अभिनेता सतीश कौशिक को दर्शक आज भी सबसे ज्यादा फिल्म "मि इंडिया " के कैलेंडर के नाम से जानते हैं। हालाँकि उन्होंने अनेकों फिल्मों में शानदार अभिनय किया है। ६४ साल के इस अभिनेता ने फिल्मों , टी वी और थियेटर सभी जगह खूब काम किया है। बतौर अभिनेता तो उन्होंने अपनी जगह बनाई ही है साथ में एक लेखक और निर्देशक के रूप में भी उन्होंने बहुत काम किया है। १९८९ में फिल्म "राम लखन " और १९९६ में फिल्म "साजन चले ससुराल " इन दो फिल्मों के लिए सतीश को सर्वश्रेष्ठ हास्य अभिनेता का फिल्म फेयर अवार्ड भी मिल चुका है। ७ जनवरी को ओ टी टी प्लेटफॉर्म और सिनेमा घरों ,दोनों जगह उनकी फिल्म "कागज " रिलीज़ होने वाली है। एक लेखक , निर्देशक और एक अभिनेता , तीनों ही रूपों में सतीश इस फिल्म से जुड़े हुए हैं।
Tuesday, December 29, 2020
फिल्म "मि इंडिया " के कैलेंडर यानि सतीश कौशिक
अभिनेता सतीश कौशिक को दर्शक आज भी सबसे ज्यादा फिल्म "मि इंडिया " के कैलेंडर के नाम से जानते हैं। हालाँकि उन्होंने अनेकों फिल्मों में शानदार अभिनय किया है। ६४ साल के इस अभिनेता ने फिल्मों , टी वी और थियेटर सभी जगह खूब काम किया है। बतौर अभिनेता तो उन्होंने अपनी जगह बनाई ही है साथ में एक लेखक और निर्देशक के रूप में भी उन्होंने बहुत काम किया है। १९८९ में फिल्म "राम लखन " और १९९६ में फिल्म "साजन चले ससुराल " इन दो फिल्मों के लिए सतीश को सर्वश्रेष्ठ हास्य अभिनेता का फिल्म फेयर अवार्ड भी मिल चुका है। ७ जनवरी को ओ टी टी प्लेटफॉर्म और सिनेमा घरों ,दोनों जगह उनकी फिल्म "कागज " रिलीज़ होने वाली है। एक लेखक , निर्देशक और एक अभिनेता , तीनों ही रूपों में सतीश इस फिल्म से जुड़े हुए हैं।
Tuesday, December 15, 2020
टीकू तलसानिया को शूटिंग , पैराग्लाइडिंग और फोटोग्राफ़ी का भी शौक है
टी वी और फिल्मों में आने से पहले अभिनेता टीकू तलसानिया गुजराती थियेटर से जुड़े हुए थे। वहीँ उनके अभिनय से प्रभावित होकर निर्देशक कुंदन शाह ने उन्हें टी वी के लोकप्रिय हास्य धारावाहिक "ये जो है जिंदगी " ( १९८४ ) में काम करने का मौका दिया। इस धारावाहिक में अभिनय करके टीकू तो रातो रात दर्शकों में लोकप्रिय हुए ही साथ में उनका संवाद " ये क्या हो रहा है " भी बहुत लोकप्रिय हुआ।
Tuesday, December 8, 2020
अँगूरी भाभी के पति मनमोहन तिवारी यानि रोहिताश गौड़
लोकप्रिय हास्य धारावाहिक "भाभी जी घर पर हैं " में अँगूरी भाभी के पति मनमोहन तिवारी यानि
रोहिताश गौड़ ने अपनी अदाकारी से दर्शकों के बीच अपनी एक अलग जगह बनाई है। हरियाणा के कालका के रहने वाले रोहिताश को बचपन से भी अभिनय का जूनून सवार था। रोहिताश के पिता इनको साइंस पढ़ाना चाहते थे लेकिन साइंस पढ़ने में इनकी दिलचस्पी बिलकुल भी नहीं थी। इसी वजह से ११ क्लास में फेल भी हो गये। फिर फिजिक्स के टीचर के कहने पर इनके पिता ने इन्हें आर्ट्स में एडमिशन दिलाया जहाँ रोहिताश ने टॉप किया। रोहिताश गौड ने अपनी शुरूआती शिक्षा सरकारी उच्च विद्यालय, कालका, हरियाणा से ली। उसके बाद इन्होंने सरकारी महाविद्यालय, कालका, हरियाणा और नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा, नई दिल्ली से कला में स्नातक और नाटक में डिग्री ली।
Sunday, October 25, 2020
चंडीगढ़ करें आशिकी
भाजपा) के वरिष्ठ नेता एकनाथ खडसे अब राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में प्रवेश
फोटो- राकेश लोंढे.
पहली डिजिटल जिंगल गायन प्रतियोगिताविजेता को 2 लाख रुपये का इनाम कैलाश खेर के साथ वीडियो में गाने का मौका
कोविड 19 ने दुनियां भर को हैरान परेशान कर रखा है लेकिन ऐसी विषम परिस्थितियों में भी कुछ नया करने का जुनून बाकी है इसी कड़ी में नॉरिश ने ईजाद की है पहली डिजिटल जिंगल गाने या बजाने की प्रतियोगिता। विजेता को मिलेगा 2 लाख रुपये का ईनाम, नॉरिश गिफ्ट हैम्पर साथ ही पदमश्री गायक कैलाश खेर के साथ गाने और विडियो में दिखने का मौका। प्रतियोगिता में निशुल्क भाग ले सकते है।
इस प्रतियोगिता को तीन भागों में बांटा गया है पहले भाग में 6 से 10 वर्ष, दूसरे भाग में 11 से 14 वर्ष और तीसरे भाग में 15 से 18 वर्ष उम्र के प्रतियोगी भाग ले सकते है।
प्रतियोगिता के अनुसार कैलाश खेर द्वारा गाये न्यूट्रिशन की सरगम गाने को प्रतिभागियों को अपनी आवाज में गाना है या वाद्य यंत्रों से भी सुर दिये जा सकते है । प्रतिभागियों को अपने गाने या वाद्य यंत्र पर बजाए गाने का वीडियो प्रतियोगिता में शामिल करने के लिए ऑनलाइन भेजना होगा।
प्रतिभागी इस एंथम गीत को नॉरिश की वेबसाइट www.nourishstore.co.in या सोशल मीडिया चैनल के साथ कैलाश खेर के सोशल मीडिया चैनल पर भी पा सकते है।
प्रतियोगिता में शामिल होने के लिए प्रतिभागियों को इवेन्ट माइक्रोसाइट पर रजिस्टर करना होगा और अपना वीडियो भी इसी माइक्रोसाइट पर पोस्ट करना होगा।
प्रतियोगिता में शामिल प्रत्येक एंट्री को संगीत विशेषज्ञों की टीम सुनेगी और प्रत्येक भाग से सर्वश्रेष्ठ 30 प्रतिभागियों का चुनाव करेगी। सभी चुने हुए प्रतिभागी अगले राउंड जिसे बैटल राउंड नाम दिया गया है में शामिल होकर ज़ूम जैसे प्लेटफार्म पर लाइव परफॉर्म करेंगे। इस राउंड में दर्शक भी अपने चहेते गायक को वोट दे सकते है।
90 प्रतिभागियों को 8 चरणों मे भाग लेने के बाद सर्वश्रेष्ठ 9 प्रतिभागी चुने जायेंगे। इन चुने हुए 9 प्रतिभाशाली गायकों में से प्रत्येक भाग के सर्वश्रेष्ठ गायक की घोषणा कैलाश खेर फेसबुक लाइव इवेंट में करेंगे और चुने हुए तीन गायको को अपने साथ वीडियो में गाने का निमंत्रण भी देंगे।
नॉरिश के कार्यकारी निदेशक आशीष खण्डेलवाल का कहना है नॉरिश बच्चों को स्वस्थ रखने के साथ ही प्रतिभाशाली बच्चों को अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका भी मिलता रहे ऐसा हमारा सोचना है । हम भविष्य में भी ऐसी प्रतियोगिता करते रहेंगे।
कैलाश खेर ने इस मौके पर कहा मैं नॉरिश और आशीष जी को इस संगीत प्रतियोगिता के लिए बधाई देता हूँ और धन्यवाद देता हूँ कि मुझे प्रतिभाशाली गायको को सुनने चुनने का मौका दिया। मुझे उम्मीद है इस प्रतियोगिता में बच्चे और युवा गायक बड़ी संख्या में शामिल होकर अपनी प्रतिभा निखारेंगे
Tuesday, October 13, 2020
हँसता मुस्कुराता चेहरा टुनटुन
हास्य अभिनय का पर्याय महमूद
चार दशकों से भी ज्यादा हिंदी फिल्मों में अभिनय करने वाले महमूद ने यूँ तो अनेकों फिल्मों में अभिनय किया है और अपने अभिनय से दर्शकों को हँसाया भी है ।लेकिन उनकी कुछ फिल्मों की भूमिकायें आज भी दर्शकों के दिलों में ताज़ा है। १९६५ में आयी फिल्म "गुमनाम " में बटलर की भूमिका थी उनकी। इस फिल्म में उन्होंने हैदराबादी भाषा बोली थी और दर्शकों का दिल लूट लिया था। इसी तरह १९६८ में आयी फिल्म "पड़ोसन " में वो अभिनेत्री सायरा बानो के संगीत गुरु मास्टर पिल्लै बने थे। क्या गज़ब की भूमिका थी इस फिल्म में उनकी। आज भी जब हम फिल्म "पड़ोसन " की बात करते हैं सबसे पहले महमूद का ही चेहरा हमारे सामने आता है।१९६६ की फिल्म "प्यार किये जा " में महमूद अपने पिता बने अभिनेता ओम प्रकाश को अपनी हॉरर फिल्म की कहानी जिस तरह से सुनाते हैं। उसे देखकर भी दर्शकों को आज भी बहुत मज़ा आता है।१९७२ की फिल्म "बॉम्बे टू गोवा " में उनकी बस कंडक्टर की भूमिका भी बहुत ही लाजवाब थी। इस फिल्म का गाना " मुत्तु कोड़ी कवारी हड़ा" को आज भी दर्शक सुनते हैं। १९७० में प्रदर्शित फिल्म ‘हमजोली’ में महमूद के अभिनय के विविध रूप दर्शकों को देखने को मिले। इस फिल्म में महमूद ने तिहरी भूमिका अभिनीत की थी। १९७३ में आयी फिल्म "दो फूल " में महमूद की दोहरी भूमिका थी।
मुकरी एक काज़ी भी थे अभिनेता से पहले
कभी उन्होंने हमें तैय्यब अली बन कर हँसाया और कभी नत्थू लाल बन कर , जी हाँ हम बात कर रहे हैं हमेशा अपने चेहरे पर मुस्कान लिये हुए उस अभिनेता मुकरी की जिसने करीब ५० साल तक फिल्मों में सशक्त अभिनय करके दर्शकों का मनोरंजन किया। मुकरी का जन्म ५ जनवरी १९२२ को अलीबाग के कोंकणी मुस्लिम परिवार में हुआ।
मुकरी का पूरा नाम मोहम्मद उमर मुकरी था। फिल्मों में आने से पहले वो एक क़ाज़ी के रूप में काम करते थे। बच्चों को मदरसे में कुरान पढ़ाते थे। यह सब करने के बावजूद उनकी आय बहुत सीमित थी जिससे घर का खर्च चल पाना संभव नहीं था। इसी के चलते मुकरी ने फिल्मों में काम करने के बारें में सोचा। इस बारे में उन्होंने अपने स्कूल के मित्र दिलीप कुमार से बात की। दिलीप कुमार के कहने पर ही उन्हें बॉम्बे टॉकीज़ में उन्हें जूनियर सहायक की नौकरी मिल गयी। बाद में उन्होंने निर्देशक के आसिफ के सहायक के तौर पर भी काम किया। इसके कुछ समय बाद में उन्होंने पूरी तरह फिल्मों में अभिनय करना शुरू कर दिया।
६०० फिल्मों में अभिनय कर चुके मुकरी ने फिल्मों में अपना अभिनय सफर शुरू किया १९४५ में अपने स्कूल मेट्स दिलीप कुमार के साथ फिल्म "प्रतिमा " में। अभिनेता दिलीप कुमार के साथ मुकरी की गहरी दोस्ती थी साथ ही दोनों ने अनेकों फिल्मों में भी काम किया। इसके अलावा अभिनेत्री निम्मी उनके पति अली रजा , अभिनेता महमूद और नर्गिस भी मुकरी के दोस्तों में शामिल थे। नर्गिस तो मुकरी की सगी बहन जैसी ही थीं।
दर्शकों को हँस हँस का लोट पोट कर देने वाले मुकरी अपनी असली जिंदगी में बहुत ही धार्मिक इंसान थे हालाँकि वो फिल्मों में अभिनय करते थे लेकिन उनके बच्चों को फ़िल्में देखने की इज़ाज़त नहीं थी। लम्बू यानि अमिताभ बच्चन और टिंकू यानि मुकरी की जोड़ी को भी दर्शकों ने बहुत पसंद किया। हम सभी को फिल्म "शराबी " का यह संवाद "मूछें हो तो नत्थू लाल जैसी वरना न हों " आज भी याद। यह संवाद अमिताभ बच्चन ने मुकरी के लिए ही बोला था। इस फिल्म के अलावा दोनों ने गंगा की सौगंध, नसीब, मुक़द्दर का सिकंदर, लावारिस, महान, कुली , खुद्दार ,अमर अकबर अन्थोनी ,गंगा जमुना सरस्वती , जादूगर आदि फिल्मों में साथ में काम किया।
वैसे तो मुकरी ने अनेकों फिल्मों में अभिनय किया है लेकिन जब - जब हम उनके हास्य अभिनय का जिक्र करते हैं तो फिल्म "अमर अकबर एंथोनी " के तैय्यब अली का जिक्र जरूर आता है। इस फिल्म में वो अभिनेत्री नीतू सिंह के अब्बा की भूमिका में थे। इस फिल्म में उनके किरदार पर एक गीत भी था "तैय्यब अली प्यार का दुश्मन।" १९७२ में आयी फिल्म "बॉम्बे टू गोवा " में दक्षिण भारतीय के किरदार में उन्होंने दर्शकों को खूब हँसाया। १९६७ में आयी फिल्म "मिलन " में जग्गू के किरदार में भी उन्होंने बहुत रंग जमाया। फिल्म "सुहाना सफर " में उन्होंने शशि कपूर के दोस्त बन कर दर्शकों का मनोरंजन किया। फिल्म " कुँवारा बाप" और फिल्म "पड़ोसन" में उन्होंने शानदार अभिनय किया था।
पाँच बच्चों के पिता मुकरी की आखिरी फिल्म थी १९८४ में आयी फिल्म "शराबी। " उनकी कुछ अन्य फ़िल्में इस प्रकार थीं -- आन , अनोखा प्यार , सज़ा, बाग़ी , अमर , पैसा ही पैसा , मिर्ज़ा ग़ालिब , इनाम ,चोरी चोरी , आवाज़ , मदर इंडिया ,सोहनी महिवाल , मालिक , काला पानी ,काली टोपी लाल रुमाल ,कोहिनूर ,अनाड़ी , अनुराधा ,संगीत सम्राट तानसेन , बड़ा आदमी ,सन ऑफ़ इंडिया , असली नकली , मनमौजी, देवकन्या , बहूरानी , फूल बने अँगारे ,हिमालय की गोद में ,जौहर महमूद इन गोवा ,बहू बेटी , स्मगलर ,मेरा साया , सूरज ,मेहरबान , फ़र्ज़ ,चंदन का पालना , अनीता, वासना , साधु और शैतान ,नन्हा फरिश्ता , आबरू , राजा और रंक ,चिराग , भाई - बहन , दो रास्ते ,मेरा नाम जोकर , गोपी ,देवी , दर्पण , भाई भाई , बचपन , प्रेम पुजारी ,मैं सुन्दर हूँ , लाखों में एक ,जौहर महमूद इन हॉन्ग कॉंग ,ज्वाला , एक नारी एक ब्रह्मचारी , अलबेला , उपासना , प्यार की कहानी ,अपराध , पिया का घर ,सूरज और चंदा , मेरे गरीब नवाज़ ,मेहमान , हनीमून ,हीरा , लोफर , दुनिया का मेला ,दो फूल , नया दिन नयी रात ,बंडलबाज , बैराग, अर्जुन पंडित, सबसे बड़ा रुपया , फकीरा , चाँदी सोना ,अमानत ,अब्दुल्ल्ह , द बर्निग ट्रेन,क़र्ज़ , उमराव जान , कातिलों के कातिल , धर्म काँटा , विधाता , अनोखा बंधन ,हम दोनों , बाबू ,कर्मा , परिवार ,हवालात, राम लखन , गैर कानूनी, दाता , बेताज बादशाह आदि।
अपने हास्य अभिनय से दर्शकों का दिल जीतने वाले मुकरी का इंतकाल ७८ वर्ष का अवस्था में ४ सितम्बर २००० को मुंबई के लीलावती अस्पताल में हुआ।
लाजवाब हास्य कलाकार सतीश शाह
बड़े परदे के साथ - साथ उन्होंने अपने अभिनय का जलवा छोटे परदे पर भी बिखेरा और जी भर कर दर्शकों को हँसाया। जी हाँ हम बात कर रहे हैं हास्य अभिनेता सतीश शाह की। जिन्होंने फिल्म "मैं हूँ ना " में टीचर बन कर हँसाया तो फिल्म "भूतनाथ" में ऐसे प्रिंसिपल की भूमिका निभायी जो बच्चों का टिफिन खा जाता था। २५ जून १९५१ को जन्मे सतीश शाह ने हिंदी फिल्मों के साथ - साथ मराठी फिल्मों में भी अभिनय किया है। उन्होंने अपना अभिनय कॅरियर शुरू किया १९७० में फिल्म "भगवान परशुराम " से।लेकिन सतीश दर्शकों में लोकप्रिय हुए १९८४ के टी वी धारावाहिक "ये जो है जिंदगी " से। कुंदन शाह और मंजुल सिन्हा के इस धारावाहिक में उन्होंने ५५ एपिसोड में ५५ अलग - अलग किरदार अभिनीत किये ,जो कि अपने आप में एक रिकॉर्ड है।
सतीश शाह की कॉमिक टाइमिंग बहुत ही गज़ब की है। उन्होंने १९९५ में ज़ी टी वी पर प्रसारित शो "फ़िल्मी चक्कर " में काम किया और यहाँ भी उन्होंने दर्शकों का खूब मनोरंजन किया। हास्य धारावाहिक "साराभाई वर्सेज साराभाई " में उन्होंने इंद्रवदन की भूमिका बहुत ही लाजवाब तरीके से निभाई। यह हास्य धारावाहिक आज भी दर्शकों में बहुत लोकप्रिय है।इन दोनों ही धारावाहिकों में उनकी जोड़ी अभिनेत्री रत्ना पाठक शाह के साथ थी। अभिनेत्री स्वरूप सम्पत के साथ इन्होने ये जो है जिंदगी और ऑल डी बेस्ट आदि दो धारावाहिकों में काम किया। २००७ में हास्य शो "कॉमेडी सर्कस " में उन्होंने जज की भी भूमिका भी निभायी।
यूँ तो सतीश शाह ने करीब २५० फिल्मों में अभिनय किया है लेकिन उनकी कुछ भूमिकायें ऐसी हैं जिन्हें आज भी याद करने से हम सभी के चेहरे पर मुस्कान आ जाती हैं। सबसे पहले हम बात करते हैं १९८४ में आयी फिल्म "जाने भी तो यारों " की। निर्देशक कुंदन शाह की इस फिल्म में उन्होंने नगर निगम आयुक्त डी मेलो की भूमिका निभायी थी। बहुत ही अच्छा अभिनय किया था उन्होंने। यह फिल्म क्लासिक फिल्म मानी जाती है। १९८८ में आयी फिल्म "मालामाल " में उनकी शानदार भूमिका थी। १९९४ की फिल्म "कभी हाँ कभी ना " में सतीश ने साइमन का किरदार अभिनीत किया था। इसी साल आयी फिल्म "हम आपके कौन " में उन्होंने हँसने हँसाने वाले डॉ बनकर दर्शकों का मनोरंजन किया। १९९५ की सबसे लोकप्रिय फिल्म "दिल वाले दुल्हनियाँ ले जायेगें " में सतीश ने अमरीश पुरी के दोस्त अजित सिंह का किरदार अभिनीत किया था। १९९६ की फिल्म "जुड़वाँ " में उन्होंने हवलदार बन कर दर्शकों को खूब हँसाया।१९९९ की लोकप्रिय फिल्म "हम साथ - साथ हैं " में सतीश ने अभिनेत्री सोनाली बेंद्रे के पिता की भूमिका अभिनीत की। २००२ की फिल्म "साथिया " में उन्होंने विवेक ओबेरॉय के पिता की सशक्त भूमिका अभिनीत की। यही नहीं उन्होंने फिल्म "चलते चलते" मनुभाई का शानदार किरदार अभिनीत किया।फिल्म "कल हो न हो " में उन्होंने सैफ अली खान पिता कृष्ण भाई पटेल यानि एक गुज्जू की भूमिका अभिनीत की। इसी तरह "मस्ती " में डॉ कपाड़िया बने सतीश शाह और फिल्म "मैं हूँ ना " में ऐसे प्रोफ़ेसर का किरदार निभाया जो कि जब जब बात करता था उसके मुँह से इतना थूक निकलता था सामने वाले के चेहरे पर गिरता था। २००७ में आयी फिल्म "ओम शांति ओम " में वो पार्थो दास बने , भूतनाथ में वो प्रिंसिपल बने तो कि छोटे छोटे बच्चों का टिफिन खा जाता था। २०११ में आयी शाहरुख़ खान की फिल्म "रा वन" में वो अय्यर अंकल बने . सतीश शाह की आखिरी फिल्म आयी २०१४ में साजिद खान की "हमशकल्स। " इसमें वो वाय एम राज के किरदार में थे।
इन फिल्मों के अलावा कुछ अन्य फिल्मों में भी उन्होंने अभिनय किया, वो हैं ---अरविन्द देसाई की अजीब दास्ताँ , गमन , उमराव जान ,अलबर्ट पिंटो को गुस्सा क्यों आता है ,शक्ति , पुराना मंदिर ,अनोखा रिश्ता , मैं बलवान , अपने अपने , कलयुग और रामायण ,जान हथेली पे , मार धाड़ , वीराना ,साथ -साथ , अर्ध सत्य ,मोहन जोशी हाज़िर हो , भगवान दादा , अंजाम , आग और शोला ,लव ८६ , घर में राम गली में श्याम ,घर वाली बाहर वाली ,पुरानी हवेली ,हातिम ताई , मेरा पति सिर्फ मेरा है ,थानेदार , जान पहचान ,बेनाम बादशाह , नरसिम्हा ,आशिक आवारा , सैनिक बाज़ी , अकेले हम अकेले तुम ,साजन चले ससुराल ,हीरो नंबर वन , हिमालय पुत्र , गुलाम ए मुस्तफा , सात रंग के सपने, प्रेम अगन , तिरछी टोपी वाले , कहो न प्यार है, फिर भी दिल है हिंदुस्तानी ,इश्क़ विश्क , हर दिल जो प्यार करेगा ,ओम जय जगदीश ,मुझसे दोस्ती करोगे , जीना सिर्फ मेरे लिए , मुझसे शादी करोगी , राम जी लंदन वाले ,शादी नंबर वन , फ़ना , दीवाना तेरे नाम का , जस्ट मैरिड ,मिलेगें मिलेगें , खिचड़ी रमैया वस्तावैया ,क्लब ६० आदि।
सतीश शाह का पूरा नाम सतीश रविलाल शाह है। इनकी अभिनय को अपना पेशा बनाने के पीछे भी कहानी है वो यह कि वो बचपन से ही सतीश खेलों के शौक़ीन थे और इसी क्षेत्र में ही अपना कैरियर बनाना चाहते थे लेकिन एक बार स्कूल के स्टेज पर वो उन्होंने ऐसा शानदार अभिनय किया और तारीफें पायी बस उन्होंने सोच लिए कि अब तो फिल्मों में अभिनय करना ही है।
सतीश शाह को भी कोरोना हो गया था लेकिन अब वो पूरी तरह से स्वस्थ होकर अपने घर में आराम कर रहे हैं।
Tuesday, September 15, 2020
बस कंडक्टर से कैसे बने हास्य कलाकार -- जॉनी वॉकर
ऐसा शराबी जिसने कभी शराब नही पी -- केश्टो मुखर्जी
केश्टो मुखर्जी का जन्म ७ अगस्त १९०५ को मुंबई यानि उस समय के बॉम्बे में हुआ था। उन्होंने अपने अभिनय सफर की शुरुआत बंगाली फिल्मों से की। उन्होंने लोकप्रिय निर्देशक ऋत्विक घटक की बारी थेके पालिये ,अजंत्रिक , नागरिक और जुक्ति टक्को आर गप्पो आदि फिल्मों में काफी महत्वपूर्ण भूमिकायें अभिनीत की। यूं तो केश्टो ने सन १९५७ में फिल्म "मुसाफिर " हिंदी फिल्मों में अपनी शुरुआत की। लेकिन शराबी की भूमिका जिसके लिए वो लोकप्रिय हुए उन्हें १९७० में रिलीज़ फिल्म " माँ और ममता " में मिली।
हुआ कुछ यूँ कि निर्देशक असित सेन को एक ऐसे अभिनेता की जरूरत थी जो शराबी का किरदार अभिनीत कर सके और केश्टो मुखर्जी को काम की तलाश थी। हालाँकि इस फिल्म से पहले केश्टो ने मुसाफिर , खजांची , राखी और रायफल , मासूम , परख , आरती, आशिक , प्रेम पत्र , असली नकली ,राहु केतु ,बीवी और मकान , मँझली दीदी , अपना घर अपनी कहानी ,पड़ोसन , पिंजरे के पंछी और अनोखी रात आदि फिल्मों में काम किया था।
निर्देशक असित सेन ने अपनी फिल्म में केश्टो को शराबी की भूमिका दी और केश्टो ने भी उस भूमिका को ऐसे निभाया कि उनका शराबी किरदार दर्शक क्या फिल्म निर्माता- निर्देशकों को भी बेहद पसंद आया बस फिर क्या था जब भी किसी फिल्म में शराबी की भूमिका हो अभिनेता बस केश्टो ही होते थे। हर फिल्म में शराबी की उनकी भूमिका इतनी सशक्त होती थी कि लोग समझने लगे कि वो पक्के शराबी हैं। जबकि असल में ऐसा बिलकुल भी नहीं था।
Friday, March 13, 2020
5 वां भारत आइकन अवॉर्ड
कहानी -- हिंदी फिल्म -- अंग्रेजी मीडियम
Wednesday, March 11, 2020
गणेश आचार्या ने निर्देशक मनोज शर्मा की फिल्म "खली बली " के टाइटल ट्रैक को कोरियोग्राफ करने के साथ उसमें ऐक्ट भी किया
Sunday, March 8, 2020
महिला दिवस का उत्सव... हर रोज!
मैदान ने क्यों कोई झंडे नहीं गाड़े समझ नहीं आया जबकि यह बेहतरीन फिल्म है
कल मैने प्राइम विडियो पर प्रसारित निर्देशक अमित रविंद्रनाथ शर्मा और अभिनेता अजय देवगन की फिल्म "मैदान" देखी। अजय देवगन की यह फि...
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जग घुम्या, लौंग गवाचा, काला डोरिया जैसे सुपर हिट गानों की गायिका नेहा भसीन एक बार पुनः चर्चा में है अपने नए पंजाबी लोक गीत कुट ...
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योगेश लखानी ने इस साल अपने जन्मदिन पर एक नहीं बल्कि दस केक काटे। सुबह से लोगों ने उन्हें बधाई दी और रात तक अलग - अलग जगह पर उन्होंने केक...