Tuesday, September 15, 2020

ऐसा शराबी जिसने कभी शराब नही पी -- केश्टो मुखर्जी

हास्य अभिनेता केश्टो मुखर्जी का नाम आते ही हम सभी की आँखों के आगे के एक ऐसे शराबी का चेहरा सामने आने लगता है जो दारु के नशे में बात करता है और लड़खड़ा कर चलता है और ऐसे संवाद बोलता है जिसे सुनकर देखकर हम हँस - हँस कर लोट पोट हो जाते हैं। केश्टो मुखर्जी ऐसे हास्य कलाकार थे जिन्होंने फिल्मों में सबसे ज्यादा शराबी की भूमिकायें अभिनीत की। जबकि असली जिंदगी में उन्होंने कभी दारु नहीं पी।

केश्टो मुखर्जी का जन्म ७ अगस्त १९०५ को मुंबई यानि उस समय के बॉम्बे में हुआ था। उन्होंने अपने अभिनय सफर की शुरुआत बंगाली फिल्मों से की। उन्होंने  लोकप्रिय निर्देशक ऋत्विक घटक की बारी थेके पालिये ,अजंत्रिक , नागरिक और जुक्ति टक्को आर गप्पो आदि फिल्मों में काफी महत्वपूर्ण भूमिकायें अभिनीत की। यूं तो केश्टो ने सन १९५७ में फिल्म "मुसाफिर " हिंदी फिल्मों में अपनी शुरुआत की। लेकिन शराबी की भूमिका जिसके लिए वो लोकप्रिय हुए उन्हें १९७० में रिलीज़ फिल्म " माँ और ममता " में मिली। 

हुआ कुछ यूँ कि निर्देशक असित सेन को एक ऐसे अभिनेता की जरूरत थी जो शराबी का किरदार अभिनीत कर सके और केश्टो मुखर्जी को काम की तलाश थी। हालाँकि इस फिल्म से पहले केश्टो ने मुसाफिर , खजांची , राखी और रायफल , मासूम , परख , आरती, आशिक , प्रेम पत्र , असली नकली ,राहु केतु ,बीवी और मकान , मँझली दीदी ,  अपना घर अपनी कहानी ,पड़ोसन , पिंजरे के पंछी और अनोखी रात आदि फिल्मों में काम किया था। 

निर्देशक असित सेन ने अपनी फिल्म में केश्टो को शराबी की भूमिका दी और केश्टो ने भी उस भूमिका को ऐसे निभाया कि उनका शराबी किरदार  दर्शक क्या फिल्म निर्माता- निर्देशकों को भी बेहद पसंद आया बस फिर क्या था जब भी किसी फिल्म में शराबी की भूमिका हो अभिनेता बस केश्टो ही होते थे। हर फिल्म में शराबी की उनकी भूमिका इतनी सशक्त होती थी कि लोग समझने लगे कि वो पक्के शराबी हैं। जबकि असल में ऐसा बिलकुल भी नहीं था।

कहा जाता है  कि एक फिल्म में केश्टो ने कुत्ते की भी आवाज़ निकाली थी। उन्हें काम की तलाश थी तो वो फिल्म निर्देशकों  से मिलते रहते थे। इसी तरह केश्टो बिमल दा से भी मिले लेकिन केश्टो के योग्य उनके पास कोई किरदार नहीं था। उन्होंने उन्हें मना किया कि अभी उनकी फिल्म में कोई भूमिका नहीं है  लेकिन इसके बावजूद भी केश्टो गये नहीं उनके पास ही खड़े रहे तब बिमल दा को गुस्सा आ गया और उन्होंने उनसे पूछा कि क्या कुत्ते की आवाज़ निकाल सकते हो। केश्टो भी कहाँ पीछे हटने वाले थे उन्होंने कुत्ते की आवाज़ निकाल कर विमल दा को भी अचम्भित कर दिया।

शराबी की भूमिकाओं के अलावा भी कुछ फ़िल्में ऐसी हैं जिनमें केश्टो ने बेहतरीन काम किया। उन्होंने गुलज़ार की फिल्म "मेरे अपने" में अभिनेत्री मीना कुमारी के दूर के रिश्तेदार का किरदार अभिनीत किया था। इसी तरह गुलज़ार की फिल्म "परिचय " में उन्होंने बच्चों को पढ़ाने वाले टीचर की भूमिका की। जिसे बच्चे डरा कर भगा देते हैं।फिल्म जंजीर , शोले  और आपकी कसम में उन्होंने बेहतरीन अभिनय किया। तीसरी कसम में केश्टो ने राज कपूर के साथ काम किया। फिल्म "साधु सुर शैतान" के अलावा फिल्म "पड़ोसन " में उन्होंने अभिनेता किशोर कुमार के साथ काम किया। इसी तरह अभिनेता महमूद की फिल्म "बॉम्बे टू गोवा " में एक ऊंघते हुए यात्री का किरदार अभिनीत किया।

यूँ तो केश्टो मुखर्जी ने अनेकों फिल्मों में अभिनय किया है लेकिन जब - जब उनकी फिल्मों का जिक्र होगा तब उनकी फिल्म  "पड़ोसन" , पिया का घर , तीसरी कसम , गुड्डी, चुपके चुपके ,  लोफर , जंजीर ,द बर्निग ट्रेन ,गोलमाल ,खूबसूरत  आदि फिल्मों का नाम जरूर लिया जायेगा।  १५० के करीब फिल्मों में अभिनय करने वाले केश्टो मुखर्जी की मृत्यु २ मार्च १९८२ को हुई। उनकी बेटी सुष्मिता मुखर्जी फिल्मों और टी वी में आज भी काम करती हैं और उनके बेटे  बबलू मुखर्जी क्या करते हैं नहीं पता लेकिन एक समय में उन्होंने अनेकों टी वी धारावाहिकों में काम किया है।  

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