"द लीजेंड ऑफ़ माइकल मिश्रा" यह नाम है उस हास्य फिल्म का जो कि ५ अगस्त को रिलीज़ होने वाली है। इस फिल्म के निर्देशक हैं मनीष झा , जिन्होंने इस फिल्म से पहले गंभीर फ़िल्में ही बनायी हैं। बिहार के रहने वाले मनीष की पहली डाक्यूमेंट्री फिल्म "वैरी वैरी साइलेंट फिल्म " को कान्स फिल्म फेस्टिवल में सन २००२ का बेस्ट जूरी अवार्ड मिला था। सन २००३ में मनीष ने दिल को छू लेने वाली बहुत ही संवेदनशील फिल्म बनाई "मातृभूमि - ए नेशन विध ऑउट वीमेन " कन्या भ्रूण हत्या पर बनी इस फिल्म को भी देश - विदेश में कई अवार्ड मिले। इसके बाद २००७ में आयी फिल्म "अनवर " को भी दर्शकों ने पसन्द किया था। इसके बाद २००८ में फिल्म "मुम्बई कटिंग " में कई निर्देशकों ने अलग अलग कहानियों को निर्देशित किया था इनमे से एक मनीष भी थे , उनकी फिल्म का नाम था "एंड इट रैण्ड ", लेकिन अब मनीष एक नये ही अवतार में दर्शकों के सामने आ रहे हैं अरशद वारसी , अदिति राव हैदरी , बमन ईरानी और काजोय ईरानी की मुख्य भूमिका वाली हास्य फिल्म "द लीजेण्ड ऑफ़ माइकल मिश्रा " को लेकर। सोचिये जिस फिल्म का नाम ही कुछ अजीब सा है उस फिल्म की कहानी कितनी अजीब होगी। यही जानने के लिए हमने मनीष झा से मुलाकात की। पेश हैं कुछ मुख्य अंश --
फिल्म का नाम कुछ अजीब है "द लीजेंड ऑफ़ माइकल मिश्रा " कितने बड़े लीजेंड हैं यह आपके माइकल ?
बहुत बड़े लीजेंड है माइकल , उन्हें बेपनाह प्यार है अपनी वर्षा शुक्ला से, उसे पाने के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार हैं , यहाँ तक कि ५०० साल तक जेल जाने को तैयार है. तो आप ही सोचिये कितने बड़े लीजेंड हैं वो।
हैं। पटना के किडनैपिंग स्पेशलिस्ट है वो कुछ भी किडनैप करते हैं यानि की ज्यादा दूध देने वाली भैंस को भी किडनैप कर लेते हैं। दिमाग कम और दिल बहुत बड़ा है माइकल का .
हाँ बहुत नये हीरो हैं लेकिन कितने भी नये लड़के आ जाये कॉमेडी में अरशद की जो टाइमिंग है वो आज किसी भी कलाकार में नही है. इस फिल्म से पहले मैं अरशद से कभी मिला भी नही था लेकिन जब मैंने उसे फिल्म की कहानी सुनाई इंटरवल तक सुनने के बाद ही उसने हाँ कह दिया फिल्म के लिये।
गम्भीर फिल्मों से हास्य फिल्मों की ओर जाने का इरादा कैसे किया ?
अगरआप मेरी पिछली फिल्म "अनवर " देखें तो उसमें भी ब्लैक हयूमर था। हाँ लेकिन इस फिल्म की कहानी तो बहुत ही अलग है जब आप फिल्म देखेगे तब ही सच्चाई के बारें में चलेगा।
अरशद और बमन के बारें में तो समझ में आता है क्योंकि उन्होंने कई फ़िल्में साथ की है उनकी ट्यूनिंग अच्छी है लेकिन अदिति और काजोय ईरानी के बारें में बताइये ?
अदिति ने कुछ ज्यादा बड़ा काम अभी किया नही है लेकिन मुझे वो अच्छी लगी , लेकिन शुरू में मुझे लगा कि पता नही वो कर पायेगी कि नहीं लेकिन जब हमने वर्क शॉप की और मिस पटना को बुलाया जिससे अदिति बिहारी भाषा बोलना सीख जायें। एक महीने में ही उन्होंने उसकी कॉपी कर ली। वर्षा शुक्ला का बहुत अच्छा किरदार अभिनीत किया है उन्होंने। काजोय को जब मिलने स्टूडेंट्स ऑफ़ द ईयर में देखा था तभी मैंने सोचा था उन्हें अपनी फिल्म में कास्ट करूँगा।
आपकी आने वाली फिल्मों के बारें में बात करें तो क्या फिर आप वापस गंभीर फ़िल्में बनायेगें ?
नही अभी मैं प्रेम कहानी ही बनाने वाला हूँ क्योंकि प्रेम कहानी बनाना मुझे ज्यादा चेलेंजिंग लग रहा है।
अनवर के बाद आपको बहुत समय अलग गया इस फिल्म को बनाने में ?
हाँ यूं कि जब मैंने अपनी शुरू की फ़िल्में बनायी उस समय मैं केवल २३ साल का युवा था बहुत जोश था मुझमें और मुझे अपनी दोनों ही फिल्मों के लिए अवार्ड भी मिल गये. मुझे लगा कि लोग कहते हैं कि लोग ऐसे ही कहते हैं मुम्बई में बहुत संघर्ष करना पड़ता है जबकि मैंने तो कुछ संघर्ष किया ही नही लेकिन २००७ और २०१४ के बीच के समय में मुझे सब समझ आ गया कि संघर्ष क्या होता है। इसके अलावा मेरे अपने कुछ व्यक्तिगत कारण भी रहे जिसकी वजह से फ़िल्में नही बना पाया लेकिन अब ऐसा नही होगा।
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