Friday, October 25, 2019

कहानी - हिंदी फिल्म --सांड की आँख

कहानी - हिंदी फिल्म --सांड की आँख
रिलीज -- २५ अक्टूबर 
बैनर --रिलायंस एंटरटेनमेन्ट , चॉक एंड चीज़ फिल्म्स 
निर्माता -- अनुराग कश्यप ,रिलायंस एंटरटेनमेन्ट ,निधि परमार  
निर्देशक --  तुषार हीरानंदानी 
संवाद -- जगदीप सिद्धू 
पटकथा --बलविंदर सिंह जंजुआ 
कलाकार -- भूमि पेडनेकर , तापसी पन्नू , प्रकाश झा , विनीत कुमार सिंह 
संगीत -- विशाल मिश्रा 
बैक ग्रॉउंड संगीत --अद्वैत नेमलकर 
गीत -- राज शेखर 
आवाज़ -- सुनिधि चौहान , ज्योति नूरा , विशाल मिश्रा , विशाल डडलानी 

फिल्म "सांड की आँख " निर्देशक तुषार हीरानंदानी की पहली निर्देशित फिल्म है। तुषार ने अनेकों सफल फिल्मों को लिखा है उनकी मुख्य  फ़िल्में हैं ---मस्ती सीरीज़ की सभी फ़िल्में , धमाल सीरीज़ की सभी फ़िल्में , हॉउस फुल -२ और ४ , ए बी सी डी और ए बी सी डी - २ " क्यों हो गया न , प्यारे मोहन ,एक विलेन , ढीशुम , फ्लाइंग जट्ट आदि।   २०१३ में फिल्म 'चश्मेंबद्दूर" से हिंदी फिल्मों में अपने अभिनय की शुरुआत करने वाली तापसी पन्नू ने  बेबी , पिंक , जुड़वाँ - २, नाम शबाना, मुल्क , मनमर्ज़ियाँ और बदला आदि फिल्मों में अभिनय किया है।  अभिनेत्री भूमि पेडनेकर की पहली फिल्म थी "दम लगा के हईशा" , इसके बाद दूसरी फिल्म थी "टॉयलेट - एक प्रेम कथा " फिर आयी "शुभ मंगल सावधान " और लस्ट स्टोरीज नाम की एक वेब सीरीज़ भी आयी थी और फिर आयी "सोन चिरैय्या "। अभिनेता विनीत कुमार सिंह ने अनेकों फिल्मों में अभिनय किया है। विनीत की मुख्य फ़िल्में हैं -- मुक्काबाज़ ,गोल्ड , दास देव ,अग्ली , बॉम्बे टॉकीज़ ,गोरी तेरे प्यार में , इस्सक , पिता आदि। लोकप्रिय फिल्म निर्माता - निर्देशक प्रकाश झा भी इस फिल्म में मुख्य  भूमिका में हैं इस फिल्म से पहले प्रकाश झा ने २०१६ आयी फिल्म "जय गंगाजल " में अभिनय किया था। 

इस फिल्म की कहानी शूटर दादी के नाम से लोकप्रिय चंद्रो तोमर और प्रकाशी तोमर की असली जिंदगी पर आधारित है। ६० वर्षीय चंद्रो तोमर ( भूमि  पेडनेकर ) और प्रकाशी तोमर ( तापसी पन्नू ) ने ६० वर्ष की आयु में राइफल शूटिंग शुरू की ।  हुआ यूं कि  उनकी पोती ने जोहरी राइफल क्लब में शूटिंग सीखना शुरू किया था चूँकि क्लब लड़कों का था और इनकी पोती अकेले जाने से घबराती थी। चंद्रो अपनी पोती के साथ क्लब जाती थी  वहीं पर उन्होंने अपनी पोती की मदद करने के लिए लक्ष्य पर निशाना साधा।  चंद्रो के निशाने को देखकर कोच डॉ यशपाल ( विनीत कुमार सिंह ) ने उन्हें शूटिंग की ट्रेनिंग लेने की सलाह दी।  बस क्या था देखते - देखते गृहिणी प्रकाशी और चंद्रो शूटिंग में प्रशिक्षित हो गयी।  प्रकाशी ने सन २००० में वेटरन कैटेगिरी में उत्तर प्रदेश राज्य का स्वर्ण पदक भी जीता। 

शूटिंग की ट्रेनिंग लेते समय चंद्रो और प्रकाशी को किन किन दिक्क्तों का सामना करना पड़ा ? यही इस फिल्म में दिखाया गया है 

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