इन दोनों ही फिल्मों को रिलीज़ हुए आज ५ दिन हो चुके हैं लेकिन फिर भी दोनों फिल्मों को लेकर बहस छिड़ी हुई है कि किसी फिल्म को थियेटर कम मिले किसी को ज्यादा मिल गये किसी ने अपनी फ़िल्म की रिलीज़ की तारीख़ का वादा करके भी निभाया नही। किसी ने अपने सीनियर की इज्जत नही की और भी न जाने क्या क्या ?
जब भी दो बड़ी फ़िल्में एक साथ रिलीज़ होती हैं इस तरह का विवाद होता ही है। सब निर्माता निर्देशक जैसी तैसी फ़िल्में बना कर अपना सेफ गेम खेलना चाहते हैं यानि कुछ भी कूड़ा कचरा बना दो बस एक ही फिल्म रिलीज़ करों जिससे दर्शकों को अवसर न मिले अपनी पसन्द की फिल्म देखने का और वो न चाहते हुए कचरा देखने को मजबूर हो जाये।
अभिनेताओं ने दिवाली , ईद , क्रिसमस आदि त्यौहारों को अपनी फिल्म की रिलीज़ के लिए बुक कर रखा है आख़िर क्यों ? ऐसा नही होना चाहिए। इन दोनों फिल्मों से पहले जब यश चोपड़ा की फिल्म जब तक हैं जाँ और अजय देवगन की सन ऑफ़ सरदार एक साथ रिलीज़ हुई थी तब भी बहुत विवाद हुआ था। अभी फिर करन जौहर और अजय देवगन के बीच हंगामा हुआ और अब क़ाबिल और रईस के बीच जबरदस्त तकरार।
अगर हमेशा ऐसी दो बड़ी फ़िल्में एक साथ रिलीज़ हो तो दर्शको के लिए बहुत अच्छा होगा उन्हें बेहतर फिल्में देखने का अवसर मिलेगा और निर्माता निर्देशक भी अच्छी फ़िल्में बनाने की कोशिश करेगें कुछ भी बक़वास बना कर १०० करोड़ की श्रेणी में नही पंहुचेंगे। और वैसे भी सबको पता है जो अच्छा होता है वही बिकता है चाहे कितने भी हथकंडे अपनाले पी आर और मार्केटिंग टीम.
कितना अच्छा हो बिना किसी तक़रार के , एक दूसरे पर आरोप लगाने के अच्छी फ़िल्में बनायें और स्वस्थ प्रतियोगिता अपनायें निर्माता निर्देशक और कलाकार. सबको पता है बहुत मेहनत और रूपये से फ़िल्में बनती हैं कितने लोगों के भविष्य जुड़े होते हैं एक फिल्म से। लेकिन दर्शकों के रुपयों की कीमत भी समझना जरुरी है।
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