बड़े परदे के साथ - साथ उन्होंने अपने अभिनय का जलवा छोटे परदे पर भी बिखेरा और जी भर कर दर्शकों को हँसाया। जी हाँ हम बात कर रहे हैं हास्य अभिनेता सतीश शाह की। जिन्होंने फिल्म "मैं हूँ ना " में टीचर बन कर हँसाया तो फिल्म "भूतनाथ" में ऐसे प्रिंसिपल की भूमिका निभायी जो बच्चों का टिफिन खा जाता था। २५ जून १९५१ को जन्मे सतीश शाह ने हिंदी फिल्मों के साथ - साथ मराठी फिल्मों में भी अभिनय किया है। उन्होंने अपना अभिनय कॅरियर शुरू किया १९७० में फिल्म "भगवान परशुराम " से।लेकिन सतीश दर्शकों में लोकप्रिय हुए १९८४ के टी वी धारावाहिक "ये जो है जिंदगी " से। कुंदन शाह और मंजुल सिन्हा के इस धारावाहिक में उन्होंने ५५ एपिसोड में ५५ अलग - अलग किरदार अभिनीत किये ,जो कि अपने आप में एक रिकॉर्ड है।
सतीश शाह की कॉमिक टाइमिंग बहुत ही गज़ब की है। उन्होंने १९९५ में ज़ी टी वी पर प्रसारित शो "फ़िल्मी चक्कर " में काम किया और यहाँ भी उन्होंने दर्शकों का खूब मनोरंजन किया। हास्य धारावाहिक "साराभाई वर्सेज साराभाई " में उन्होंने इंद्रवदन की भूमिका बहुत ही लाजवाब तरीके से निभाई। यह हास्य धारावाहिक आज भी दर्शकों में बहुत लोकप्रिय है।इन दोनों ही धारावाहिकों में उनकी जोड़ी अभिनेत्री रत्ना पाठक शाह के साथ थी। अभिनेत्री स्वरूप सम्पत के साथ इन्होने ये जो है जिंदगी और ऑल डी बेस्ट आदि दो धारावाहिकों में काम किया। २००७ में हास्य शो "कॉमेडी सर्कस " में उन्होंने जज की भी भूमिका भी निभायी।
यूँ तो सतीश शाह ने करीब २५० फिल्मों में अभिनय किया है लेकिन उनकी कुछ भूमिकायें ऐसी हैं जिन्हें आज भी याद करने से हम सभी के चेहरे पर मुस्कान आ जाती हैं। सबसे पहले हम बात करते हैं १९८४ में आयी फिल्म "जाने भी तो यारों " की। निर्देशक कुंदन शाह की इस फिल्म में उन्होंने नगर निगम आयुक्त डी मेलो की भूमिका निभायी थी। बहुत ही अच्छा अभिनय किया था उन्होंने। यह फिल्म क्लासिक फिल्म मानी जाती है। १९८८ में आयी फिल्म "मालामाल " में उनकी शानदार भूमिका थी। १९९४ की फिल्म "कभी हाँ कभी ना " में सतीश ने साइमन का किरदार अभिनीत किया था। इसी साल आयी फिल्म "हम आपके कौन " में उन्होंने हँसने हँसाने वाले डॉ बनकर दर्शकों का मनोरंजन किया। १९९५ की सबसे लोकप्रिय फिल्म "दिल वाले दुल्हनियाँ ले जायेगें " में सतीश ने अमरीश पुरी के दोस्त अजित सिंह का किरदार अभिनीत किया था। १९९६ की फिल्म "जुड़वाँ " में उन्होंने हवलदार बन कर दर्शकों को खूब हँसाया।१९९९ की लोकप्रिय फिल्म "हम साथ - साथ हैं " में सतीश ने अभिनेत्री सोनाली बेंद्रे के पिता की भूमिका अभिनीत की। २००२ की फिल्म "साथिया " में उन्होंने विवेक ओबेरॉय के पिता की सशक्त भूमिका अभिनीत की। यही नहीं उन्होंने फिल्म "चलते चलते" मनुभाई का शानदार किरदार अभिनीत किया।फिल्म "कल हो न हो " में उन्होंने सैफ अली खान पिता कृष्ण भाई पटेल यानि एक गुज्जू की भूमिका अभिनीत की। इसी तरह "मस्ती " में डॉ कपाड़िया बने सतीश शाह और फिल्म "मैं हूँ ना " में ऐसे प्रोफ़ेसर का किरदार निभाया जो कि जब जब बात करता था उसके मुँह से इतना थूक निकलता था सामने वाले के चेहरे पर गिरता था। २००७ में आयी फिल्म "ओम शांति ओम " में वो पार्थो दास बने , भूतनाथ में वो प्रिंसिपल बने तो कि छोटे छोटे बच्चों का टिफिन खा जाता था। २०११ में आयी शाहरुख़ खान की फिल्म "रा वन" में वो अय्यर अंकल बने . सतीश शाह की आखिरी फिल्म आयी २०१४ में साजिद खान की "हमशकल्स। " इसमें वो वाय एम राज के किरदार में थे।
इन फिल्मों के अलावा कुछ अन्य फिल्मों में भी उन्होंने अभिनय किया, वो हैं ---अरविन्द देसाई की अजीब दास्ताँ , गमन , उमराव जान ,अलबर्ट पिंटो को गुस्सा क्यों आता है ,शक्ति , पुराना मंदिर ,अनोखा रिश्ता , मैं बलवान , अपने अपने , कलयुग और रामायण ,जान हथेली पे , मार धाड़ , वीराना ,साथ -साथ , अर्ध सत्य ,मोहन जोशी हाज़िर हो , भगवान दादा , अंजाम , आग और शोला ,लव ८६ , घर में राम गली में श्याम ,घर वाली बाहर वाली ,पुरानी हवेली ,हातिम ताई , मेरा पति सिर्फ मेरा है ,थानेदार , जान पहचान ,बेनाम बादशाह , नरसिम्हा ,आशिक आवारा , सैनिक बाज़ी , अकेले हम अकेले तुम ,साजन चले ससुराल ,हीरो नंबर वन , हिमालय पुत्र , गुलाम ए मुस्तफा , सात रंग के सपने, प्रेम अगन , तिरछी टोपी वाले , कहो न प्यार है, फिर भी दिल है हिंदुस्तानी ,इश्क़ विश्क , हर दिल जो प्यार करेगा ,ओम जय जगदीश ,मुझसे दोस्ती करोगे , जीना सिर्फ मेरे लिए , मुझसे शादी करोगी , राम जी लंदन वाले ,शादी नंबर वन , फ़ना , दीवाना तेरे नाम का , जस्ट मैरिड ,मिलेगें मिलेगें , खिचड़ी रमैया वस्तावैया ,क्लब ६० आदि।
सतीश शाह का पूरा नाम सतीश रविलाल शाह है। इनकी अभिनय को अपना पेशा बनाने के पीछे भी कहानी है वो यह कि वो बचपन से ही सतीश खेलों के शौक़ीन थे और इसी क्षेत्र में ही अपना कैरियर बनाना चाहते थे लेकिन एक बार स्कूल के स्टेज पर वो उन्होंने ऐसा शानदार अभिनय किया और तारीफें पायी बस उन्होंने सोच लिए कि अब तो फिल्मों में अभिनय करना ही है।
सतीश शाह को भी कोरोना हो गया था लेकिन अब वो पूरी तरह से स्वस्थ होकर अपने घर में आराम कर रहे हैं।
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