Wednesday, June 2, 2021

अखियां मिलावांगा’ के गीतकार साहिल सुल्तानपुरी   

 

 गीत - संगीत हमारी हिंदी फिल्मों का एक अभिन्न अंग है।  गीतों के बिना तो कोई भी हिंदी फिल्म पूरी ही नहीं होती। गीत होंगे तो गीतकार भी जरुरी ही होंगे । जी हाँ हम बात कर रहे हैं गीतकारों की। तो ऐसे ही एक उभरते गीतकार हैं साहिल सुल्तानपुरी जो कि सुल्तानपुर, उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं।साहिल  १९९९ में अपने सपनों को साकार करने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश से मुंबई आये। फिल्मों में गीत लिखने के उनके सपने पूरे भी हुए लेकिन कुछ संघर्ष के बाद। 


एक गीतकार के रूप में साहिल शुरुआत हुई १९९९ में आयी एलबम "जीतेंगे हम हिन्दुस्तानी " से।  इस एलबम के  बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। उन्होंने कई फिल्मों में गीतों को लिखा है। उनके लिखे गीतों को लोकप्रियता भी हासिल हुई है। उन्होंने काली की सौगंध   (२००० ) कुड़ियों का है जमाना ( २००६ ) गणगौर (२०१० ) माई  ( लव योर मदर -- २०१३ ), इस फिल्म में लोकप्रिय गायिका आशा भोंसले ने पहली ही बार अभिनय किया था। 
यह संडे क्यों आता है  (२०१४ ) सात उचक्के ( २०१६ ) कमांडो - ३ ( २०१९ ) और व्हाट्स ऍप लव (२०१९ ) आदि फिल्मों में गीतों को लिखा है।  साहिल के लिखे कुछ गीत तो श्रोताओं  में खासे लोकप्रिय हुए है। जिनमें फिल्म कमांडो -३ का यह गीत  ‘अखियां मिलावांगा’ भी शामिल है। इसी तरह फिल्म ‘व्हाट्सएप लव’ का सूफी गाना ‘मेरे मौला’ भी संगीत प्रेमियों के बीच लोकप्रिय है। 

 बचपन से ही कविताओ और मुशायरों को सुनने के शौक़ीन साहिल ने कुछ ५० - ६० के करीब ग़ज़लें भी लिखी हैं। हो सकता है पाठकों को जल्दी ही उनकी एक किताब 
पढ़ने को मिले और साथ ही कुछ और गीत भी सुनने को मिले।


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