रिलीज़ -- १ मार्च
बैनर -- आर एस वी पी मूवीज निर्माता -- रोन्नी स्क्रूवाला
निर्देशक -- अभिषेक चौबे
लेखक -- अभिषेक चौबे, सुदीप शर्मा
कलाकार -- मनोज बाजपेयी, सुशांत सिंह राजपूत, भूमि पेडनेकर, आशुतोष राणा, रनवीर शौरी
संगीत -- विशाल भारद्वाज
गीत -- वरुण
निर्माता - निर्देशक और संगीतकार विशाल भारद्वाज के सहायक रह चुके अभिषेक चौबे ने विशाल भारद्वाज के साथ मकड़ी ( २००२ ) ओंकारा ( २००६ ) कमीने ( २००९ ) आदि फिल्मों में काम किया। इसके बाद २०१० में अभिषेक की पहली फिल्म आयी इश्क़िया , २०१४ में डेढ़ इश्क़िया , २०१६ में आयी "उड़ता पंजाब " और अब यह एक्शन फिल्म "सोनचिड़िया " आ रही है। अभिषेक ने एक फिल्म " ए डेथ इन द गूँज " का निर्माण भी किया जिसका निर्देशन किया था अभिनेत्री कोंकणा सेन शर्मा ने। टी वी से बड़े परदे की ओर रुख करने वाले अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत ने फिल्मों में अपनी शुरुआत अभिषेक कपूर की फिल्म "काई पो चे " से की। इसके बाद इन्होंने शुद्ध देसी रोमांस, पी के, डिटेक्टटिव व्योमकेश बक्शी, एम एस धोनी : द अनटोल्ड स्टोरी ,राब्ता , केदारनाथ आदि फ़िल्में की। अभिनेत्री भूमि पेडनेकर की पहली फिल्म थी "दम लगा के हईशा" , इसके बाद दूसरी फिल्म थी "टॉयलेट - एक प्रेम कथा " फिर आयी "शुभ मंगल सावधान " और लस्ट स्टोरीज नाम की एक वेब सीरीज़ भी आयी थी। अभिनेता मनोज बाजपेयी कितने सशक्त अभिनेता हैं हम सभी जानते हैं। १९९४ में मनोज की पहली फिल्म आयी थी शेखर कपूर की "बैंडिट क्वीन " यह फिल्म भी चम्बल के डाकुओं पर आधारित थी और इस फिल्म में भी मनोज ने डाकू मान सिंह किरदार अभिनीत किया था। अब इस फिल्म "सोनचिड़िया" में भी मनोज मान सिंह के किरदार में हैं।
"सोनचिड़िया" फिल्म सच्ची घटना पर आधारित है। चम्बल घाटी में रहने वाले बागियों के जीवन पर बनाई गयी इस फिल्म की शुरुआत १९७५ में देश में लगी इमरजेंसी से होती है .इमरजेंसी की घोषणा सुनकर बीहड़ क्षेत्र में फँसे बागियों के बीच हड़कंप मच जाता है. इमरजेंसी लागू होने पर सारे बागी बोखलायें हुए हैं। डकैत मान सिंह ( मनोज बाजपेयी ) और उसका गैंग भी पुलिस से बचने के लिये बीहड़ में दौड़ता भागता फिर रहा है। उसके गैंग के सदस्य डकैत लखना ( सुशांत सिंह राजपूत ) इंदुमती तोमर ( भूमि पेडनेकर ) वकील सिंह (रनवीर शौरी ) आदि सभी बागी इधर - उधर भटक रहे हैं। उनकी इस स्थिति का फ़ायदा उठा कर पुलिस इंस्पेक्टर वीरेंदर सिंह गुज्जर ( आशुतोष राणा ) भी उनके पीछे पड़ा है।
पुलिस चम्बल के बागियों को कितने दिन में पकड़ पाती है ? बागियों और पुलिस के बीच कितने दिन पकड़ने - भागने का सिलसिला चलता है ?
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