Friday, December 6, 2019

कहानी - हिंदी फिल्म -- पानीपत

कहानी - हिंदी फिल्म -- पानीपत 
रिलीज़ -- ६ दिसंबर 
बैनर --  आशुतोष गोवारिकर प्रोडक्शंस , विजन वर्ल्ड फिल्म्स 
निर्माता -- सुनीता गोवारिकर , रोहित शेलटकर 
निर्देशक -- आशुतोष गोवारिकर 
संवाद -- अशोक चक्रधर 
पटकथा -- चंद्रशेखर, धवलीकर, रणजीत बहादुर , आदित्य रावल , आशुतोष गोवारिकर  
लाकार -- अर्जुन कपूर , संजय दत्त , कृति सेनन  
संगीत -- अजय - अतुल 
गीत -- जावेद 
आवाज़ --अजय - अतुल , गुणाल गांजावाला ,स्वप्निल बंदोदकर , सुदेश  भोसलें , पद्मनाभ गायकवाड़ , प्रियंका बर्वे , दीपांशी नागर 

निर्देशक आशुतोष गोवारिकर ने निर्देशक बनने से पहले एक अभिनेता के तौर पर कई फिल्मों और टी वी धारावाहिकों मेअभिनय किया है। बतौर निर्देशक आशुतोष की पहली फिल्म थी पहला नशा ( १९९३ ) इसके बाद बाज़ी ( १९९५ ) लगान ( २००१ ) स्वदेस ( २००४ ) जोधा अकबर ( २००८ ) व्हाट्स योर राशि (२००९ ) खेलें हम जी जान से ( २०१० ) मोहन जोदड़ो ( २०१६ ) आदि फ़िल्में आयी।  फ़िल्म कल हो न हो, वांटेड , सलामे इश्क़, नो एंट्री आदि फिल्मों में सहायक के रुप में काम करने के बाद अर्जुन कपूर ने २०१२ फ़िल्म इश्कजादे से अपना अभिनय सफर शुरू किया। अभी तक अर्जुन की तेवर, २ स्टेटस, औरंगजेब, गुण्डे, फाइंडिंग फैनी, की एंड का , नमस्ते इंग्लैंड,  इंडियाज मोस्ट वांटेड आदि फिल्में आ चुकी हैं। २०१४ में फिल्म "हीरोपंती " से अपने अभिनय  की शुरुआत करने वाली अभिनेत्री कृति सेनन ने अब तक दिलवाले , राब्ता ,बरेली की बर्फी ,लुकाछिपी ,अर्जुन पटियाला और हॉउसफुल - ४ आदि फिल्मों में अभिनय किया है।  यूँ तो संजय दत्त ने अनेकों फिल्मों में काम किया लेकिन पिछले २- ३ सालों की उनकी फ़िल्में हैं भूमि ,साहेब बीवी और गैंगस्टर - ३ ,कलंक और प्रस्थानम।  फिल्म "प्रस्थानम " के निर्माता भी संजय दत्त ही थे। 

ऐतिहासिक फिल्म "पानीपत " की कहानी इस प्रकार है --- १८ वीं शताब्दी में पूरे भारत में मराठा राज्य था।  मराठा  साम्राज्य सबसे अधिक शक्तिशाली  था। लेकिन मराठों की ख़ुशी ज्यादा दिनों तक कायम नहीं रह सकी क्योंकि अफगान राजा अहमद शाह अब्दाली (संजय दत्त ) ने भारत पर कब्ज़ा करने की अपनी योजना बना ली।  अफगान राजा अहमद शाह अब्दाली अपने साथ एक लाख सैनिकों की फौज लेकर आया  जिसका सामना मराठा पेशवा सदाशिव भाऊ ( अर्जुन कपूर ) ने   ।  मराठा पेशवा सदाशिव भाऊ अब्दाली को १ इंच जमीन के लिए भी मरने मारने के लिए था। इस प्रकार मराठा और अब्दाली दोनों सेनाओं के बीच पानीपत की तीसरी लड़ाई हुई। 

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