रिलीज़ ---- १९ मई
बैनर -- टी सीरीज़ , मैडॉक फिल्म्स।
निर्माता --- भूषण कुमार, कृष्ण कुमार और दिनेश विजन।
निर्देशक -- साकेत चौधरी।
कहानी और पठकथा -- साकेत चौधरी और ज़ीनत लखानी।
कलाकार --- इरफ़ान खान , सबा कमऱ और दीपक डोबरियाल।
संगीत --- सचिन जिग़र
बैक ग्रॉउंड संगीत --- अमर मोहिले
निर्देशक साकेत चौधरी ने इस फिल्म से पहले "प्यार के साइड इफेक्ट्स " और "शादी के साइड इफ़ेक्टस " भी निर्देशित की थी। इसके अलावा साकेत ने संतोष सिवान की फिल्म "अशोका " को भी लिखा है ,साथ में इन्होने अनेकों टी वी धारावाहिकों को भी लिखा है. सन २००३ में इरफ़ान और दीपक ने विशाल भारद्वाज की फिल्म "मक़बूल " में काम किया था। १४ सालों के बाद फिर से दोनों "हिंदी मीडियम" में एक साथ दिखाई देंगे। इरफ़ान खान की यह फिल्म "हिंदी मीडियम" पहले बिग बी की फिल्म "सरकार ३" के साथ १२ मई को रिलीज़ हो रही थी लेकिन बाद में फिल्म निर्माताओं ने इसकी तारीख़ को एक सप्ताह बढ़ा कर १९ मई कर दिया। वैसे कोई भी तारीख़ हो इरफ़ान खान की फिल्म का दर्शकों को हमेशा ही इंतज़ार रहता है।
दीपक डोबरियाल को दर्शक फिल्म " तनु वेड्स मनु" के पप्पी के नाम से ज्यादा पहचानते हैं। फिल्मों में आने से पहले दीपक ने दिल्ली में थियेटर किया है। दीपक ने मक़बूल, ओमकारा, गुलाल , मुंबई कटिंग, दायें या बायें , शौर्य , १९७१ , तनु वेड्स मनु , तनु वेड्स मनु रिटर्न्स , प्रेम रतन धन पायों आदि फिल्मों में भी अभिनय किया है। "हिंदी मीडियम" में पाकिस्तानी अभिनेत्री सबा क़मर भी है। सबा ने अनेकों लोकप्रिय टी वी धारावाहिकों में अभिनय किया है।
फिल्म "हिंदी मीडियम" दिखाती है कि किस कदर हमारे ऊपर अँग्रेजी का जूनून सवार है जिसे अँग्रेजी बोलनी नहीं आती तो समझ लो उसका जीवन तो बिलकुल ही बर्बाद है.आज हिंदी भाषा की बहुत बुरी दुर्दशा है। "हिंदी मीडियम" फिल्म आज के हर उस माता पिता की सच्ची कहानी को दिखाती है जो अपने बच्चे को अच्छे अँग्रेजी स्कूल में पढ़ा लिखा कर क़ाबिल बनाने का सपना देखते हैं।
ऐसे ही माता पिता है राज ( इरफ़ान खान ) और मीता ( सबा क़मर ) जो कि अपनी ३ साल की बच्ची का किसी अच्छे नर्सरी स्कूल में दाख़िला कराना चाहते हैं। इसके लिए चांदनी चौक में साड़ियों की दुकान चलाने वाला मध्यम वर्गीय राज दिल्ली की उच्च वर्गीय रिहायशी इलाके में अपना घर भी लेता है और उसी तरह का जीवन जीना भी शुरू कर देता है लेकिन फिर भी उसकी बेटी को स्कूल में दाख़िला नहीं मिला पाता। अपनी बेटी को अच्छे अंग्रेजी स्कूल में दाख़िला दिलाने के लिए राज और मीता को अनेकों दिक्कतों का सामना करना पड़ता है और क्या फिर भी उनकी बेटी का दाख़िला अंग्रेजी स्कूल में हो पाता है ? यही है कहानी है फिल्म "हिंदी मीडियम" की.
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