Wednesday, March 24, 2021

कॉमेडी सुपर स्टार लक्ष्मीकांत बेर्डे


मराठी सिनेमा में कॉमेडी सुपर स्टार के नाम से लोकप्रिय अभिनेता लक्ष्मीकांत बेर्डे  ने अनेकों मराठी और हिंदी फिल्मों में अभिनय करके दर्शकों का मनोरंजन किया है। दर्शक उन्हें हमेशा उनकी कॉमिक टाइमिंग की वजह से जानते हैं। अभिनेता सलमान की दूसरी फिल्म "मैंने प्यार किया " (१९८९ ) में उन्होंने बहुत ही शानदार काम किया। हिंदी फिल्मों में सर्वश्रेष्ठ हास्य अभिनय के लिए फिल्म फेयर अवार्ड में उनका ४ बार नामांकन भी हुआ।

बहुत ही बेहतरीन अभिनेता लक्ष्मीकांत बेर्डे का जन्म  २६ अक्टूबर १९५४ को रत्नागिरि , मुंबई में बहुत ही गरीब परिवार में हुआ था। बचपन में अपने परिवार का खर्च चलाने के लिए वो लॉटरी के टिकट भी बेचा करते थे। झुग्गी में रहने वाले लक्ष्मी को बचपन से ही अभिनय का बहुत ही शौक था। वो गणेश महोत्सव में होने वाले समारोह में डांस और अभिनय किया करते थे। इंटर स्कूल और इंटर कॉलेज में होने वाले नाटकों की प्रतियोगिताओं में वो हिस्सा लेते और पुरस्कार भी जीतते। बाद में वो  मुंबई मराठी सहित्य संघ में काम करने लगे। जिससे वो अपने अभिनय के जूनून को कायम रख  सकें । कुछ नाटकों में छोटी - मोटी भूमिकायें करने के बाद उनके हिस्से आया नाटक " टूर टूर। "  १९८३ -८४ में हुआ उनका यह नाटक बहुत ही सफल रहा। इस नाटक में उन्होंने अपने अभिनय से दर्शकों को खूब हँसाया। 

८० - ९० के दशक में जब अच्छे अभिनेताओं का  मराठी सिनेमा में एक अभाव सा था। उस समय लक्ष्मीकांत ने जैसे मराठी सिनेमा को नया जीवन दिया। उन्होंने अभिनेता अशोक सराफ के साथ मिलकर करीब १५ सालों तक मराठी सिनेमा में  राज किया।  उन्होंने १९८५ में "लेक चालली सासरला  " नाम की  मराठी फिल्म से अपनी शुरुआत की। १९८४ में ही उन्होंने और महेश कोठारे ने एक साथ फिल्म "धूम धड़ाका "  में काम किया। इसके बाद १९८७ में दे दनादन " में दोनों ने साथ काम किया और इन दोनों ही फिल्मों में लक्ष्मीकांत  ने अपने  हास्य अभिनय से दर्शकों का मनोरंजन किया।  इसके बाद आयी १९८८ में एक फिल्म "अशी ही बनवा बनवी " जो कि  निर्देशक  हृषिकेश मुखर्जी की फिल्म ‘बीवी और मकान’ की रीमेक फिल्म थी।  सचिन पिलगांवकर द्वारा निर्देशित इस  फिल्म में लक्ष्मीकांत ने एक युवती की भूमिका अभिनीत की। कहते हैं कि वैसे तो फ़िल्मी पर्दे पर बहुत से अभिनेताओं ने महिला की भूमिका अभिनीत की है लेकिन जिस ख़ूबसूरती से , जिस गरिमा से उन्होंने महिला के किरदार को अभिनीत किया वैसा शायद ही किसी ने अभिनीत किया हो। इस फिल्म में उनके साथ फिल्म में कई बड़े कलाकार थे जिनमें खुद सचिन पिलगांवकर , अशोक सराफ , सुप्रिया पिलगांवकर, अश्विनी भावे , सिद्धार्थ रे आदि। इस फिल्म से  अशोक सराफ और लक्ष्मीकांत बेर्डे की जो दोस्ती शुरू हुई वो कभी ख़त्म नहीं हुई बल्कि लक्ष्मीकांत ही अशोक सराफ और  अपने सभी चाहने वालों को अपनी किडनी की बिमारी की वजह से १६ दिसंबर २००४ को हमेशा के लिए अकेला छोड़ कर चले गये। 

१८५ के करीब हिंदी और मराठी फिल्मों में काम कर चुके लक्ष्मीकांत बेर्डे ने १८८५ से लेकर २००० तक अनेकों ब्लॉक बस्टर मराठी फिल्मों में काम किया।उनकी कुछ मुख्य फ़िल्में हैं -- आम्ही दोघे राजा रानी , हमाल दे धमाल , बाळाचे बाप ब्रह्चारी ,एका पेक्षा एक ,भूतचा भाऊ ,थरथरात ,धडाकेबाज़ और जपतीला आदि। १९८३ में लक्ष्मीकांत ने नाटकों में काम करना शुरू किया। उनका पहला नाटक "टूर टूर "बहुत सफल हुआ। थियेटर में बहुत ही लोकप्रिय थे लक्ष्मी। उनके बारें में उनके चाहने वाले कहते हैं कि ,"मराठी सिनेमा में  तो उन्होंने बहुत ही गरिमा के साथ काम किया साथ ही नाटक जो कि उनका  पहला प्यार थे उन्हें भी लोकप्रिय बनाने में उन्होंने कोई कसर  नहीं छोड़ी। विजय तेंडुलकर के महान नाटक ‘शांतता कोर्ट चालू आहे’ के टाइटल की तर्ज पर बना कॉमेडी नाटक ‘शांतेचं कार्ट चालू आहे’ और  ‘बिघडले स्वर्गाचे दार’ आदि  नाटकों को दर्शक आज भी याद करते हैं। अभिनय से उन्हें बहुत लगाव था इसीलिए उन्होंने अपने बेटे का नाम भी अभिनय ही रखा। उन्होंने अपनी प्रोडक्शन कंपनी का नाम अपने बेटे अभिनय के नाम पर "अभिनय आर्ट्स " रखा था। मराठी फिल्मो , थियेटर के अलावा उन्होंने मराठी धारावाहिकों में नास्ति आफत और गजरा में भी अभिनय किया था। 

हिंदी फिल्मों में लक्ष्मीकांत की शुरुआत हुई १९८९ में सूरज बड़जात्या की फिल्म "मैंने प्यार किया " से। सूरज बड़जात्या की ही दूसरी फिल्म "हम आपके हैं कौन " में उनका बहुत ही अच्छा काम था। १९९४ में आयी इस फिल्म में उनके किरदार का नाम लल्लू प्रसाद था। घर के एक मुख्य सदस्य की भूमिका थी उनकी।  दर्शकों में खासा लोकप्रिय हो गए थे लक्ष्मी इस फिल्म से। उन्होने  लगभग सभी बड़े कलाकारों के साथ फिल्मों में काम किया। उनकी कुछ मुख्य फ़िल्में इस प्रकार हैं  --- साजन , अनाड़ी , क्रिमिनल ,  १०० डेज , बेटा ,दिल का क्या कसूर, दीदार , आरजू ,अनाम , गीत ,आदमी खिलौना है , सैनिक , संतान , द जेंटलमैन ,हथकड़ी, मासूम ,हमेशा , ज़ोर , दिल क्या करे , आग ही आग ,जानम समझा करो , राजा जी , प्यार दीवाना होता है , हम तुम्हारे हैं सनम , इंसान और मेरी बीवी का जवाब नहीं।

लक्ष्मीकांत ने  दो शादियां की थी।  उनकी पहली पत्नी रूही बेर्डे थी। १९९५ में दोनों का तलाक हो गया। बाद में उन्होंने अपनी सह-कलाकार प्रिया अरुण से शादी कर ली। दोनों के दो बच्चे हैं।

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