कहानी -- हिंदी फिल्म -- द स्काई इज पिंक
रिलीज़ -- ११ अक्टूबर
बैनर -- आर एस वी पी मूवीज, रॉय कपूर फिल्म्स, पर्पल पेबल पिक्चर्स ,इवन्होइ पिक्चर्स
निर्देशक -- शोनाली बोस
निर्माता -- रॉनी स्क्रूवाला, सिद्धार्थ रॉय कपूर, कीलन केविन , प्रियंका चोपड़ा , मधु चोपड़ा
लेखक -- शोनाली बोस , जूही चतुर्वेदी , नीलेश मनियर
कलाकार -- प्रियंका चोपड़ा , फ़रहान अख्तर , ज़ायरा वसीम , रोहित सुरेश सर्राफ
संगीत -- प्रीतम
बैक ग्रॉउंड स्कोर -- माइकी मैक्लरी
गीत --गुलज़ार
आवाज़ -- अरिजीत सिंह , अन्तरा मित्रा , जोनिता गाँधी ,निखिल डिसूज़ा , शाश्वत सिंह
लेखिका , निर्देशक और निर्माता शोनाली बोस ने २००५ में पहली फिल्म "अमु" निर्देशित की। इस फिल्म को अनेकों पुरस्कार मिले। यह फिल्म "अमु " नाम के नॉवेल पर आधारित थी। २०१२ में चिट्टगॉन्ग २०१५ में मार्गरिटा विध ए स्ट्रॉ आदि फिल्मों को लिखा ,निर्मित और निर्देशित भी किया है। अभिनेत्री प्रियंका ने अनेकों फिल्मों में अभिनय किया है जिनमें अंदाज़ ,मुझसे शादी करोगी , एतराज़,सात कौन माफ़ ,दोस्ताना , मैरी कॉम ,फैशन , अग्निपथ, बर्फी ,कमीने , डॉन - २ , अग्निपथ, दिल धड़कने दो ,बाजीराव मस्तानी आदि। अभिनेता , गायक , निर्देशक और लेखक फरहान अख़्तर की मुख्य फ़िल्में हैं -- रॉक ऑन ,लक बॉय चाँस , कार्तिक कॉलिंग कार्तिक ,भाग मिल्खा भाग ,जिंदगी न मिलेगी दोबारा , दिल धड़कने दो ,वज़ीर रॉक ऑन - २ , लखनऊ सेंट्रल आदि।
देश - विदेश के फिल्म समारोहों में सराही गयी फिल्म "द स्काई इज पिंक " काल्पनिक नहीं बल्कि दिल छू लेने वाली सच्ची कहानी पर आधारित है। मोटिवेशनल स्पीकर आयशा चौधरी जिसकी मृत्यु १८ वर्ष की आयु में हो गयी। उसकी सच्ची दिखायी है फिल्म में। फिल्म शुरू होती है आयशा चौधरी ( ज़ायरा वसीम ) की माँ अदिति चौधरी ( प्रियंका चोपड़ा ) जो कि पेशे से मेन्टल हेल्थ स्पेशलिस्ट है और पिता नीरेन चौधरी ( फ़रहान अख्तर ) की प्रेम कहानी से। आयशा को जन्म से ही ऑटो इम्यून डेफिशियेंसी की बिमारी होती है , जब वो ६ महीने की थी तब उसका बोन मेरो ट्रांसप्लांट किया गया था। जिससे उसको फेफड़ों की जान लेवा बिमारी ( पल्मनरी फाइब्रोसिस ) हो जाती है। आम लोगों की बजाय आयशा जल्दी थक जाती थी , वो धीरे - धीरे ही अपना काम कर पाती थी। उसकी माँ अदिति चौधरी, पिता नीरेन चौधरी , भाई ईशान चौधरी ( रोहित सुरेश सर्राफ) कैसे आयशा की बिमारी में उसका साथ देते हैं ? कैसे उसके हौंसले को बनाये रखते हैं ? कैसे ऐसी कठिन घड़ी में पूरा परिवार एक जुट होकर परिस्थितियों से लड़ता है।
यही सब इस फिल्म में दिखाया गया है।
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