सभी चाहते हैं उनकी बनाई फिल्म या उनकी लिखी किताबों की बिक्री हो लेकिन जब किताब रिलीज़ होने वाली होती हैं तभी कुछ सच्ची बातें क्यों बताते हैं लेखक। जब ये सच्ची बातें उनकी जिंदगी में गुज़रती हो तभी उन्हें इन सबका जिक्र करना चाहिये। क्या यही सोच कर चुप हो जाते हैं कि जब हम बायोग्राफ़ी लिखेंगे तब इन बातों का ज़िक्र करेगें जिससे किताब की बिक्री में आसानी हो जाये। किताब बेचने की मजबूरी में ऐसी बीती बातों का जिक्र करना क्या अच्छा होता है जिससे कुछ लोगों का दिल दुखे।
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