Thursday, September 27, 2018

नवंबर में नागराज मंजुले की फिल्म‘झुंड’ की शूटिंग शुरू करेंगे अमिताभ बच्चन

मेगास्टार अमिताभ बच्चन नवंबर में फिल्म निर्माता नागराज मंजुले की अगली फिल्मझुंडकी शूटिंग शुरू करेंगे। अमिताभ इस समय चल रहे अपने गेम शोकौन बनेगा करोड़पतिकी शूटिंग में व्यस्त है। शो की समाप्ति के बाद वे नागपुर में फिल्म की लगातार शूटिंग करेंगे।
सुपरहिट मराठी फिल्मसैराटके निर्देशक की आगामी फिल्मझुंडमें बच्चन एक प्रोफेसर की भूमिका में होंगे जो गली-मुहल्लों के लड़कों की एक फुटबॉल टीम तैयार करते हैं।
मंजुले ने एक बयान में कहा, ‘‘मैंने नागपुर शहर का चयन किया क्योंकि कहानी वहीं की है। मैं चाहता हूं कि देखने और अहसास में यह ज्यादा से ज्यादा वास्तविक लगे और मुंबई एवं पुणे से अलग नागपुर का अपना अद्वितीय आकर्षण, अनुभव और स्थानीय पुट हैं।  निर्देशक ने बताया कि बच्चन  के साथ काम करना एकसपने के सच होनेजैसा है। 

Wednesday, September 26, 2018

देव आनंद साहब के जन्म दिन पर कुछ स्मृतियाँ

हिंदी फिल्मों का  सदा बहार नायक जिन्हें कहा जाता है आज उनका जन्मदिन है। अगर देव साहब आज जीवित होते तो ९५ वर्ष ( २६ सितम्बर १९२३ ) के होते। वो आज भी हमारे बीच हैं अपनी उम्दा फिल्मों और अभिनय के साथ। हालाँकि  मैंने उनकी ज्यादा फ़िल्में नहीं देखी हैं क्योंकि जब मैं १० वीं - १२ वीं में आयी तब कुमार गौरव, सनी देओल, जैकी श्रॉफ, मिथुन चक्रवर्ती, अनिल कपूर  जैसे नायकों का जमाना था। उस समय देव आनंद, राज कपूर, राजेंद्र कुमार जैसे अभिनेता पुराने हो चुके थे।  इन अभिनेताओं की फ़िल्में टी वी में देखी जा सकती थी।  तो ऐसे ही किसी समय टी वी पर देव साहब की फिल्म "बंबई का बाबू " आ रही थी. इस फिल्म की तारीफ़ मैंने अपने घर के बड़ो से सुन रखी थी  साथ ही मैंने देव आनंद साहब की तारीफ में बहुत कुछ और भी सुना हुआ था  जैसे कि जब वो काले कपड़े पहनते थे तो लड़कियाँ उन्हें देखकर बेहोश हो जाती थी ( डर कर नहीं बल्कि उनकी ख़ूबसूरती देख कर ) बहुत ही आकर्षक लगते थे देव साहब , इसी तरह की अन्य बहुत सारी  कहानियाँ। लेकिन तब तक मैंने उनकी कोई भी ऐसी फिल्म नहीं देखी थी जिसमें वो युवा हो। मैंने भी देव साहब की फिल्म "बंबई का बाबू " देखी लेकिन कोई विशेष उत्साह नहीं था मुझे इसे देखने का , लेकिन जब मैंने फिल्म देखी तो वाकई में फिल्म तो अच्छी थी , गीत - संगीत भी बहुत ही अच्छा था "दीवाना मस्ताना हुआ दिल "और "चल री सजनी अब क्या सोचे " जैसे गीत इस फिल्म के थे और  साथ ही देव साहब का क्या कहना , जैसा सुना था उनके बारें में , बिल्कुल वैसे ही लग रहे थे।  आकर्षक , खूबसरत दिल चुराने वाले।  इस फिल्म के बाद मैंने उनकी कई फ़िल्में देखी जिनमें गाइड, प्रेम पुजारी, तेरे मेरे सपने , ज्वेल थीफ,जॉनी मेरा नाम, हरे रामा हरे कृष्णा , देस परदेस आदि।  

Monday, September 24, 2018

दुबई में हॉलीवुड फिल्म "ही इज बैक" का ग्रैंड मुहूरत हुआ



शोटाइम सिनेमा और एसबीएम स्टूडियो ने निनजूर पिक्चर्स के साथ एसोसिएशन में अपने महत्वाकांक्षी अंतरराष्ट्रीय प्रोजेक्ट को शुरू करने के लिए तैयार हैं – ही इज बैक. सुरेश शर्मा द्वारा निर्मित, जिन्होंने आखिरी नाटक ‘हल्ला बोल’ और सुरेश बाबू मालगे ने भी कई फिल्मों का निर्माण किया है और निर्देशक चिता यजनेश शेट्टी ने ‘हम तुमपे मरते है’ बनाई थी। दुबई में ही इज़ बैक लॉन्च किया गया जहां पर दुनियाभर के लोग उपस्थित थे। इस फिल्म  के उद्घाटन में दीप प्रज्वलित किया रॉयल एक्सीलेंसी ऑफ थाईलैंड मॉम लुआंग राजद्रारासरी जयंकुरा  ने , श्री किरसण इलुमिज़िनोव, रशियन फेडरेशन के फॉर्मर प्रेसिडेन्ट ऑफ काल्मिकिया और प्रिंस फ़िरूज़ अलेक्जेंडर सेफ्रे,मेंबर ऑफ रॉयल इंस्टीट्यूट ऑफ ब्रिटिश आर्किटेक्ट्स चार्टर्डआर्किटेक्ट रीबा, इंग्लैंड। अन्य प्रतिष्ठित अतिथि एडमंड अवाकियन, थॉमस फंग, फतेमाह हुसैन ज़मानी और लाज़र जैकोवल्जेविक थे।

ब्रूस ली द्वारा प्रेरित, फिल्म एक ऐसे थीम के ओर घूमती है कि कैसे एक गरीब लड़का दुनिया को बदलता है! फिल्म में मुख्य भूमिका एब ली की है, जो ब्रूस ली का एक बड़ा उपासक बनता है। यह पता चला है कि एब ली ब्रूस ली के ऐसे वफादार अनुयायी हैं कि उन्होंने अपने शरीर को ब्रूस ली शैली में भी बदल दिया है।

इस फिल्म में हॉलीवुड की बड़े कलाकारों के साथ मुख्य भूमिका में अभिनेत्री एलीना इलुमिज़िनोव भी शामिल हैं!

चिता यजनेश की कथा और रेजुल पुकुट्टी द्वारा आवाज, फिल्म में पटकथा और संवाद डेविड व्हाइट के है और फिल्म निर्माण व्यवसाय में बड़े अंतर्राष्ट्रीय नाम शामिल हैं, जिनमें डीओपी रॉस क्लार्कसन और विश्व प्रसिद्ध एक्शन डायरेक्टर केचा खंपकदी शामिल हैं। रॉकलाइन वेंकटेश ने क्लैप दिया और डॉ बी आर शेट्टी, अबू धाभी ने कैमरा स्विच किया। अमरजीत शेट्टी फिल्म के सह निर्माता हैं और विलियम बॉन्ड कार्यकारी निर्माता हैं।

मेरी माँ ने हमेशा बहुत उम्दा परवरिश दी है - काजोल



हेलीकाप्टर ईला नाम कैसे पड़ा ?
अरे अजय देवगन के प्रोडक्शन में फिल्म बनी है , वो खुद मोटर साइकिल लेकर आये थेफिर घोड़ों पर आयेतो उसी हिसाब से अबहेलीकाप्टर ईला  रही हैवैसे जो भागती दौड़ती माँ होती हैउन्हें हेलीकाप्टर मॉम कह्ते हैंवहीँ से ये बात आयी है . वैसे भी ये ईला पूरेटाइम बच्चे के ऊपर ध्यान देती रहती है

आपकी मम्मी ईला की तरह थी ?
मम्मी ईला की तरह तो नहीं थीमेरी माँ ने हमेशा बहुत उम्दा परवरिश दी हैमैं कोशिश करती हूँ की मेरे बच्चों की परवरिश भी कुछ वैसी होमेरी मम्मी ने हमेशा मुझे हर तरह से सपोर्ट किया है . 

बच्चों को डिजिटल माहौल में कैसे समझाते हैं ?
हमने बच्चों को कोशिश की है की वो हर तरह की बातों को समझ सकेंमाता पिता को ये बात बच्चों तक सही तरीके से भेजनी चाहिएमेराबेटा भी अक्सर इनकम टैक्सया जीएसटी  जैसी बातें पूछता रहता हैउन्हें जो भी बातें सुनने को मिलती हैंवो उसका सवाल जरूर पूछतेहैं

रिद्धि के बारे में थोड़ा बताएं ?
रिद्धि के बारे में मुझे ज्यादा नहीं पता था , लेकिन जैसे जैसे शूट करते गएउसकी प्रतिभा के बारे में पता चलाअच्छा अभनेता है औरकहानी की समझ है . 

फिल्म में क्लासरूम में आप गयीं हैं ?
क्लासरूम में जाना अलग ही अनुभव थासबलोग शूट में व्यस्त  थे , वैसे तो ये शूटिंग थी लेकिन पूरी क्लासरूम की फीलिंग थी

हेलीकाप्टर ईला कब शुरू हुयी ?
स्क्रिप्ट सुनते ही मैंने कह दिया था की मैं ये फिल्म कर रही हूँइसकी लिखावट कमाल की थीमुझे इसकी कहानी से लेकर शूटिंग तकसबकुछ पसंद आयी . ये ऐसा किरदार है जिससे सबकोई रिलेट कर सकता है

गाना आपका पसंदीदा?
मुझे सब गाने अच्छे लगेऔर इसका 'यादों की आलमारीगाना मुझे बेहद पसंद है

स्कूल में आपकी टिफिन आती थी ?
मेरा ज्यादातर डब्बा नहीं आता था , अक्सर मैं डब्बा भूल जाया करती थी , डब्बे की यादें बहुत है

अमिताभ बच्चन के साथ शॉट है ?
मैं तो नहीं हूँ उस सीन मेंलेकिन अमित जी ने एक स्पेशल अपीयरेंस दिया है , अमित जी की मौजूदगी ने इसको और भी खिला दिया है .

बच्चों को ट्रेलर कैसा लगा ?
बच्चों को ट्रेलर बहुत बढ़िया लगालेकिन जहां मेरी आँखों से आंसू आने लगता है तो वो गुस्सा भी हो जाते हैं की वो कौन लड़का है जिसनेमेरी मम्मी को रुलाया . 

आगामी फिल्म ?
अभी तक ऐसा कुछ भी नहीं हैबस हेलीकाप्टर ईला के प्रोमोशन चल रहे हैं , बातचीत चल रही है , लेकिन अभी तक कुछ भी निर्धारित नहींहुआ है.  आजकल कहानियां किरदार के हिसाब से लिखी जा रही हैंअलग अलग विधाएँ भी  गयी हैं

मैदान ने क्यों कोई झंडे नहीं गाड़े समझ नहीं आया जबकि यह बेहतरीन फिल्म है

  कल  मैने प्राइम विडियो पर प्रसारित निर्देशक अमित रविंद्रनाथ शर्मा और अभिनेता अजय देवगन की फिल्म "मैदान" देखी। अजय देवगन की यह फि...