हिंदी फिल्म --- इक्कीस तोपों की सलामी
बैनर -- नौटंकी फिल्म्स
निर्माता -- अनुराधा प्रसाद और अभिनव शुक्ला
निर्देशक -- रविन्द्र गौतम
लेखक -- राहिल क़ाज़ी
कलाकार -- अनुपम खेर , नेहा धूपिया , दिव्येंदु शर्मा , मनु ऋषि , अदिति शर्मा , राजेश शर्मा , उत्तरा बाओकर , सुप्रिया कुमारी , सुधीर पाण्डेय और आसिफ शेख़.
संगीत -- राम संपत
गायक गायिका -- सोना महापात्रा , लाभ झंझुआ , अमन त्रिखा , मोहित चौहान , तरन्नुम मलिक और राम संपत।
छोटे परदे के लोकप्रिय निर्देशक लखनऊ के रविन्द्र गौतम , आये तो थे फिल्मों में अभिनय करने के लिए लेकिन अभिनय करने का तो नही लेकिन अभिनय करवाने का मौका उन्हें जरूर मिल गया। उन्होंने छोटे परदे पर अपनी शुरूआत की एक निर्देशक के रूप में धारावाहिक " कसौटी जिंदगी के " से। इसके बाद करम अपना अपना , क्या हुआ तेरा वादा , बड़े अच्छे लगते हैं और होंगे न जुदा हम
, उतरन , मधुबाला एक इश्क एक जूनून आदि अनेकों धारावाहिकों का उन्होंने निर्देशन किया है ।
, उतरन , मधुबाला एक इश्क एक जूनून आदि अनेकों धारावाहिकों का उन्होंने निर्देशन किया है ।
अभिनेता मनु ऋषि यूं तो अनेकों फिल्मों में काम कर चुके हैं। दिल्ली के अश्मिता थियेटर ग्रुप से जुड़े मनु ने निर्देशक अरविन्द गौड़ के निर्देशन में करीब ४० नाटकों में अभिनय किया। साथिया, रघु रोमियो, मिक्सड डबल, एक चालीस की लास्ट लोकल ,ओये लकी लकी ओये, फंस गया रे ओबामा, एक दीवाना था, क्या दिल्ली क्या लाहौर और आँखों देखी आदि अनेकों फिल्मों में अभिनय किया है।
दिल्ली के रहने वाले दिव्येंदु शर्मा ने पूना के फिल्म संस्थान से अभिनय की बारीकियां सीखी और फिल्म 'प्यार का पंचनामा " से शुरू किया फिल्मों में काम करने का सिलसिला। इसके बाद डेविड धवन की फिल्म "चश्मेबद्दूर " में काम किया। और अब उनकी फिल्म 'इक्कीस तोपों की सलामी' आ रही है इसके बाद आयेगी "रेव पार्टी "
यह फिल्म आधारित है पिता और उसके दो बेटों के रिश्तों पर। आम आदमी के सपनों की इस फिल्म में दर्शकों को भरपूर हास्य देखने को भी मिलेगा।
पुरुषोत्तम नारायण जोशी ( अनुपम खेर ) ने अपनी जिंदगी में एक सरकारी क्लर्क के पद पर काम किया। ईमानदारी से अपना काम करते हुए भी कभी उन्हंे वो प्रशंसा नही मिली जिसके कि वो हकदार थे। भ्रष्ट सहयोगियों के बीच ईमानदारी से काम करते हुए भी हमेशा ही उनका मजाक बनाया गया. मरते समय नारायण जोशी अपने दोनों नाकारा बेटों सुभाष जोशी ( दिव्येंदु शर्मा ) और शेखर जोशी (मनु ऋषि )के सामने अपनी आखिरी इच्छा रखते हैं कि मरने के बाद उनका सम्मान इक्कीस तोपों की सलामी से किया जाये।
अपने पिता की आखिरी इच्छा को पूरा करने के लिए दोनों बेटे क्या - क्या करते हैं ? उन्हें इसके लिए क्या - क्या करना पड़ता है ? क्या सच में वो अपने पिता को इक्कीस तोपों की सलामी दे पाते हैं ? अपने पिता की इच्छा को पूरा करने के लिए उन्हें किन -किन परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है और इन्हीं घटनाओं से शुरु होती है बेहिसाब कॉमेडी।
फिल्म का गीत --संगीत ज्यादा लोकप्रिय तो नही हुआ। फिर भी तोड़ के कतार , घूर घूर के, हम तुम्हें कैसे बताये गीत ठीक ठाक से हैं।
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