Thursday, January 24, 2019

कहानी -- हिंदी फिल्म -- मणिकर्णिका: द क्वीन ऑफ़ झाँसी

कहानी -- हिंदी फिल्म -- मणिकर्णिका: द क्वीन ऑफ़ झाँसी 
रिलीज़ -- २५ जनवरी 
बैनर -- कैरोस कॉन्टेन्ट स्टूडियोज 
निर्माता -- ज़ी स्टूडियोज, कमल जैन, निशांत पित्ती 
निर्देशक -- कृष ( राधा कृष्णा जगारलामुडी ) कंगना रनौत
 गीत और संवाद लेखक -- प्रसून जोशी 
कहानी और स्क्रीन प्ले -- के वी विजयेंद्र प्रसाद    
सूत्रधार -- अमिताभ बच्चन 
कलाकार -- कंगना रनौत, अतुल कुलकर्णी, सुरेश ओबेरॉय, डैनी डेंज़ोंग्पा, अंकिता लोखण्डे     
संगीत -- शंकर, अहसान , लॉय 
बैक ग्राउण्ड स्कोर -- संचित बल्हारा और अंकित बल्हारा।
आवाज़ -- शंकर महादेवन,सिद्धार्थ महादेवन, सुखविंदर सिंह, प्रतिभा सिंह बघेल, रवि मिश्रा,प्राजक्ता शुक्रे , श्रीनिधि घटाटे ,अरुणजा, प्रसून जोशी।       
  
राष्ट्रीय पुरस्कार , नंदी और फिल्मफेयर पुरस्कार से सम्मानित निर्देशक कृष ( राधा कृष्णा जगारलामुडी ) ने अब तक अनेकों तेलुगु,एक तमिल और एक हिंदी फिल्म निर्देशित की है। हिंदी फिल्म  "मणिकर्णिका: द क्वीन ऑफ़ झाँसी " उनकी दूसरी हिंदी फिल्म है।  इससे पहले २०१५ में इन्होने अक्षय कुमार की फिल्म "गब्बर इज बैक " निर्देशित की थी. तेलुगु के सुपर स्टार अभिनेता और नेता स्व एन टी रामा राव की जिंदगी पर आधारित फिल्म " एन टी  आर कथानायकुडु " ( जिसे कृष ने ही निर्देशित किया है ) भी इसी महीने रिलीज़ हुई है। हमेशा विवादों से जुड़ी रहने वाली अभिनेत्री कंगना रनौत की दो फ़िल्में रंगून और सिमरन , २०१७ में आयी थी। फिल्म "मणिकर्णिका: द क्वीन ऑफ़ झाँसी " को कंगना ने भी निर्देशित किया है।  इससे पहले २०१३ में आयी फिल्म "क्वीन " में भी कंगना ने संवाद लिखे थे. टी वी की लोकप्रिय अभिनेत्री अंकिता लोखण्डे ( पवित्र रिश्ता ) भी इसी फिल्म से बड़े परदे पर अपनी शुरुआत कर रही हैं.  हिंदी, तमिल, तेलुगु, मलयालम,कन्नड़ , मराठी, उड़िया और अँग्रेजी भाषा की फिल्मों में अभिनय कर चुके अभिनेता अतुल कुलकर्णी ने हे राम, चाँदनी बार, सत्ता, दम ,खाकी,पेज थ्री, रँग दे बसंती, दिल्ली - ६, गाज़ी अटैक, रईस आदि अनेकों फिल्मों में अभिनय किया है.       


"मणिकर्णिका - द क्वीन ऑफ़ झांसी" फिल्म योद्धा रानी लक्ष्मी बाई की वास्तविक जीवन की कहानी है। वह अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने वाली इतिहास की पहली महिला थीं और उन्होंने आजादी के लिए पहला युद्ध शुरू किया।  रानी ने झांसी को अंग्रेजों से बचाने के लिए एक भयंकर लड़ाई लड़ी और युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुई ।  रानी लक्ष्मी बाई की  अंग्रेजों के खिलाफ बहादुरी से लड़ाई और  वीरता सभी के लिये बहुत ही प्रेरणादायक है ।  

लक्ष्मी बाई का जन्म १९  नवम्बर १८२८  को पवित्र स्थान वाराणसी में एक मराठी ब्राह्मण परिवार में पिता मोरो ताम्बे और माता भागीरथी बाई के घर में हुआ था। लक्ष्मी बाई के जन्म के समय उनका नाम मणिकर्णिका ताम्बे रखा गया  था। जब मणिकर्णिका ४  वर्ष की थी तो उनकी माता का देहांत हो गया।  लक्ष्मी बाई को  बचपन से ही निशानेबाज़ी, तलवारबाजी और घुड़सवारी में रूचि थी ।  मणिकर्णिका / लक्ष्मी बाई ( कंगना रनौत ) का विवाह झाँसी के  महाराजा गंगाधर राव ( जीषु सेनगुप्ता ) मई १८४२ को हुआ। १८५१ में लक्ष्मी बाई ने एक पुत्र को जन्म दिया। पुत्र  का नाम दामोदर राव रखा गया,  पर ४ महीने बाद ही उसकी मृत्यु हो गयी।   कुछ समय बाद महाराजा ने अपने भाई के पुत्र को गोद ले लिया।  १९५३ में महाराजा की भी मृत्यु हो गयी  और उनकी मृत्यु  के बाद  नये  दामोदर राव (आनंद राव) के गोद लिए होने के कारण ब्रिटिश सरकार ने उसे उत्तराधिकारी नहीं माना और उसके सिहासन पर बैठने को खारीज  कर दिया गया।  सन 1857 के भारतीय विद्रोह में रानी ने  साहस के साथ ब्रिटिश राज का सामना किया , भयंकर लड़ाई लड़ी और युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुई  । 

No comments:

Post a Comment

मैदान ने क्यों कोई झंडे नहीं गाड़े समझ नहीं आया जबकि यह बेहतरीन फिल्म है

  कल  मैने प्राइम विडियो पर प्रसारित निर्देशक अमित रविंद्रनाथ शर्मा और अभिनेता अजय देवगन की फिल्म "मैदान" देखी। अजय देवगन की यह फि...