Tuesday, October 13, 2020

हास्य अभिनय का पर्याय महमूद

हास्य अभिनय का पर्याय माने जाने वाले अभिनेता, गायक , निर्माता , निर्देशक महमूद का पूरा नाम महमूद अली है।इनका जन्म २९ सितम्बर १९३२ को बॉम्बे में हुआ था।इनके पिता मुमताज़ अली एक लोकप्रिय अभिनेता और नर्तक थे, जो कि बॉम्बे टॉकीज़ में काम किया करते थे । बचपन से ही अभिनय की ओर रुझान था महमूद का। उनके इसी रुझान को देखते हुए उनके पिता ने १९४३ में बॉम्बे टॉकीज़ की बन रही फिल्म "किस्मत " में अशोक कुमार के बचपन की भूमिका के लिए उनकी सिफारिश भी की।  

चार दशकों से भी ज्यादा हिंदी फिल्मों में अभिनय करने वाले महमूद ने यूँ तो अनेकों फिल्मों में अभिनय किया है और अपने अभिनय से दर्शकों को  हँसाया भी है ।लेकिन उनकी कुछ फिल्मों की भूमिकायें आज भी दर्शकों के दिलों में ताज़ा है। १९६५ में आयी फिल्म "गुमनाम " में बटलर की भूमिका थी उनकी। इस फिल्म में उन्होंने हैदराबादी भाषा बोली थी और दर्शकों का दिल लूट लिया था। इसी तरह १९६८ में आयी फिल्म "पड़ोसन " में वो अभिनेत्री सायरा बानो के संगीत गुरु मास्टर पिल्लै बने थे। क्या गज़ब की भूमिका थी इस फिल्म में उनकी। आज भी जब हम फिल्म "पड़ोसन " की बात करते हैं सबसे पहले महमूद का ही चेहरा हमारे सामने आता है।१९६६ की  फिल्म "प्यार किये जा " में महमूद अपने पिता बने अभिनेता ओम प्रकाश को अपनी हॉरर फिल्म की कहानी जिस तरह से सुनाते हैं। उसे देखकर भी दर्शकों को आज भी बहुत मज़ा आता है।१९७२ की फिल्म "बॉम्बे टू गोवा " में उनकी बस कंडक्टर की भूमिका भी बहुत ही लाजवाब थी। इस फिल्म का गाना "  मुत्तु कोड़ी कवारी हड़ा" को आज भी दर्शक सुनते हैं। १९७० में प्रदर्शित फिल्म ‘हमजोली’ में महमूद के अभिनय के विविध रूप दर्शकों को देखने को मिले। इस फिल्म में महमूद ने तिहरी भूमिका अभिनीत की थी।  १९७३ में आयी फिल्म "दो फूल " में महमूद की दोहरी भूमिका थी।
 
३०० के करीब फिल्मों में काम कर चुके हास्य अभिनेता कभी घर की आर्थिक जरूरत को पूरा करने के लिये महमूद, मलाड और विरार के बीच चलने वाली लोकल ट्रेन में टॉफिया बेचा करते थे। फिल्मों में अभिनय करने से पहले उन्होंने कार चलाना सीखा और निर्माता ज्ञान मुखर्जी ,गीतकार गोपाल सिंह नेपाली, भरत व्यास, राजा मेंहदी अली खान ,निर्माता पी.एल. संतोषी आदि के घर पर ड्राइवर का काम भी किया। महमूद ड्राइवर का काम भी कर रहे थे और जब मौका मिला जाता तो फिल्मों में काम भी कर लेते थे। ऐसा ही कुछ वाकया हुआ १९५१ में आयी फिल्म "नादान " की शूटिंग के दौरान। हुआ यूँ कि अभिनेत्री मधुबाला की एक जूनियर कलाकार  के साथ शूटिंग थी लेकिन वो बेचारा कलाकार १० रीटेक के बाद भी अपना संवाद सही से नहीं बोल पा रहा था। फिल्म निर्देशक हीरा सिंह ने महमूद को यह संवाद बोलने के लिये कहा , बस क्या था एक ही टेक में महमूद ने संवाद बोल दिया। इस काम के महमूद को ३०० रूपये मिले जबकि बतौर ड्राइवर महमूद को महीने मे मात्र ७५ रुपये ही मिला करते थे। इसी के चलते बाद में उन्होंने अपना नाम जूनियर आर्टिस्ट एसोसिएशन में दर्ज करा लिया।  इसके बाद बतौर जूनियर आर्टिस्ट महमूद ने दो बीघा जमीन, जागृति, सी.आई.डी, प्यासा जैसी फिल्मों में छोटे-मोटे रोल किये।

अभिनेता महमूद ने अनेकों फिल्मों में अभिनय किया लेकिन उन्हें भी  ए वी मयप्पन द्वारा स्थापित भारतीय फिल्म निर्माण स्टूडियो एवीएम प्रोडक्शंस कंपनी ने  फिल्म "मिस मैरी" के लिये दिये स्क्रीन टेस्ट में फेल कर दिया, यह कह कर कि महमूद ना कभी अभिनय कर सकते हैं ना ही अभिनेता बन सकते है। लेकिन बाद के दिनों में एवीएम बैनर ने महमूद को लेकर बतौर अभिनेता फिल्म ‘मैं सुदर हूं’  का निर्माण भी किया। इसी तरह महमूद अपने रिश्तेदार कमाल अमरोही के पास फिल्म में काम मांगने के लिये गये तो उन्होंने भी महमूद को यह कह दिया कि आप अभिनेता मुमताज अली के पुत्र हैं और जरूरी नहीं है कि एक अभिनेता का पुत्र भी अभिनेता बन सके। आपके पास फिल्मों में अभिनय करने की योग्यता नहीं है। आप चाहे तो मुझसे कुछ पैसे लेकर कोई अलग व्यवसाय कर सकते हैं।

अभिनेता महमूद ने फिल्मों में किसी की भी सिफारिश पर काम करना पसंद नहीं किया। उन्होंने फिल्मों में जो भी मुकाम पाया खुद अपने ही बल पर।
१९६१ में महमूद ने अपनी पहली फिल्म ‘छोटे नवाब’ का निर्माण किया और अपनी फिल्म में उन्होंने आर .डी. बर्मन उर्फ पंचम दा को बतौर संगीतकार फिल्म इंडस्ट्री में पहली बार पेश किया। महमूद ने कई फिल्मों का निर्माण और निर्देशन किया। महमूद ने कई फिल्मों में अपने पार्श्वगायन से भी श्रोताओं को अपना दीवाना बनाया। महमूद को अपने सिने कैरियर में तीन बार फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया। निर्देशक के रूप में उन्होंने १९६५ में आयी भूत बंगला ,१९७४ में कुंवारा बाप ,१९७६ में जिनी और जॉनी ,१९७८ में एक बाप छ बेटे और १९९६ में दुश्मन दुनियाँ का आदि फिल्मों का बनाया है।  
बाद में महमूद का स्वास्थ्य खराब रहने लगा। वह इलाज के लिए अमेरिका गये।  जहाँ २३  जुलाई २००४ को ७१ की आयु में  उनका निधन हो गया।

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