हिंदी फिल्मों का सदा बहार नायक जिन्हें कहा जाता है आज उनका जन्मदिन है। अगर देव साहब आज जीवित होते तो ९५ वर्ष ( २६ सितम्बर १९२३ ) के होते। वो आज भी हमारे बीच हैं अपनी उम्दा फिल्मों और अभिनय के साथ। हालाँकि मैंने उनकी ज्यादा फ़िल्में नहीं देखी हैं क्योंकि जब मैं १० वीं - १२ वीं में आयी तब कुमार गौरव, सनी देओल, जैकी श्रॉफ, मिथुन चक्रवर्ती, अनिल कपूर जैसे नायकों का जमाना था। उस समय देव आनंद, राज कपूर, राजेंद्र कुमार जैसे अभिनेता पुराने हो चुके थे। इन अभिनेताओं की फ़िल्में टी वी में देखी जा सकती थी। तो ऐसे ही किसी समय टी वी पर देव साहब की फिल्म "बंबई का बाबू " आ रही थी. इस फिल्म की तारीफ़ मैंने अपने घर के बड़ो से सुन रखी थी साथ ही मैंने देव आनंद साहब की तारीफ में बहुत कुछ और भी सुना हुआ था जैसे कि जब वो काले कपड़े पहनते थे तो लड़कियाँ उन्हें देखकर बेहोश हो जाती थी ( डर कर नहीं बल्कि उनकी ख़ूबसूरती देख कर ) बहुत ही आकर्षक लगते थे देव साहब , इसी तरह की अन्य बहुत सारी कहानियाँ। लेकिन तब तक मैंने उनकी कोई भी ऐसी फिल्म नहीं देखी थी जिसमें वो युवा हो। मैंने भी देव साहब की फिल्म "बंबई का बाबू " देखी लेकिन कोई विशेष उत्साह नहीं था मुझे इसे देखने का , लेकिन जब मैंने फिल्म देखी तो वाकई में फिल्म तो अच्छी थी , गीत - संगीत भी बहुत ही अच्छा था "दीवाना मस्ताना हुआ दिल "और "चल री सजनी अब क्या सोचे " जैसे गीत इस फिल्म के थे और साथ ही देव साहब का क्या कहना , जैसा सुना था उनके बारें में , बिल्कुल वैसे ही लग रहे थे। आकर्षक , खूबसरत दिल चुराने वाले। इस फिल्म के बाद मैंने उनकी कई फ़िल्में देखी जिनमें गाइड, प्रेम पुजारी, तेरे मेरे सपने , ज्वेल थीफ,जॉनी मेरा नाम, हरे रामा हरे कृष्णा , देस परदेस आदि।
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