हेलीकाप्टर ईला नाम कैसे पड़ा ?
अरे अजय देवगन के प्रोडक्शन में फिल्म बनी है , वो खुद मोटर साइकिल लेकर आये थे, फिर घोड़ों पर आये, तो उसी हिसाब से अबहेलीकाप्टर ईला आ रही है. वैसे जो भागती दौड़ती माँ होती है, उन्हें हेलीकाप्टर मॉम कह्ते हैं, वहीँ से ये बात आयी है . वैसे भी ये ईला पूरेटाइम बच्चे के ऊपर ध्यान देती रहती है.
आपकी मम्मी ईला की तरह थी ?
मम्मी ईला की तरह तो नहीं थी, मेरी माँ ने हमेशा बहुत उम्दा परवरिश दी है, मैं कोशिश करती हूँ की मेरे बच्चों की परवरिश भी कुछ वैसी हो. मेरी मम्मी ने हमेशा मुझे हर तरह से सपोर्ट किया है .
बच्चों को डिजिटल माहौल में कैसे समझाते हैं ?
हमने बच्चों को कोशिश की है की वो हर तरह की बातों को समझ सकें. माता पिता को ये बात बच्चों तक सही तरीके से भेजनी चाहिए. मेराबेटा भी अक्सर इनकम टैक्स, या जीएसटी जैसी बातें पूछता रहता है, उन्हें जो भी बातें सुनने को मिलती हैं, वो उसका सवाल जरूर पूछतेहैं.
रिद्धि के बारे में थोड़ा बताएं ?
रिद्धि के बारे में मुझे ज्यादा नहीं पता था , लेकिन जैसे जैसे शूट करते गए, उसकी प्रतिभा के बारे में पता चला, अच्छा अभनेता है औरकहानी की समझ है .
फिल्म में क्लासरूम में आप गयीं हैं ?
क्लासरूम में जाना अलग ही अनुभव था, सबलोग शूट में व्यस्त थे , वैसे तो ये शूटिंग थी लेकिन पूरी क्लासरूम की फीलिंग थी.
हेलीकाप्टर ईला कब शुरू हुयी ?
स्क्रिप्ट सुनते ही मैंने कह दिया था की मैं ये फिल्म कर रही हूँ, इसकी लिखावट कमाल की थी, मुझे इसकी कहानी से लेकर शूटिंग तकसबकुछ पसंद आयी . ये ऐसा किरदार है जिससे सबकोई रिलेट कर सकता है.
गाना आपका पसंदीदा?
मुझे सब गाने अच्छे लगे, और इसका 'यादों की आलमारी' गाना मुझे बेहद पसंद है.
स्कूल में आपकी टिफिन आती थी ?
मेरा ज्यादातर डब्बा नहीं आता था , अक्सर मैं डब्बा भूल जाया करती थी , डब्बे की यादें बहुत है.
अमिताभ बच्चन के साथ शॉट है ?
मैं तो नहीं हूँ उस सीन में, लेकिन अमित जी ने एक स्पेशल अपीयरेंस दिया है , अमित जी की मौजूदगी ने इसको और भी खिला दिया है .
बच्चों को ट्रेलर कैसा लगा ?
बच्चों को ट्रेलर बहुत बढ़िया लगा, लेकिन जहां मेरी आँखों से आंसू आने लगता है तो वो गुस्सा भी हो जाते हैं की वो कौन लड़का है जिसनेमेरी मम्मी को रुलाया .
आगामी फिल्म ?
अभी तक ऐसा कुछ भी नहीं है, बस हेलीकाप्टर ईला के प्रोमोशन चल रहे हैं , बातचीत चल रही है , लेकिन अभी तक कुछ भी निर्धारित नहींहुआ है. आजकल कहानियां किरदार के हिसाब से लिखी जा रही हैं. अलग अलग विधाएँ भी आ गयी हैं.