेर और श्री डी।
फिल्म "पोस्टर बॉयज" से अभिनेता श्रेयस तलपड़े निर्देशक की पारी शुरू कर रहे हैं साथ में फिल्म में भी श्रेयस तलपड़े अभिनय कर रहे हैं। सन २०१४ में आयी एक सच्ची घटना पर आधारित मराठी फिल्म "पोस्टर बॉयज " का हिंदी रीमेक है यह फिल्म "पोस्टर बॉयज ". इस फिल्म में १९९९ में आयी सनी देओल की फिल्म "अर्जुन पण्डित " का लोकप्रिय गाना "कुड़ियां शहर" भी रिक्रियेट किया गया है। फिल्म "अर्जुन पण्डित" में भी इस गीत को गाया था दलेर मेँहदी ने और इस फिल्म में भी दलेर ने ही गाया है। फिल्म में इस गीत पर एली अवराम थिरकते हुए दिखाई देंगी। अभिनेता बॉबी देओल की पिछली फिल्म २०१३ में आयी थी "यमला पगला दीवाना - २ " और अब ४ साल के बाद उनकी कोई फिल्म आ रही है। हो सकता है इस फिल्म से बॉबी का फ़िल्मी सफ़र फिर से शुरू हो जाये। सनी देओल की पिछली फिल्म थी २०१६ में आयी "घायल वन्स अगेन " इस फिल्म को सनी ने लिखा और निर्देशित तो किया ही था साथ में अभिनय भी किया था. कन्नड़ , गुजराती , मराठी , तमिल और हिंदी फिल्मों में कर चुकी सोनाली कुलकर्णी भी फिल्म में हैं।
इस हास्य फिल्म "पोस्टर बॉयज " की कहानी है तीन पुरुषों विनय शर्मा (बॉबी देओल), अर्जुन सिंह (श्रेयस तलपडे ) और जागरवार चौधरी (सनी देओल) की। जहाँ विनय शर्मा नाम की तरह ही विनम्र है, अर्जुन सिंह अतिउत्साही है और जगावर चौधरी खतरनाक तथा गुस्सैल है। इन तीनों ही पुरुषों की जिंदगी में उस समय अचानक उथल -- पुथल शुरू हो जाती है जब पुरुष नसबंदी को बढ़ावा देने वाले पोस्टर में इन तीनों की फोटो लग जाती है और इस नसबंदी के पोस्टर में तीनों की फोटो होने की वजह से गाँव, घर और परिवार में तीनों का उपहास और अपमान होना शुरू हो जाता है। इससे इन तीनआम इंसानों का जीना दूभर हो जाता है और किसी दूसरे की गलती का खामियाज़ा इनको भुगतना पड़ता है. तीनों की जिंदगी किसकी गलती की वजह से हास्य का पात्र बन जाती है। इसका पता तीनों मिलकर लगाते है।
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