Tuesday, April 30, 2019

शूजीत सरकार की फिल्म सरदार उधम सिंह में विक्की कौशल का धमाकेदार लुक


इस अप्रैल में भारत के इतिहास में घटी जालियांवाला बाग हत्याकांड की दुखद घटना के 100 वर्ष पूरे होने पर फिल्म

मेकर शूजीत सरकार ने भारत के सर्वश्रेष्ठ बहादुर स्वतंत्रता सेनानियों में से एक सरदार उधम सिंह की बायोपिक का पहला लुक लॉन्च किया है.

शूजीत सरकार हमेशा से ही अलग तरह की कहानियों को पर्दे पर दर्शाने के लिए जाने जाते हैं और अपनी उसी विरासत को आगे बढ़ाते हुए इस बार सरदार उधम सिंह की कहानी को दिखाने वाले हैं, जो कि भारत के ऐसे महान शहीद और स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने साल 1940 में लंदन जाकर माइकल ओ डायर( पंजाब का पूर्व लेफ्टिनेंट गवर्नर) की हत्या की थी. 

इस जनरेशन के गेम चेंजर और नेक्स्ट जेन लीडर विक्की कौशल इस फिल्म में सरदार उधम सिंह के किरदार में नजर आने वाले हैं. इस साल फिल्म की शूटिंग बहुत बड़े पैमाने पर विश्व के अलग-अलग देशों में की जाएगी. हाल फिलहाल फिल्म का पहला शेड्यूल यूरोप में फिल्माया जा रहा है और यह फिल्म साल 2020 में रिलीज की जाएगी.

इस तरह के अनोखे विषय पर आधारित फिल्म का निर्माण करते हुए शूजीत सरकार का कहना है-' मैंने इस विषय पर फिल्म बनाने के बारे में इसलिए सोचा क्योंकि भारत के स्वतंत्रता संग्राम में इस क्रांतिकारी कहानी का बहुत बड़ा योगदान है जिसके बारे में कई पीढ़ियों को कुछ भी जानकारी नहीं है. उधम सिंह के संघर्ष और बलिदान की कहानी ,आज की जनरेशन को बताना बहुत महत्वपूर्ण है. इतने बड़े और बहादुर स्वतंत्रता सेनानी की कहानी को दर्शाने के लिए एक बार फिर से मैंने अपने लेखकों रितेश शाह और शुभेंदु भट्टाचार्य तथा अपने मित्र और प्रोड्यूसर रॉनी लाहिरी के साथ मिलकर काम शुरू किया है. इस जनरेशन में विक्की कौशल बेशक एक सबसे प्रतिभाशाली एक्टर है, और हम सब एक साथ मिलकर इतने बड़े स्वतंत्रता सेनानी की प्रभावशाली कहानी को न्याय दे पाने में सफल हो सकेंगे. 

शूजीत सरकार की फिल्म सरदार उधम सिंह, राइजिंग सन फिल्म्स के बैनर तले बनाई जा रही है जिसके प्रोड्यूसर रॉनी लाहिरी और शील कुमार हैं.

Monday, April 22, 2019

फिल्म और टीवी इंडस्ट्री में महिलाओं के मुद्दों को संबोधित करने के लिए 'पराशक्ति-रिडिफाइनिंग स्पेस' का शुभारंभ।


पराशक्ति प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता श्रीमती रेशमा एच सिंह द्वारा ,माननीय इंद्रेश कुमार जी के मार्गदर्शन में , शुरू की गई एक पहल है, जिसका उद्देश्य सभी महिलाओं के जीवन में बदलाव लाना है, खासकर फिल्म और टीवी उद्योग के असुरक्षित सेगमेंट में।
इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि, नेशनलिस्ट लीडर इंद्रेश कुमार जी, ने कहा - “ड्रग्स शरीर को तोड़ते हैं लेकिन हमें महिलाओं के साथ भेदभाव करने और उनका वस्तुकरण करने के ड्रग्स पर भी चर्चा करने की ज़रूरत है जो मन को नशे की ओर ले जाते हैं। " अपने प्रेरणात्मक भाषण में, उन्होंने न केवल महिलाओं, बल्कि सभी पुरुषों को एक साथ आने और औरतों के साथ अन्याय और शोषण के विरुद्ध लड़ने का आग्रह किया। "
इस कार्यक्रम में बोलते हुए श्रीमती रेशमा एच सिंह ने कहा, "यदि आप कोई दर्द झेल रही एक महिला हैं, अगर आप पीड़ित हैं, यदि आप कमजोर और भेदभाव महसूस करती हैं, तो पराशक्ति वह मंच  है जहां आपकी आवाज सुनी जाएगी, आपके साथ न्याय होगा। "
महिलाओं को एक मजबूत स्टैंड लेने के लिए प्रोत्साहित करते हुए उन्होंने कहा, “सभी प्रकार के अन्याय का सामना आपको सबसे पहले खुद करना होगा - क्योंकि आपके अंदर वह शक्ति है, चाहे आप इसे जानती हों या नहीं। एक स्त्री के माध्यम से सभी प्रकार की जीवन ऊर्जा और सृष्टि का प्रवाह होता है। आप इस ब्रह्मांड को भरने वाले शक्ति हैं। "
इस कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण मिशन शक्ति की प्रस्तुति थी, जो भारत का ए-सैट कार्यक्रम है, जिसके प्रोजेक्ट डायरेक्टर और डीआरडीओ के प्रतिष्ठित वैज्ञानिक डॉ वाई श्रीनिवास राव हैं। उन्होंने सीमाओं और अंतरिक्ष की रक्षा करने और दुनिया के लिए हमारी क्षमताओं का प्रदर्शन करने की तात्कालिकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि हम हमेशा से एक वैज्ञानिक सभ्यता रहे हैं और आज हम फिर से दुनिया में उस परम स्थान को हासिल करने की राह पर हैं। मिशन शक्ति केवल शुरुआत है। यह भारत की जागृत महिला भावना की तरह है।
आचार्य महामंडलेश्वर डॉ. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी, एक आध्यात्मिक लीडर होने के अलावा, एलजीबीटीक्यू समुदाय और उनके अधिकारों के लिए एक प्रमुख आवाज रही हैं। उन्होंने कहा कि अब तक की यात्रा कठिन रही है और मुश्किलों से लड़ी गई है, इसलिए मैं पूरे दिल से पराशक्ति का स्वागत करती हूं, जो एक ऐसे सशक्त मंच के रूप में है, जो उन्हें शक्ति प्रदान कर रहा है जिन्हें हम कमजोर और हाशिए पर रहने वाले लोगों के रूप में देखते हैं और जो लोग समाज में परछाइयों में विलुप्त रहे हैं। 
अतिथि वक्ता प्रो राकेश उपाध्याय (बनारस हिन्दू विश्व विद्यालय ) ने कहा कि पराशक्ति की प्रेरणा मिशन शक्ति से मिली है, जिसका उद्देश्य न सिर्फ हमारी क्षमताओं का परीक्षण करना था जो कि हमारे अंतरिक्ष में घुसपैठ करने वाली किसी चीज़ को भी नीचे गिराना है, जो उन लोगों के लिए भी एक सूक्ष्म चेतावनी है जो शायद ऐसा करने का सोच भी सकते हैं। यदि हम 300 किमी दूर एक संभावित खतरे को नष्ट कर सकते हैं, तो हम निश्चित रूप से किसी भी चीज से करीब से निपट सकते हैं।
पराशक्ति की कल्पना से महत्वपूर्ण बात यह थी कि एक महिला को जब लड़ना होगा तो लड़ना ही चाहिए। हमारे पास प्रतिशोध लेने के लिए जो ज्ञान है, वह काफी सुकून देने वाला है। अपने स्पेस को परिभाषित करना और सीमाओं को बनाए रखना हमेशा महिलाओं के साथ एक मुद्दा रहा है। शिकारियों के लिए सीमाओं को पार करना आसान हो गया है क्योंकि इन सीमाओं को दृढ़ता से परिभाषित नहीं किया गया है और हमारी प्रतिक्रिया में , प्रतिशोध और प्रतिकार की भावना की तुलना में निराशा भाव अधिक हैं।
लोगों से भरे ऑडिटोरियम में, प्रसिद्ध लेखक-निर्देशक अभिनव सिंह कश्यप ने इस कार्यक्रम को संचालित किया और मेहमानों के सवाल लिए, जिसमें फिल्म और टीवी उद्योग के मॉडल, अभिनेता, तकनीशियन शामिल थे। उन्होंने विशेष रूप से इंडस्ट्री में पुरुषों के बीच जहरीली मर्दानगी में बड़े पैमाने पर तेजी से हो रही वृद्धि पर प्रकाश डाला।
कार्यक्रम का समापन करते हुए श्रीमती रेशमा एच सिंह ने कहा कि फिल्म और टेलीविजन उद्योग सहज और निर्मल ह्रदय वाले कलाकारों, तकनीशियनों और पेर्फोर्मेर्स से भरा हुआ है। ऐसा समझा जाता है की जो कलाकार है उसे आसानी से शोषित किया जा सकता है। लेकिन ऐसा इसलिए है क्योंकि हम ऐसा होने देते हैं। असली शक्ति हमारे साथ है और हम एक-दूसरे का हाथ पकड़कर, अपने अनुभवों को साझा करके और एक-दूसरे को मजबूत करके मजबूत बन सकते हैं।
हम में से अधिकांश को यह भी पता नहीं है कि क्या हम लड़ सकते हैं ... या हमें लड़ना चाहिए। सच तो यह है कि हर किसी के जीवन में एक समय आता है जब उन्हें सीखना चाहिए कि हम उस सम्मान, गरिमा, अवसर या पहचान के लिए कैसे लड़ें।
हमें शारीरिक और मनोवैज्ञानिक स्पेस की सीमाओं की पहचान करने की आवश्यकता है जब बात महिलाओं की आती है तो हद पार कर दी जाती है. जो कुछ भी हो सकता है, उसकी भयावह अनुभूति स्वयं एक बोझ है और हमें समाज के रूप में महिलाओं को इससे छुटकारा दिलाने की आवश्यकता है। और यह पिता के ऊपर भी है कि वे अपनी बेटियों को खुद के लिए खड़े होने का विश्वास दिलाएं।
 इस कार्यक्रम की रचना में कैप्टेन संजय पराशर एवं विनायक काले वरिष्ठ समाज सेवक का उल्लेखनीय योगदान रहा।  
डॉ. वाई श्रीनिवास राव और डॉ. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने नवभारत फाउंडेशन की ओर से इस समारोह में प्रख्यात फोटोग्राफर और सामाजिक कार्यकर्ता प्रवीण तलान को सम्मानित किया, जो वर्षों से राष्ट्रीय सुरक्षा और महिला सशक्तीकरण को लेकर असाधारण काम करते आ रहे हैं।

Thursday, April 18, 2019

कहानी -- हिंदी फिल्म -- कलंक

कहानी -- हिंदी फिल्म -- कलंक 
रिलीज़ -- १७ अप्रैल 
बैनर -- फॉक्स स्टार स्टूडियोज, धर्मा प्रोडक्शंस,नाडियाडवाला ग्रैंडसन एंटरटेनमेन्ट    
निर्माता -- करन जौहर, साजिद  नाडियाडवाला, हीरू यश जौहर, अपूर्व मेहता 
निर्देशक - अभिषेक वर्मन 
संवाद -- हुसैन दलाल 
पटकथा --  अभिषेक वर्मन 
कहानी -- शिवानी भटीजा 
कलाकार -- माधुरी दीक्षित, सोनाक्षी सिन्हा, आलिया भट्ट, वरुण धवन, आदित्य रॉय कपूर, संजय दत्त, कुणाल खेमू ।      
संगीत -- प्रीतम 
बैक ग्राउण्ड स्कोर -- संचित बल्हारा , अंकित बल्हारा 
गीत --अमिताभ भट्टाचार्य 
आवाज़ -- श्रेया घोषाल, अरिजीत सिंह, नीति मोहन , वैशाली महाडे   

लेखक - निर्देशक अभिषेक वर्मन ने "जोधा अकबर "(२००८ ) माय नेम इज खान ( २०१० ) स्टूडेंट ऑफ़ द ईयर (२०१२ ) आदि फिल्मों में सहायक निर्देशक के रूप में काम किया और फिर २०१४ में आयी  फिल्म "टू स्टेट्स " का स्वतंत्र रूप से निर्देशन किया। "कलंक " एक मल्टी स्टारर फिल्म है। पहले इस फिल्म में श्री देवी अभिनय करने वाली थी लेकिन उनकी मृत्यु के बाद अभिनेत्री माधुरी दीक्षित ने उनकी जगह इस फिल्म में अभिनय किया है।  संजय दत्त और माधुरी दीक्षित करीब २१ साल बाद एक साथ इस फिल्म में दिखाई देंगे। दोनों ने ८ फिल्मों में एक साथ काम किया है।संजय दत्त की पिछली दोनों फ़िल्में भूमि और साहेब बीवी और गैंगस्टर कुछ विशेष सफल नहीं रही जबकि उनकी जिंदगी पर बनी फिल्म "संजू " को दर्शकों ने बहुत पसंद किया। इसी तरह वरुण धवन और आलिया भट्ट  की भी एक साथ "कलंक " चौथी फिल्म है इससे पहले दोनों ने स्टूडेंट ऑफ़ द ईयर , हम्प्टी शर्मा की दुल्हनियाँ , बद्रीनाथ की दुल्हनियाँ आदि फिल्मों में काम किया है । पीरियड फिल्म "कलंक " करन जौहर के पिता यश जौहर का ड्रीम प्रोजेक्ट था लेकिन वो इसे पूरा नहीं कर सके और उनका निधन हो गया अब करन "कलंक " फिल्म को बना कर अपने पिता के अधूरे सपने को पूरा कर रहे हैं। २०१० में सलमान खान के साथ फिल्म "दबंग " से अभिनय सफर की शुरुआत करने वाली सोनाक्षी सिन्हा ने अब तक अनेकों फिल्मों में काम किया है।  उनकी मुख्य फ़िल्में हैं -- लुटेरा , राऊडी राठौर, दबंग - २, आर राजकुमार, अकीरा, इत्तेफ़ाक़, एक्शन जैक्सन,सन ऑफ़ सरदार,फोर्स - २ , हैप्पी फिर भाग जायेगी ,तेवर , लिंगा आदि।  आदित्य रॉय कपूर की मुख्य फ़िल्में हैं -- गुज़ारिश , लंदन ड्रीम्स , एक्शन रीप्ले, आशिकी - २,फितूर ,यह जवानी है दीवानी , दावते इश्क़,ओके जानू आदि।फिल्म में कियारा आडवाणी और कृति सेनन भी अतिथि भूमिका में दिखाई देंगी।        
     
सन १९४० यानि बँटवारे से पहले की फिल्म "कलंक" इश्क और इंतकाम की अनोखी कहानी बयां करती है। पीरियड ड्रामा फिल्म "कलंक" की कहानी एक अमीर रॉयल परिवार की बहू और एक मुसलमान लोहार के बीच हुई मोहब्बत की कहानी को बयां करती है। परिस्थितियों के चलते किस तरह ६ लोगों की जिंदगी एक दम से बदल जाती है। बलराज चौधरी (संजय दत्त) का बेटा देव चौधरी ( आदित्य रॉय कपूर ) और बहू सत्या चौधरी (सोनाक्षी सिन्हा ) हैं। रूप ( आलिया भट्ट ) की शादी किसी वजह से देव चौधरी से हो जाती है जो कि पहले से शादीशुदा है.  देव रूप से शादी तो कर लेता है लेकिन वो अपनी पहली पत्नी से ही प्यार करता है। इस दौरान रूप जफर से मिलती है और दोनों एक दूसरे से प्यार कर बैठते हैं.  जफर  ( वरुण धवन) एक लोहार है जो कि हीरा मंडी में अपनी दुकान चलाता है और उसी हीरा मंडी को बाद में अंग्रेज एक रेड लाइट एरिया में बदल देते हैं. इसी रेड लाइट एरिया में रहती है बहार बेगम ( माधुरी दीक्षित ), जिससे कभी मोहब्बत करते थे बलराज चौधरी (संजय दत्त)

क्या जफर और रूप की मोहब्बत, मोहब्बत नहीं एक कंलक है ? जब देव चौधरी पहले से ही विवाहित था तो रूप से उसने दूसरी शादी क्यों की ?

Friday, April 12, 2019

कहानी --हिंदी फिल्म -- अल्बर्ट पिंटो को गुस्सा क्यों आता है ?

कहानी --हिंदी फिल्म  -- अल्बर्ट पिंटो को गुस्सा क्यों आता है ?
रिलीज़ -- १२ अप्रैल 
निर्माता -- पिंकी अंकुर पटेल, नूपुर राजे, सौमित्र रानाडे,विक्रम सक्सेना, जगमीत सिंह। 
लेखक और निर्देशक -- सौमित्र रानाडे 
कलाकार -- मानव कौल, नंदिता दास , सौरभ शुक्ला  
संगीत -- अविषेक मजूमदार 
गीत -- अश्विनी कुमार

१९८० की क्लासिक फ़िल्म " अल्बर्ट पिंटो को गुस्सा क्यों आता है" की रिमेक फ़िल्म " अल्बर्ट पिंटो को गुस्सा क्यों आता है"  में मुख्य कलाकार हैं मानव कौल, नंदिता दास और सौरभ शुक्ला। १९८०  में बनी फ़िल्म " अल्बर्ट पिंटो को गुस्सा क्यों आता है " के निर्देशक थे सईद अख़्तर मिर्जा जबकि इस रिमेक फ़िल्म के निर्देशक हैं "जजन्तरम ममंत्रम" फेम सौमित्र रानाडे । इस रिमेक फ़िल्म का प्रीमियर सिंगापुर साऊथ एशियन फ़िल्म फेस्टिवल में हो चुका है। पुरानी फ़िल्म के मुख्य कलाकार थे नसीरुद्दीन शाह, शबाना आजमी, ओम पुरी ,स्मिता पाटिल आदि।  अभिनेता मानव कौल और अभिनेत्री नंदिता दास " अल्बर्ट पिंटो को गुस्सा क्यों आता है" के रीमेक फिल्म में काम करके बहुत ही  खुश हैं। उनका कहना है ,"   यह फिल्म हम दोनों के लिए बहुत ही मायने रखती है , ऐसी क्लासिक फिल्म में काम करके बहुत ही गर्व महसूस हो रहा है।  लेकिन साथ ही ऐसे महान कलाकारों की रीमेक फिल्म में अभिनय करना बहुत ही बड़ी चुनौती भी है। "
   
फिल्म "अल्बर्ट पिंटो को  गुस्सा क्यों आता है" की  रीमेक फिल्म " अल्बर्ट पिंटो को गुस्सा क्यों आता है " में आज के परिवेश को लेकर कुछ बदलाव किये गये हैं। कहानी इस प्रकार है ---   अल्बर्ट ( मानव कौल ) अपने घर में  बिना किसी को कुछ भी बताये सुबह - सुबह कहीं चला जाता है। उसकी प्रेमिका स्टेला ( नंदिता दास ) पिंटो के गायब होने की शिकायत पुलिस में दर्ज़ करा देती है।  अल्बर्ट जब बहुत दिनों तक वापस नहीं आता तो वो बहुत डर जाती है यह सोच कर कि कहीं अल्बर्ट को कुछ हो तो नहीं गया। जबकि अल्बर्ट नायर के साथ रोड ट्रिप मुंबई टू गोवा गया है। 

ऐसा क्या हुआ था पिंटो के साथ जो वो बिना किसी को बताये घर से गया ? मुंबई टू गोवा ट्रिप के दौरान पिंटो पर क्या - क्या गुज़रती है ? क्या वो सही सलामत घर वापस आ जाता है ?  

डॉक्टर बाबासाहेब आंबेडकर नोबेल अवार्ड


सनी शाह जो इंटरनेशनल ह्यूमन राइट्स कौंसिल के फाउंडर हैं ,इन्होने चौथा डॉक्टर बाबसाहेब आंबेडकर नोबेल अवार्ड जुहू के सी प्रिंसेस में आयोजित किया जहाँ भारत के हर राज्य से लोगों को आमंत्रित किया गया .इस अवार्ड में फिल्म जगत ,डॉक्टर, वकील ,पत्रकार ,न्यूज़ चैनल के रिपोर्टर ,संगीत , बिजनेसमैन ,समाज सेवक ,मंत्री ,सोशल वर्कर और  कई क्षेत्रों से जुड़े लोगों को सम्मानित किया गया।  इस साल पदमश्री अनूप जलोटा, जसलीन मथारु ,एकता जैन , निकिता रावल , ब्राईट के योगेश लखानी , जॉनी लीवर और कई जानेमाने मेहमानो को सम्मानित किया गया। इंटरनेशनल ह्यूमन राइट्स कौंसिल में ३१००० से ज़्यादा लोग पुरे भारत में जुड़े हुए हैं। ये संस्था सोशल काम करती है। मीडिया में आजतक के अमित त्यागी , एन डी टीवी इंडिया के इक़बाल परवेज़ ,इंडिया न्यूज़ के अभिषेक शर्मा और डिजिटल सुकून के सुधांशु कुमार को अवार्ड से सम्मानित किया गया।जॉनी लीवर ने आज के ज़माने में लोगों की ज़िन्दगी में मोबाइल से जुड़ा जोक सुनाया।  
 









Wednesday, April 10, 2019

हिंदी फिल्म मरुधर एक्सप्रेस का पोस्टर और ट्रेलर लांच

रेविंग्स इ डी यू प्राइवेट लिमिटेड के राज कुशवाहा और निर्देशक विशाल मिश्रा  ने अपनी फिल्म मरुधर एक्सप्रेस के पोस्टर और ट्रेलर लांच पर फिल्म के कलाकार और क्रू को अँधेरी के द व्यू सिनेमा में आमंत्रित किया। तारा अलीशा बेरी ,साउथ एक्ट्रेस प्रिया सिंह , विवान शाह , संगीतकार जीत गांगुली,सिंगर यासिर , आकांशा शर्मा  और अशीष कौर ख़ास इस लांच पर आये थे ।फिल्म की पूरी शूटिंग कानपूर में हुई है। कुणाल रॉय कपूर लांच पर नहीं आ पाए क्यूंकि वो शूटिंग कर रहे थे। ज़ी म्यूजिक कंपनी ने म्यूजिक रिलीज़ किया है। अथर्वा मोशन पिक्चर्स के प्रमोद गोरे फिल्म के सह निर्माता हैं और ये फिल्म १२ अप्रैल को रिलीज़ होनेवाली है।  

विवान शाह ,प्रिया सिंह और सोफ़िया सिंह की फिल्म ऐ काश के हम का पहला पोस्टर लांच




निर्माता किरण तलसीला और पंकज थलोर ने निर्देशक विशाल मिश्रा के साथ अपनी हिंदी फिल्म ऐ काश के हम का पहला पोस्टर अँधेरी के बैरल लाउंज में लांच किया। विवान शाह ,साउथ एक्ट्रेस प्रिया सिंह और सोफ़िया सिंह ख़ास इस फिल्म का पोस्टर लांच करने आये। सभी कलाकार ने हिमाचल में शूट के बारे में अपने विचार व्यक्त किये। विशाल मिश्रा ने इस फिल्म के पहले कॉफ़ी विथ डी ,होटल मिलन बनाई है। मई में इस फिल्म का प्रोमो लांच होगा।   

Tuesday, April 9, 2019

अक्षय कुमार की पहली फिल्म 'सौगंध' का बैकग्राउंड म्यूजिक देने वाले राजू सिंह का 'केसरी' तक का सफ़र



जिस तरह फिल्मो के संगीतकार की अहमियत होती है उसी तरह उन फिल्मो का बैकग्राउंड म्यूजिक देने वाले की भी अपनी महत्ता होती है. राजू सिंह की पहचान बैकग्राउंड म्यूजिक के उस्ताद के रूप में होती है. बॉलीवुड की अनेक फिल्मों में वह बैकग्राउंड म्यूजिक देकर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा चुके हैं। हाल ही में अक्षय कुमार की फिल्म 'केसरी' के बैकग्राउंड म्यूजिक की वजह से चर्चित राजू सिंह संगीत निर्देशक के रूप में भी कई फिल्मो में हिट गाने कम्पोज कर चुके हैं।
राजू सिंह लगभग तीन दशकों से लगातार संगीत के क्षेत्र में काम कर रहे हैं. कभी उन्होंने किसी और म्यूजिक डायरेक्टर के गिटारिस्ट बनकर तो कभी ड्रमर बनकर अपनी सेवायें दी हैं. संगीत का शौक बचपन से रखने वाले राजू ने 1983 में "वारिस " फिल्म में लता मंगेशकर के एक गाने में गिटार बजाया था। उत्तम सिंह ने पहली बार उन्हें चांस दिया था। बाद में अमर हल्दीपुर के साथ काम किया और फिर आर डी बर्मन कैंप में शामिल होकर संगीत की बारिकियाँ सीखीं। ''म्यूजिशियन के रूप में मैंने कई संगीतकारों के साथ काम किया हुआ है. पंचम दा आरडी बर्मन के साथ गिटारिस्ट के रूप में काम किया था. फिर आनंद मिलिंद, नदीम श्रवण, वीजू शाह,अनु मलिक के साथ म्यूजिशियन के तौर पर काम किया. इसी दौरान सीरियल "बनेगी अपनी बात" के लिए बैकग्राउंड म्यूजिक देने का ऑफर मिला. फिर मुझे विनोद खन्ना स्टारर फिल्म कारनामा के लिए बैक ग्राउंड स्कोर करने का पहली बार मौका मिला. इसके बाद मैंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. मुझे भी लगा कि किसी और म्यूजिक डायरेक्टर के लिए सिर्फ गिटार बजाने से बेहतर है कि अपनी एक अलग पहचान बनाई जाए. और इस तरह बैकग्राउंड म्यूजिक देने में बेहद व्यस्त हो गया. अक्षय कुमार की पहली फिल्म 'सौगंध' का बैकग्राउंड म्यूजिक मैंने दिया था.
सैनिक, मिस्टर बांड, सबसे बड़ा खिलाडी, खिलाडियों का खिलाडी जैसी अक्षय कुमार की कई फिल्मो का बैक ग्राउंड म्यूजिक मैंने दिया. उसके बाद अक्षय के साथ मुझे 'केसरी' जैसी बड़ी फिल्म करने का मौका मिला. १९९६ में रिलीज़ हुई खिलाडियों का खिलाडी के 23 साल बाद अक्षय के साथ केसरी फिल्म में काम किया.''
अक्षय कुमार की फिल्म 'केसरी' से जुड़ने के सन्दर्भ में राजू सिंह कहते हैं ''अधिकतर फिल्मे बैक ग्राउंड म्यूजिक के लिए हमारे पास शूटिंग और एडिटिंग के बाद आती हैं. लेकिन केसरी की शूटिंग से पहले मैं इस मुवि से जुड़ गया था. मैंने इसके कुछ सीन के लिए बैक ग्राउंड म्यूजिक उस सीन की शूटिंग से पहले ही कम्पोज़ कर लिया था. आज फिल्म की सफलता से ख़ुशी हो रही है. फिल्म ने सौ करोड़ से अधिक का कारोबार कर लिया है, हमारे लिए यह गर्व की बात है.''
फिल्मो में बैक ग्राउंड संगीत के बदलते परिदृश्य के बारे में राजू सिंह की राय बड़ी अहम है ''अगर आप देखें तो पहले की फिल्मो के बैक ग्राउंड म्यूजिक बहुत पोपुलर होते थे, उसकी एक वजह यह थी कि जो संगीतकार फिल्म के गाने क्रिएट करता था वही उसका बैक ग्राउंड संगीत भी देता था. संगीतकार को पता रहता है कि वह फिल्म के गाने या इसकी धुनों को कहाँ किस सिचुएशन में इस्तेमाल कर सकता है. मैं भी बैक ग्राउंड म्यूजिक देते समय इस बात का ध्यान रखता हूँ कि दर्शकों को ये न पता चले कि इसका म्यूजिक किसी और ने कम्पोज किया है जबकि इसका बैक ग्राउंड म्यूजिक अलग है क्योंकि मैं कहीं कहीं गाने की धुनों को भी इस्तेमाल करता हूँ.''
फिल्म के गानों के कम्पोजर के रूप में भी राजू सिंह ने काम किया है लेकिन इतना कम क्यों? वह इसकी वजह बताते हुए कहते हैं ''जी हाँ, मैंने बहुत कम गाने कम्पोज़ किये हैं. बतौर संगीतकार मेरी पिछली फिल्म 'राज़ २' थी जिसका गाना 'सोनियो' बेहद लोकप्रिय हुआ था.बैक ग्राउंड संगीत के लिए मैं इतना समय दे देता हूँ कि मुझे कम्पोजर के रूप में काम करने का वक्त ही नहीं मिलता लेकिन बैक ग्राउंड कम्पोजर के रूप में मैं अपने काम को एन्जॉय कर रहा हूँ और निर्माता निर्देशक को मेरी इस क्वालिटी पर बड़ा भरोसा है.''
राजू सिंह १४० फिल्मे अब तक बतौर बैक ग्राउंड संगीतकार के रूप में कर चुके हैं जबकि १२-१३ फिल्मे म्यूजिक डायरेक्टर के रुप में कर चुके हैं. उनके आने वाले प्रोजेक्ट्स हैं सनी देओल की फिल्म 'पल पल दिल के पास', महेश भट्ट की ' सड़क २' और मोहित सूरी की 'मलंग'.

Friday, April 5, 2019

कहानी -- हिंदी फिल्म -- रोमियो अकबर वॉल्टर

कहानी -- हिंदी फिल्म -- रोमियो अकबर वॉल्टर 
रिलीज़ -- ५ अप्रैल 
बैनर -- वायाकॉम १८ मोशन पिक्चर्स,कत्या प्रोडक्शंस 
निर्माता -- वायाकॉम १८ मोशन पिक्चर्स, अजय कपूर,धीरज वधावन, वेनेसा वालिया, गैरे ग्रेवाल
निर्देशक --रॉबी  ग्रेवाल 
लेखक -- रॉबी ग्रेवाल, इशराक इबा , श्रेयांश पांडेय   
कलाकार -- जॉन अब्राहम, मौनी रॉय, जैकी श्रॉफ, सिकंदर खेर।     
संगीत -- अंकित तिवारी, सोहैल सेन, शब्बीर अहमद, राज आशू 
बैक ग्राउंड संगीत -- हनीफ़ शेख    
 फिल्म "रोमियो अकबर वॉल्टर "के निर्देशक हैं रॉबी ग्रेवाल। रॉबी ने करीब १० साल बाद कोई फिल्म निर्देशित की है इससे पहले २००९ में इन्होने फिल्म "आलू चाट " निर्देशित की और इससे पहले  २००३ में "समय" २००७ में "एम पी थ्री : मेरा पहला
 पहला प्यार" आदि फ़िल्में निर्देशित की । २००५ में आयी लोकप्रिय फिल्म "यहाँ " के निर्माता भी रॉबी ही थे. 
सन २००३ में फिल्म "जिस्म " से दर्शकों के बीच अपनी उपस्थिति दर्ज़ कराने वाले अभिनेता जॉन अब्राहम ने साया , 
काल, ऐलान, धूम, मदहोशी , वाटर , गरम मसाला,जिन्दा , टैक्सी नंबर - २०११,  काबुल एक्सप्रेस , दोस्ताना,
न्यूयॉर्क, सात खून माफ़,फोर्स , देसी बॉयज,हाउसफुल - २, शूट आउट एट वडाला, मद्रास कैफे,वज़ीर , रॉकी हैंडसम, 
ढिशूम ,फोर्स - २ , परमाणु और सत्यमेव जयते आदि फिल्मों में अभिनय किया है.  फिल्मों में बैक ग्रॉउंड डाँसर के रूप में 
काम कर चुकी  मौनी ने २००७ में "क्योंकि सास भी कभी बहू थी " से अपना अभिनय सफर शुरू किया। इसके बाद 
इन्होने कस्तूरी, दो सहेलियाँ , श्श्श्श कोई है ,देवों के देव महादेव ,नागिन के अलावा अनेकों रियल्टी शो में काम किया है. 
मौनी की पहली फिल्म "गोल्ड " थी. 
'रोमियो अकबर वॉल्टर’ यानि रॉ की कहानी एक सच्चे जासूस की कहानी है. कहानी है एक सीक्रेट एजेंट रोमियो 
अकबर वॉल्टर ( जॉन अब्राहम ) की। जो कि ७० के दशक में पाकिस्तानी सेना में शामिल होकर हिन्दुस्तानी सेना के 
लिये जासूसी करता है।  अपनी देशभक्ति, बहादुरी और बलिदान के साथ देश की सेवा करता है।उसकी जिंदगी कई बार ऐसे भी अवसर आते हैं जब पाकिस्तान अधिकारी  उसे पहचान कर पकड़ने की कोशिश भी करते हैं । 
ऐसे में कैसे रोमियो ,अकबर या वॉल्टर बन कर वो जासूस अपने देश के लिये काम करता है और कैसे भारत-पाकिस्तान 
के बीच हुई जंग में पाकिस्तान को भारतीय सेना के  सामने घुटने टेकने पर मजबूर कर देता है।

मैदान ने क्यों कोई झंडे नहीं गाड़े समझ नहीं आया जबकि यह बेहतरीन फिल्म है

  कल  मैने प्राइम विडियो पर प्रसारित निर्देशक अमित रविंद्रनाथ शर्मा और अभिनेता अजय देवगन की फिल्म "मैदान" देखी। अजय देवगन की यह फि...