निर्माता मधु मॉन्टेना, विकास बहल, अर्जुन रंगाचारी, विक्रमादित्य मोटवाने, विवेक रंगाचारी और निर्देशक अनुराग कश्यप की यह फिल्म "अग्ली" अग्ली बल्कि अच्छी फिल्म है। शुरू से अंत तक दर्शकों को बांधे रखने कामयाब है "अग्ली" . हालांकि फिल्म का विषय गंभीर है।
फिल्म में पुलिस वालों को दिखाया गया है तो स्वाभाविक है कि गालियाँ तो होंगीं ही. लेकिन फिर भी कहानी अच्छी है। हमेशा की तरह रॉनित रॉय ने बेहतरीन काम किया है। राहुल भट्ट भी ठीक लगे हैं। जिस - जिस कलाकार के हिस्से जो भी काम आया है सबने अच्छा काम किया है।
दूसरी फिल्मों की तरह इसमें नाच गाना नही है लेकिन अच्छे सिनेमा चाह रखने वाले दर्शकों आयेगी "अग्ली "
फिल्म की कहानी इस प्रकार है --- शौमिक बोस (रॉनित रॉय ) पुलिस में ए सी पी है । उसकी पत्नी शालिनी ( तेजस्विनी कोल्हापुरे ) निराशावादी है। शालिनी हर समय आत्महत्या के बारें में ही सोचती रहती है. बोस शालिनी का दूसरा पति है। शालिनी की पहली शादी राहुल ( राहुल भट्ट ) से हुई थी. राहुल से शालिनी की एक बेटी है जिसका नाम कली (अनिष्का श्रीवास्तव ) है। राहुल एक संघर्षरत अभिनेता है जो कि अभी भी अपने बडे ब्रेक की तलाश में है. असली कहानी शुरू होती है शनिवार को, क्योंकि अदालत ने शनिवार के दिन राहुल को उसकी बेटी कली से मिलने की अनुमति दी है। राहुल को एक ऑडिशन देने के लिए अपने कास्टिंग एजेंट चैतन्य के पास जाना पड़ता है। वो अपनी बेटी कली को कार में ही बैठे रहने का कह कर ऑडिशन देने चला जाता है लेकिन तब उसके होश उड़ जाते हैं जब वापिस आने पर उसे कार में कली नही मिलती।
राहुल और चैतन्य कली के गुमशुदा होने की खबर सबसे पहले पुलिस को देते है। लेकिन स्थानीय पुलिस ऑफिसर जाधव (गिरीश कुलकर्णी) गंभीरता से राहुल की बात नहीं सुनता। जब तक कि उसे यह पता नही चल जाता कि कली ए सी पी बोस की सौतेली बेटी है। बोस राहुल से नफरत करता है वो जाधव को आदेश देता है कि वो राहुल और चैतन्य पर कली के अपहरण का आरोप लगाये और दोनों से पूछताछ करे, साथ में उनके खिलाफ जुर्म भी दायर करे।
बोस और राहुल दोनों ही एक दूसरे पर आरोप लगाते हैं ? यह जानना बहुत ही मुश्किल हो रहा है कि कौन असली है और कौन नकली है ?
दोनों ही खुद को श्रेष्ठ दिखाने की कोशिश कर रहे हैं। सच्चाई क्या है ?