आजकल लगभग सभी चैनलों पर एक ही तरह के धारावाहिकों की भरमार है। चाहे वो सोनी हो , कलर्स हो , लाइफ ओके हो या स्टार प्लस। किसी न किसी कारण से अपनी पसंद के बिना शादी और फिर धीरे -- धीरे एक दूसरे के करीब आना यही कहानी है हर धारावाहिक की । क्या दिखाना चाहते हैं इन धारावाहिकों के निर्माता ? क्या इस तरह से हुई शादी कामयाब शादी कहलाती है या इस तरह से हुई शादी आज के युवाओं को पसंद आती है क्योंकि इस तरह की शादी में कुछ नया रोमांच और रोमांस होता है। या यूं कहे कि दर्शकों को भी बांधे रखना जरुरी है।
अगर घर वालों की मर्जी की शादी दिखानी है तो हंसी ख़ुशी के साथ क्यों नही चल सकती ? पहले नफरत और फिर चाहत के फार्मूले पर ही बन रहे हैं तमाम धारावाहिक। सोनी के लोकप्रिय धारावाहिक "बड़े अच्छे लगते हैं " में पहले प्रिया और राम कपूर की बिलकुल भी नही बनती थी लेकिन कुछ समय एक दूसरे से नफरत करने के बाद दोनों करीब आ गये थे। इसी तर्ज़ कलर्स के लोकप्रिय धारावाहिक "मधुबाला - एक इश्क़ एक जूनून" में भी कुछ ऐसा ही था मधुबाला और आर के एक दूसरे से नफरत करते थे फिर क्या हुआ सभी जानते हैं. बानी - इश्क़ दा कलमा , ये हैं मोहब्ब्तें , बेइंतेहा , एक नई पहचान आदि लगभग सभी धारावाहिक पहले नफ़रत और फिर प्यार की थीम पर ही बने धारावाहिक हैं।
कहीं ये धारावाहिक दर्शकों को यह तो नही बताना चाहते हैं कि नफ़रत प्यार की पहली सीढ़ी होती है।
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