
फिल्म हिंदी मीडियम में ऐसा क्या है जिसे दर्शक देखना पसंद करेगें ?
क्योंकि यह फिल्म उन सभी माता पिता के जीवन से जुड़ी हुई है जो कि चाहते हैं कि उनके बच्चे अंग्रेजी स्कूल पढ़ कर क़ाबिल बन जायें लेकिन उन्हें बच्चों के एडमिशन में कितनी दिक्क़तों का सामना करना पड़ता है। यह सब बहुत ही मज़ेदार तरीकों से दिखाया है निर्देशक ने।
अंग्रेजी भाषा इतनी जरुरी क्यों है हमारे देश में ?
पता नहीं क्यों लोगों के दिमाग़ में अंग्रेजी को लेकर ऐसा कुछ है। लोगों की सोच सही नहीं है।
फ़िल्मी दुनिया में कितनी बोली जाती है ?
बहुत बोली जाती है लेकिन तकनीकी विभाग तो अंग्रेजी में बोलता है क्योंकि इस विभाग में अलग - अलग जगह के होते हैं कोई केरल का है कोई कहीं दूसरी जगह का तो किसी को हिंदी नहीं आती इसलिये साथ में काम करने के लिए अंग्रेजी में बात करनी पड़ती है। लेकिन लेखकों और कलाकारों से मेरी प्रार्थना हैं कि वो हिंदी में बात करें क्योंकि वो सीधे अपने प्रशंसकों से जुड़े हुए होते हैं।
आपकी शिक्षा किस माध्यम में हुई ? आपकी सोच नहीं बदली अंग्रेजी को लेकर ?
हिंदी में ही हुई मेरी पढ़ाई , हिंदी में ही सोचता हूँ ,हिंदी में ही थियेटर किया और अब हिंदी फिल्मों में ही काम कर रहा हूँ. मैं कभी भी अंग्रेजी से ज्यादा प्रभावित हुआ.
इरफ़ान के काम करके कितना मज़ा आया ?
बहुत ही मज़ा आया। मैंने १२ साल पहले भी उनके साथ मक़बूल में काम किया था।
विनोद खन्ना जी के साथ आप काम कर चुके हैं बताइये कुछ अनुभव ?
विनोद खन्ना जी वो इतने बड़े कलाकार थे । बहुत ही अच्छा स्वभाव था उनका, मेरे कंधे पर हाथ रख कर बात कर रहे थे। मेरे काम को उन्होंने बहुत पसंद किया। उन्होंने ही मुझे सलमान भाई से मिलवाया था। अपने साथ बैठाया मुझे।
क्या आपको भी लाऊड स्पीकर की आवाज़ परेशान करती है ?
नहीं , मुझे हर जगह से संगीत ही सुनाई देता है चाहे अज़ान हो मंदिर की घंटियाँ हो चाहे किसी की गायकी हो।
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