Friday, May 19, 2017

संवाद तो उन्हें हिंदी में ही बोलने होते हैं --- इरफ़ान खान

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इरफ़ान खान की फिल्मों का इंतज़ार हर दर्शक को होता है।  जल्दी ही उनकी फिल्म "हिंदी मीडियम आने वाली है पहले उनकी फिल्म बिग बी की फिल्म "सरकार ३ " के साथ आने वाली थी लेकिन बाद में निर्माताओं ने रिलीज़ की तारीख़ एक सप्ताह बाद की निश्चित कर ली है । "हिंदी मीडियम" बॉक्स ऑफिस पर क्या करवट लेती है यह तो रिलीज़ पर ही पता चलेगा क्योंकि  पिछले साल भी इरफ़ान की फिल्म "मदारी " और अक्षय कुमार की फिल्म "रुस्तम " की रिलीज़ एक साथ ही थी। दीपिका के साथ भी इरफ़ान की एक फिल्म बनने वाली है। इसके अलावा उनके  होम प्रोडक्शन में भी दो फिल्मों की तैयारी चल रही है। इसके अलावा और भी कई अन्य बातों के बारें में इरफ़ान से खुल कर बात हुई।  पेश हैं कुछ अंश ---
 
आपकी पढ़ाई किस मीडियम में हुई ?
अंग्रेजी मीडियम  में पढ़ाई हुई है , हमारे स्कूल का नियम था कि हिंदी में  बोलने पर सजा मिलेगी और मुझे अक्सर ही सज़ा मिलती थी क्योंकि मेरी अँग्रेजी कमजोर थी। 

फ़िल्मी दुनिया में कौन सा मीडियम चलता है हिंदी या अंग्रेजी ?
स्टोरी टेलिंग में तो लोगों को मज़बूरी में हिंदी ही बोलनी पड़ती है हाँ सर्किल में तो अंग्रेजी ही चलती  है. हमारे देश के २० सफल लोगों की हम बात करें तो उनकी पढ़ाई हिंदी में ही हुई है और फिल्मों की बाते करें तो जितने भी सुपर स्टार हैं हमारे फिल्मों के,  उन सबकी हिंदी बहुत ही अच्छी है जैसे  दिलीप कुमार , अमिताभ बच्चन , राजेश खन्ना , नसीरद्दीन शाह,देव आनंद और राज कपूर।  आज के कलाकारों की बात करें तो उनकी पढ़ाई अंग्रेजी में ही हुई है तो अंग्रेजी में ही सोचते हैं हाँ संवाद तो उन्हें हिंदी में ही बोलने होते हैं। हमारी फिल्मों के गीत जो इतने लोकप्रिय  हैं वो भी  हिंदी भाषा की वजह से ही हैं। 
 
हिंदी की स्थिति इतनी ख़राब क्यों है ?
क्योंकि हमारे यहाँ लोगों का सोचना है कि अगर किसी को अंग्रेजी नहीं आती तो उसे कुछ भी  नहीं आता।  दूसरा सबसे बड़ा कारण यह है कि हमारे पास हिंदी मीडियम के अच्छे स्कूल ही नहीं हैं , सरकार ने भी हिंदी स्कूलों की तरफ ध्यान नहीं दिया है सब अंग्रेजी स्कूल हैं। सब लोग सोचते हैं कि हमें अपने बच्चों को अगर किसी क़ाबिल बनाना है तो उसे बस अंग्रेजी स्कूल में पढ़ना चाहिये।  
 
पिछले दिनों लाऊड स्पीकर को लेकर बहुत ट्वीट हुए, बहस हुई।  आप क्या सोचते हैं  बारें में ?
क्या हमारा समाज आवाज़ों को लेकर संवेदनशील हैं ? दूसरे देशों में हॉर्न पर पाबन्दी है जबकि हमारे यहाँ गाड़ियों के सबसे ज्यादा हॉर्न बजते हैं। हॉस्पिटल के पास में तेज़ आवाज़ में डिस्कोथिक चलता है तो क्या कभी किसी ने इसके बारें में सोचा है। क्यों किसी नागरिक को किसी आवाज़ से परेशानी होती है यह सोचने वाली बात है। उसमें सिर्फ अज़ान ही शामिल है या दूसरी आवाजों से भी दिक़्क़त है।  अगर हम आवाजों को लेकर सच में  संवेदनशील हैं तब तो बहुत सारे मुद्दें उठेंगे। 

बॉक्स ऑफिस नंबर कितना मायने रखता है  आपके लिये ?
बॉक्स ऑफिस मायने तो रखता ही है फिल्म चलेगी तो हमें हमारा पैसा भी मिलेगा ,फिल्म को दर्शक तो मिलने ही चाहिये , मुनाफ़ा मिले चाहे वो किसी भी तरह से , वैसे अब तो कई नए प्लेटफॉर्म भी हैं जिन पर फिल्मों को फायदा मिल ही जाता है। 

आप कोई बॉयोपिक भी कर रहे हैं? 
मैं बहुत सारी बॉयोपिक करना चाहता हूँ. कई नाम भी हैं मेरे दिमाग़ में लेकिन मैं  अभी उनका नाम नहीं लेना चाहता।  

मदारी के बाद होम प्रोडक्शन में भी कोई फ़िल्में बना रहे हैं?
दो स्क्रिप्ट  हैं मेरे पास, यह बिल्कुल भी जरुरी नहीं कि मैं उनमें काम करूँगा ही, अगर अच्छी भूमिका हुई चाहे छोटी ही हुई तो करूँगा।  

अन्य दूसरी कौन सी फ़िल्में आप कर रहे  हैं? 
एक टी सीरीज़ के साथ है और एक ज़ी के साथ है एक के निर्देशक अभिनय देव है और दूसरी की निर्देशक तनूजा चन्द्रा है और एक हॉलीवुड की फिल्म भी है जिसके बारें में मैं ज्यादा नहीं बात कर सकता।
आपने हमेशा कहा है कि पैसे और प्रसिद्धि से ज्यादा, आप जीवन का अनुभव करने के लिए काम करना चाहते हैं। क्या अच्छे काम का  मिलना मुश्किल बात नहीं है ?
हाँ, यह बहुत मुश्किल है पहले मैं बैचेन हो जाता था अच्छे काम के इंतज़ार में लेकिनअब ऐसा नहीं है।  मैं ईश्वर से प्रार्थना भी करता हूँ कि भगवान न करे कि मुझे कभी बस पैसे के लिए ही काम करना पड़े।

बेटे को लेकर कोई योज़ना है ?
नहीं कोई योज़ना नहीं है।  मैं उसको वो सारा माहौल दूँगा जिसकी उसे जरूरत है लेकिन सब कुछ उसे ही करना होगा अपनी योजना खुद ही बनानी होगी। 
 
दीपिका के साथ एक बार फिर काम करने जा रहे हैं क्या कुछ कहेगें आप ?
दीपिका के साथ मैं सौ बार भी काम कर सकता हूँ। उनके साथ मुझे बहुत ही ख़ूबसूरत अनुभव हुए पीकू में। 

ऑटोबायॉग्रफी लिखने का कोई विचार ?
नहीं बिल्कुल नहीं , मुझे नहीं लगता है कि मेरे जीवन में ऐसा कुछ है जिस पर किताब लिखी जाये।  मेरे पास ५ साल से ऑफर है अच्छे पब्लिकेशन का, लेकिन मैं तैयार नहीं हूँ। 

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