Sunday, January 10, 2021

अपनी स्टैंड अप कॉमेडी से दर्शकों को हँसा - हँसा कर लोट पोट कर देने वाले हास्य कलाकार ख्याली सहारण

करीब २२ देशों में अपनी स्टैंड अप कॉमेडी से दर्शकों को हँसा - हँसा कर लोट पोट कर देने वाले हास्य कलाकार ख्याली सहारण आज दर्शकों के चहेते कलाकार बन चुके हैं लेकिन एक समय वो भी था जब  भेड़ बकरी चरा कर ख्याली अपना गुज़ारा किया करते थे। यह लोकप्रियता ख्याली को यूँ ही हासिल नहीं हुई इसके  पीछे उनके कड़े संघर्ष की कहानी है।  राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले की पीलीबंगा तहसील के छोटे से गांव 18-सीपीडी में एक गरीब परिवार में जन्मे ख्याली ने अपनी जीविका कमाने के लिए बहुत छोटे - छोटे काम भी किये  हैं।  उन्होंने स्विमिंग पूल में काम किया। इसके अलावा  गंगा नगर के  गणेश सिनेमा में गेटकीपर का काम किया। साथ ही गंगानगर की चीनी मिल में वॉच मैन का काम भी किया, वहाँ ही  काम करते समय उनका एक हाथ मशीन में चला गया और बुरी तरह कुचला गया। एक हाथ से अपाहिज होने के बाद भी ख्याली ने हिम्मत नहीं हारी और उसने प्रण किया कि भीख मांगने से अच्छा तो वो कॉमेडी के क्षेत्र में ही काम करे और लोगों को हँसायें।  

  दुनियाँ में अपना नाम कमाने वाले ख्याली को बचपन से ही लोगों को हँसाना बहुत पसंद था। वो अपने स्कूल के होने वाले समारोहों में हिस्सा लेते थे और अपने चुटकुलों से सभी को हंसाते थे। उनके दोस्त और आस - पास के लोग भी उनकी इस प्रतिभा को बढ़ावा देते थे। शायद हास्य प्रतिभा उनके अंदर कुदरती ही थी तभी बड़े होने पर वो पूरे देश में अपने हास्य के लिए प्रसिद्द हुए। १० कक्षा तक पढ़ाई करने वाले ख्याली ने मिल के अपने हादसे के बाद  श्रीगंगानगर में ही गजल गायक जगजीत सिंह की राष्ट्रीय कला मंदिर अकादमी भी ज्वाइन कर ली। वहीं पर इन्होंने थियेटर और कॉमेडी का कोर्स किया। जहाँ उनकी प्रतिभा को निखरने का और भी मौका मिला। सन २००० में ख्याली चंडीगढ़ के सृष्टि थियेटर से जुड़ गये। यहाँ उन्होंने छात्रों को अभिनय के गुण  सिखाये । यहीं रहते हुए ही उन्होंने एंकरिंग भी करनी शुरू कर दी। ख्याली ने लोकप्रिय पंजाबी गायक गुरदास मान , मीका सिंह और अन्य पंजाबी गायकों के साथ स्टेज पर एंकरिंग की। 

हरियाणवी संस्कृति से बेहद लगाव रखने वाले ख्याली को लाफ्टर चैलेंज का हिस्सा बनने का मौका कुछ इस तरह मिला। हुआ यूँ कि एक बार दिल्ली में गायक कुमार सानू का शो था लेकिन उस शो में कुमार सानू को किन्ही कारणों से देर गयी।  जब तक कुमार सानू आते आयोजकों ने  ख्याली को स्टेज यह कह कर सौंप दिया कि वो दर्शकों  को हँसाये  , उनका मनोरंजन करें।  वहीं शो में  स्टार वन चैनल की टीम भी थी। उन्होंने ख्याली की प्रतिभा देखकर उन्हें द ग्रेट इंडियन लाफ्टर चैलेंज में हिस्सा लेने  मुंबई आने का निमंत्रण दिया। २००६ में ख्याली अपनी तकदीर आजमाने लिए मुंबई  आ गये। बस यहीं से उनकी किस्मत ने करवट बदली और उन्होंने इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

द ग्रेट इंडियन लाफ्टर चैलेंज के सीजन - २ में  ख्याली ने हिस्सा लिया और बहुत आगे तक गये हालाँकि वो इस शो को जीते नहीं लेकिन उन्होंने शो के जजों और देश का दिल जीत लिया।  इस शो के बाद ख्याली ने सोनी के लोकप्रिय हास्य शो "कॉमेडी सर्कस" में हिस्सा लिया। यहाँ भी उन्होंने दर्शकों को खूब हँसाया। ख्याली ने सब टी वी के शो "कॉमेडी का किंग कौन "   और  कलर्स के हास्य शो " छोटे मियां बड़े मियाँ धाकड़" में भी हिस्सा लिया था। टी वी के साथ साथ ख्याली ने बड़े परदे पर भी काम  किया है।  उन्होंने २००७ में आयी फिल्म "मेरी पड़ोसन " में काम किया। इसी साल उनकी दूसरी फिल्म "जर्नी बॉम्बे टू  गोवा" आयी। यही नहीं उन्हें २००८ में   हास्य फिल्म "सिंह इज किंग " मिली। इस फिल्म में उनके साथ अक्षय कुमार मुख्य भूमिका में थे। इस फिल्म में ख्याली के ऊपर एक गाना "भूतनी "  के भी फिल्माया गया था। इसके बाद (२००९ ) भावनाओं को समझो , मुस्कुरा के  देख ज़रा ( २०१० ) मिलता है चांस बॉय चांस (२०११ )  इश्क़ विच : यू नेवर नो , मुख्तियार चड्ढा दिलजीत दोसांझ के साथ  (२०१५ ) जट्ट वर्सेज आइलेट्स   ,तेरी भाभी है पगले ( २०१८ ) १५ लाख कदो आऊगा  , हम बजा  देंगे (२०१९ ) आदि फ़िल्में आयीं। ख्याली ने  जैकी श्रॉफ के साथ नील, द पार्टी, जीयो लाइफ बिंदास और सनी देओल व कंगना राणावत  के साथ भी फिल्मों में अभिनय किया है।  एक पंजाबी फिल्म "मि. सिंह "में उनके काम को काफी सराहा गया था। 

ख्याली अपने बारें में बताते हैं कि ,"एक समय था जब मुझे  गेट कीपर की नौकरी के १००० - १५०० रूपये मिलते थे वहीं जब मैं टी वी के शो का हिस्सा बना तब उन्हें १ लाख रूपये मिलने लगे। तब भी मेरे व्यवहार में अपने लोगों के प्रति कभी भी बदलाव नहीं आया और नहीं कभी आयेगा।" अपनी जमीन से जुड़े ख्याली ने जो भी कमाया  उससे उन्होंने अपने दादा रावता राम के नाम पर ट्रस्ट बनाया। ट्रस्‍ट के तहत निजी सैनिक स्कूल स्‍थापित किया। यह पहला सैनिक स्‍कूल है। 16 एकड़ में चल रहे इस स्कूल में एनडीए, सीडीएस व सेना की परीक्षाओं की पढ़ाई कराई जा रही है। मकसद सिर्फ यह है कि जो दिक्कतें उन्‍हा‍ेंने झेली कोई और न झेले।

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