रिलीज़ -- २८ नवम्बर
बैनर -- मुकुंद पुरोहित प्रोडक्शन प्राइवेट लिमिटेड और विजडम प्रोडेक्शंस प्राइवेट लिमिटेड
निर्माता -- मुकुंद पुरोहित और मंदिरा कश्यप
निर्देशक --- चन्द्र प्रकाश द्विवेदी
कहानी -- राज कुमार सिंह
स्क्रीन प्ले --- चन्द्र प्रकाश द्विवेदी और राज कुमार सिंह
कलाकार -- आदिल हुसैन, मोना सिंह , मुकेश तिवारी, कुलभूषण खरबंदा, संजय मिश्रा, राहुल सिंह, के के रैना , डॉ अनिल रस्तोगी, एकावली खन्ना और शिवानी टंकसाले।
संगीत -- सुखविंदर सिंह और नायाब
सन १९९१ में लोकप्रिय धारावाहिक "चाणक्य" से दर्शकों में लोकप्रिय हुए डॉ चन्द्र प्रकाश द्विवेदी ने न केवल इस धारावाहिक में अभिनय किया बल्कि इसे लिखा और निर्देशित भी किया। इसके बाद २००३ में अमृता प्रीतम के उपन्यास "पिंजर " पर फिल्म बनायी। १९४७ में हुए भारत और पाकिस्तान के बंटवारे को लेकर बनायी गयी इस फिल्म को दर्शकों ने बहुत सराहा था। इसके बाद इन्होंने २०१२ में "उपनिषद गंगा " नामक धारावाहिक निर्देशित वेद और पुराणों की शिक्षाओं पर आधारित था। इनकी फिल्म "मोहल्ला अस्सी " की भी बहुत चर्चा है क्योंकि यह फिल्म डॉ काशीनाथ सिंह के उपन्यास पर आधारित है.
थियेटर , टी वी और फिल्मों में काम करने वाले अभिनेता आदिल हुसैन अभी तक अनेकों फिल्मों में काम कर चुके हैं जिनमें कमीने , एजेंट विनोद , इंग्लिश विंग्लिश , लाइफ ऑफ़ पाई, लुटेरा आदि प्रमुख हैं।
२००३ में सोनी चैनल के धारावाहिक "जस्सी जैसा कोई नहीं" से लोकप्रिय हुई अभिनेत्री मोना सिंह छोटे परदे लोकप्रिय अभिनेत्री हैं। " जस्सी जैसा कोई नही " ने उन्हें घर घर में लोकप्रिय बना दिया था। इस धारावाहिक के अलावा मोना ने राधा की बेटियाँ कुछ कर दिखायेगीं और क्या हुआ तेरा वादा जैसे धारावाहिको में काम किया। इसके अलावा "झलक दिखला जा " (२००६ ) की विजेता रही। इसके साथ कई रीयल्टी शो को होस्ट भी किया जिनमें झलक दिखला जा , इंटरटेनमेंट के लिए कुछ भी करेगा , शादी ३ करोड़ की , रतन का रिश्ता और स्टार और रॉक स्टार प्रमुख हैं। मोना ने ३ इडियट्स (२००९ ) उट पटांग (२०११ ) आदि फिल्मों में भी अभिनय किया है।
यह फिल्म " जेड प्लस " मूलत: एक राजनितिक व्यंग्य है। यह फिल्म एक आदमी के नजरिए से लोकतंत्र पर कटाक्ष करती है। दरअसल फिल्म में दिखाया गया है कि प्रधानमंत्री अपनी सरकार की डगमगाती हालत से परेशान हैं और वो अपनी सरकार को बचाने के लिए क्या - क्या करते हैं.
भ्रष्टाचार और सांप्रदायिकता से परेशान एक गठबंधन सरकार, गठबंधन भागीदारों के झगड़े में होने के कारण सरकार ढहने के कगार पर है। सभी मंत्री सरकार को बचाने के लिए प्रयास कर रहे हैं। लेकिन फिर भी ...रह रह कर लगता है कि यह सरकार अब गिरी तब गिरी। सरकार के इस राजनीतिक संकट के समय प्रधानमंत्री (कुलभूषण खरबंदा ) को उनकी सरकार के एक गठबंधन का सहयोगी कहता है कि अगर प्रधानमंत्री राजस्थान के छोटे से कस्बे फतेहपुर में पीपल वाले पीर की एक दरगाह जाकर चादर चढ़ाये तो उनकी सरकार बच सकती है। बस फिर क्या होता है दिल्ली से प्रधानमंत्री और अपने लाव - लश्कर के साथ दरगाह में माथा टेकने पंहुच जाते हैं और उनकी गिरती हुई सरकार बच जाती है।
प्रधानमंत्री की फतेहपुर यात्रा के दौरान उसी कस्बे के रहने वाला असलम (आदिल हुसैन ) जो कि पंचर जोड़ने का काम करता है। किसी तरह उनसे मुलाक़ात कर लेता है और उन्हें अपनी एक छोटी सी समस्या बताता है उसकी समस्या सुनकर प्रधानमंत्री उसे जेड प्लस सुरक्षा देने के निर्देश देते हैं और यही से कहानी में नया मोड़ आता है। एक मामूली सा पंचर जोड़ने वाला एक जाना माना व्यक्ति बन जाता है।
असलम को मिली जेड प्लस सुरक्षा की वजह से सारा देश आश्चर्य में है कि ऐसा क्या हुआ जो एक पंचर का काम करने वाले को प्रधानमंत्री ने जेड प्लस सुरक्षा देने की बात कही है.
बस इसी जेड प्लस सुरक्षा की वजह से असलम, उसकी पत्नी हमीदा (मोना सिंह ) उसकी प्रेमिका सईदा ( एकावली खन्ना ) की रोज़मर्रा की जिंदगी में जो - जो भी इसी घटता से उसी से हास्य पैदा होता है।
राजनितिक व्यंग्य को दिखाती यह फिल्म दर्शकों को निश्चित रूप से हंसाने में कामयाब होगी।
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