अपने पिताजी पर किताब लिखना चाहता हूँ ---- परीक्षित साहनी
सुपर हिट फिल्म "पी के " में जग्गू यानि अनुष्का शर्मा के पिता की भूमिका अभिनीत करने वाले अभिनेता परीक्षित साहनी ने तो अनेकों फिल्मों और टी वी धारावाहिकों में काम किया है. लेकिन जहाँ तक दर्शको की बात करें तो वो उन्हें पवित्र पापी (१९७०) तपस्या ( १९७६ ) मिली (१९७५ ) मेरी जंग ( १९८५ ) लगे रहो मुन्ना भाई (२००६ ) ३ इडियटस (२००९ ) पी के (२०१४ ) आदि फिल्मों और बैरिस्टर विनोद , गुल गुलशन गुलफ़ाम , चंद्रकांता , गाथा , हिना आदि धारावाहिकों में उनके अभिनय को याद करते हैं। पिछले दिनों उनसे मुलाकात हुई पेश हैं कुछ मुख्य अंश ---
- जब भी आपकी बात होती है तो सबसे पहले आँखों के सामने " तेरी दुनियाँ से होके मजबूर चला " गाना आ जाता है, बताइये कुछ इस फिल्म के बारें में ? यह फिल्म मेरी शुरूआती समय की फिल्म है, दर्शकों ने बहुत ही पसंद किया था इस फिल्म को। गाने भी बहुत लोकप्रिय हुए आज भी श्रोता उन्हें सुनते हैं। बहुत अच्छा रहा इस फिल्म काम करके , पिताजी भी थे इसमें ,तनुजा , अचला जी , नीतू सिंह सभी बहुत मज़ा आया। निर्देशक राजेन्दर भाटिया द्वारा निर्देशित यह फिल्म नानक सिंह के पंजाबी उपन्यास पर आधारित थी।
- आपने बहुत सारी फिल्मों में अभिनय किया है क्या कभी फिल्म निर्देशित करने के बारें भी आपने सोचा ? हाँ वैसे तो मुझसे सबसे ज्यादा अभिनय करना ही अच्छा लगता है. लेकिन स्क्रिप्ट भी तैयार है मेरी , जल्दी ही मैं उस पर काम करूंगा।
- फिल्म "पी के " के बाद आप अब किन फिल्मों में काम कर रहे हैं ? ४ - ५ फ़िल्में हैं मेरे पास और सभी की कहानियाँ भी बहुत अच्छी हैं इन सभी फिल्मों में मेरी भूमिकायें भी पिछली सभी फिल्मों से जुदा हैं. एक फिल्म का नाम है "ओल्ड " जिसके निर्देशक हैं मनमोहन देसाई के असिस्टेंट हैं कँवल शर्मा , लन्दन में शूट हुई है पूरी फिल्म। फिर है "रियल फाइटर " एक है "दैट्स इनफ " इस फिल्म के निर्देशक हैं राजेश कुमार। एक फिल्म सुदेश मुखर्जी की है। कुछ फ़िल्में और भी हैं ।
- आप टी वी भी कर रहे हैं ? हाँ लेकिन अब मैं लम्बी भूमिकायें नही करना चाहता हूँ, जहाँ महीने में २० - २५ दिन मुझे देने पड़े। छोटे - छोटे काम करना चाहता हूँ।
- आपने टी वी , फिल्मों और थियेटर सभी जगह काम किया है सबसे ज्यादा कहाँ अच्छा लगता है आपको ? हाँ काम तो मैंने सभी माध्यमों में किया है लेकिन मुझे स्टेज में सबसे ज्यादा मज़ा आता है।
- क्या आप भीष्म जी की तरह कोई किताब नही लिखना चाहते ? अपने पिताजी पर एक किताब लिखना चाहता हूँ , लेकिन समय की कमी की वजह से नही हो पा रहा।
- अपने प्रशंसकों के लिये कुछ कहना चाहेगें ? हाँ जरूर , हम कलाकार आप के सहारे और आपके लिये ही जिन्दा हैं. आपका प्यार, आपकी मोहब्बत और आपका कभी - कभी सराहा देना ही हमारे लिए तमगा है,अवार्ड है. सभी दर्शकों का प्यार मेरे लिये बहुमूल्य है.
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