Friday, January 18, 2019

कहानी --व्हाई चीट इंडिया

कहानी --  हिंदी फिल्म --  व्हाई चीट इंडिया 
रिलीज़ -- १८ जनवरी 
बैनर --  इमरान हाशमी फिल्म्स प्रोडक्शन, एलिप्सिस एंटरटेनमेंट और टी-सीरीज फिल्म्स 
निर्माता ---  भूषण कुमार, किशन कुमार, तनुज गर्ग, अतुल कस्बेकर और परवीन हाशमी 
लेखक और निर्देशक -- सौमिक सेन    
कलाकार --  इमरान हाशमी, श्रेया धनवन्तरी 
संगीत -- रोचक कोहली, गुरु रंधावा, कृष्णा सोलो, कुणाल - रंगों, अग्नि, सौमिक सेन 
बैक ग्रॉउंड संगीत -- नील अधिकारी     
गीत -- मनोज मुंतशिर, कुणाल वर्मा , गुरु रंधावा,जूही सकलानी   
आवाज़ -- अरमान मलिक, जुबिन नौटियाल, मोहन कानन और गुरु रंधावा
   
 सामाजिक ड्रामा फिल्म "चीट इंडिया " के  निर्देशक हैं सौमिक सेन। लेखक, गीतकार , संगीतकार और निर्देशक सौमिक सेन ने पहली फिल्म "एंथोनी कौन है "( २००६ ) निर्देशित की थी।  इसके बाद रूबरू , मीरा बाई नॉट ऑउट, हम तुम और घोस्ट, गुलाब गैंग और बैडमैन आदि फ़िल्में निर्देशित की।  २०१७ में आयी फिल्म " बादशाहो" के बाद  अभिनेता इमरान हाशमी की  पहली ही कोई फिल्म रिलीज़ हो रही है तो यह है "चीट इंडिया ". इस फिल्म में इमरान अभिनय ही नहीं कर रहे बल्कि इस फिल्म के निर्माता भी हैं। मॉडल और अभिनेत्री श्रेया धनवन्तरी ने २००८ में फेमिना मिस सॉउथ में हिस्सा लिया और पहली रनर अप रही। इसके बाद २००८ में ही श्रेया मिस इंडिया में शामिल हुई और फाइनल तक पँहुची। श्रेया ने २०१० में एक तेलुगु फिल्म में अभिनय किया।  इसके बाद शार्ट फिल्म और कई वेब सीरीज़  में भी  काम किया। " चीट इंडिया" श्रेया की पहली हिंदी फिल्म है।  

फिल्म "चीट इंडिया " की कहानी है कि भारत में शिक्षा कैसे बेची और खरीदी जाती है। आज हर माँ -- बाप का सपना है कि उसके अपने बच्चे  डॉ , इंजीनियर और एम बी ए बनें। इसके लिये वो कुछ भी करने के लिये तैयार होते हैं।  उनकी इस स्थिति का फायदा कुछ ऊँचे ओहदे पर बैठे भ्रष्ट अधिकारी उठाते हैं। फिल्म की कहानी मूल रूप से हमारी शिक्षा प्रणाली में व्याप्त भ्रष्टाचार के आस पास ही घूमती है। कहानी है एक युवा भ्रष्ट अधिकारी राकेश सिंह ( इमरान हाशमी ) की , जो कि पैसे के बल पर परीक्षाओं में धाँधली करवाता है। रूपये लेकर नाक़ाबिल लोगों को मेडिकल कालेज और  विश्वविद्यालय में प्रवेश दिलाता है, नकली डिग्री दिलाता है और वो यह सारे गलत काम बहुत ही गर्व से करता है ,उसे यह सब करने का कोई अफ़सोस भी नहीं होता। 

क्या राकेश सिंह को अपने किये गये गलत कामों की सज़ा मिलती है या वो ऐसे ही बच्चों और माता - पाता की जिंदगियों से खेलता रहता है। 
यही सब इस फिल्म में दिखाया गया है।

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