अभिनेत्री दीना पाठक की छोटी बेटी सुप्रिया पाठक ने १९८१ में 'कलयुग' फ़िल्म से अपना फ़िल्मी कैरियर शुरू किया और पहली ही फ़िल्म के लिए उन्हें फ़िल्म फेयर का सर्वश्रेष्ठ सह अभिनेत्री का अवार्ड मिला। इसके बाद १९८२ में आयी फ़िल्म 'बाज़ार' , इस फ़िल्म में भी फ़िल्म फेयर का उन्हें सर्वश्रेष्ठ सह अभिनेत्री का अवार्ड मिला। सुप्रिया ने जब भी किसी फ़िल्म या धारावाहिक में अभिनय किया है हमेशा ही दर्शकों ने उसे सराहा है. हास्य धारावाहिक 'खिचड़ी' की बेवकूफ सी दिखने वाली हंसा यानि सुप्रिया इन दिनों पुन: चर्चा में हैं क्योंकि हाल ही में रिलीज़ संजय लीला भंसाली की चर्चित फ़िल्म "राम लीला" में उन्होंने बहुत ही शानदार अभिनय किया है.
एक लेडी डॉन का किरदार सुप्रिया ने बहुत ही शान्ति से निभाया है किसी भी दृश्य में वो चीखी या चिल्लायी नही है चाहे वो खुद के बेटे के शव से दुश्मनो की गोली निकालने का आदेश वाला दृश्य हो या अपनी बेटी की ऊँगली को सरोते से काटने का दृश्य हो, जबकि इन दोनों ही दृश्यों को देख कर दर्शकों के रोंगटे खड़े हो गये हो। एक तरफ लेडी डॉन का चरित्र तो उन्होंने बहुत ही शानदार अभिनीत किया ही है दूसरी तरफ बेटी की शादी के लिए चाव से गहने देखती हुई माँ के भाव भी उन्होंने बखूबी दिखाये हैं.
धनकौर बा जैसा चरित्र बहुत ही कम लिखे जाते हैं हमारी हिंदी फिल्मों में. इस शानदार चरित्र को जिया भी बहुत भी शानदार तरीके से सुप्रिया ने.
फिल्मों से पहले थियेटर में अभिनय करने वाली सुप्रिया ने यूं तो कलयुग , बाज़ार , विजेता ,शहंशाह, मिर्च मसाला, गांधी मासूम ,आवाज़, अर्जुन, सरकार, सरकार राज़, दिल्ली - ६ , वेकअप सिद और खिचड़ी जैसी अनेकों फिल्मों में अभिनय किया है.
वैसे सुप्रिया ने अपने अभिनय से दर्शकों को हसाया तो बहुत है लेकिन डराया नही है लेकिन फ़िल्म "राम लीला" में धनकौर यानि सुप्रिया को देखकर दर्शक सहम जरुर जायेगें।
वाह धनकौर बा
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