स्क्रीन प्ले -- निखिल अडवाणी, परवेज़ शेख,असीम अरोरा
संगीत -- तनिष्क बागची, यो यो हनी सिंह, कनिका कपूर, सोहैल सेन,बिलाल सईद
बैक ग्रॉउंड संगीत -- जॉन स्टीवर्ट युदारी
गीत -- शब्बीर अहमद, इक्का, यो यो हनी सिंह,जमील अहमद, हॉमी दिल्लीवाला, सिमर कौर.
आवाज़ -- राहत फतेह अली खान ,इक्का, यो यो हनी सिंह, सिमर कौर, ज्योतिका टँगरी, प्रतिभा सिंह।
"बाज़ार" नाम की यह तीसरी फिल्म है इससे पहले सन १९४९ में और १९८२ में भी इसी नाम से फिल्में आ चुकी हैं। लेकिन इन तीनों ही फिल्मों की कहानी एक- दूसरे बिलकुल ही अलग हैं .पहली फिल्म "बाज़ार" के निर्देशक के अमरनाथ थे दूसरी फिल्म के सागर सरहदी थे जबकि इस फिल्म के निर्देशक हैं गौरव के चावला। रोहन सिप्पी, शाद अली और निखिल अडवाणी के साथ सहायक के रूप में काम करने वाले गौरव ने कुछ न कहो ( २००३ ) पी ओ डब्ल्यू बंदी युद्ध के ( २०१६) आदि फ़िल्में निर्देशित की हैं। अभिनेता सैफ अली खान ने यूं तो कल हो न हो , हम तुम,ओमकारा ,एक हसीना थी , हम साथ साथ हैं ,एल ओ सी कारगिल, परिणीता,रेस , लव आजकल, कॉकटेल, एजेंट विनोद आदि अनेकों सफल फिल्मों में अभिनय किया है.लेकिन बहुत दिनों से उनकी किसी भी फिल्म को सफलता हासिल नहीं हुई है.बुलेट राजा, हमशकल्स,हैप्पी एंडिंग , फैंटम , रंगून, शेफ , कालाकाण्डी आदि फ़िल्में कब आयी और गयी किसी को पता भी नहीं चला। सैफ को एक सफल फिल्म की बहुत जरूरत है तो फिल्म "बाज़ार " बाज़ार में सफल हो तो बहुत अच्छा है। २००३ में फिल्म "हज़ारों ख्वाहिशें ऐसी " से अभिनय सफर आरम्भ किया अभिनेत्री चित्रांगदा सिंह ने। इसके बाद उन्होंने सॉरी भाई, ये साली जिंदगी, देसी बॉयज, जोकर, इंकार , आई मी और मैं ,साहेब बीवी और गैंगस्टर ३ आदि फिल्मों में काम किया।तमिल , तेलुगु , मलयालम , बंगाली , मराठी और हिंदी फिल्मों की अभिनेत्री राधिका आप्टे ने हिंदी फिल्मों में शुरुआत की फिल्म "वाह लाइफ हो तो ऐसी ". इसके बाद राधिका ने रक्त चरित्र १ और २ , आई एम , शोर इन द सिटी,बदलापुर , हंटर , मांझी - द माउंटेन मैन ,पार्च्ड , फोबिया , कबाली ,पैड मैन, अंधाधुन और कई वेब सीरीज़ आदि में अभिनय किया है. ८० के दशक के लोकप्रिय अभिनेता विनोद मेहरा सुपुत्र रोहन मेहरा भी इस फिल्म के साथ फिल्मों में कदम रख रहे हैं।
मुंबई के शेयर बाजार पर आधारित थ्रिलर फिल्म "बाज़ार " की कहानी है महत्वाकांक्षा, लालच, विश्वासघात, हानि की। शकुन कोठरी ( सैफ अली खान ) जो कि एक सफल और चालाक व्यापारी है और जो केवल बस केवल अपने लाभ की ही परवाह करता है. जिसे पैसे से बहुत प्यार है जो अपने पैसे को दुगुना या यो कहें सौ गुना बढ़ाना चाहता है और चाहता है कि बस बाज़ार में उसके ही नाम का नाम हो, उसका नाम कोठारी भी टाटा , बिड़ला,वाडिया और अंबानी की तरह विश्व प्रसिद्ध हो। मंदिरा कोठरी ( चित्रांगदा सिंह ) शकुन की पत्नी है। प्रिया मल्होत्रा ( राधिका आप्टे ) शुकन कोठारी के ऑफिस में काम करती है। छोटे शहर का लड़का रिज़वान अहमद ( रोहन मेहरा ) भी मुंबई में अपनी किस्मत आजमाने जाता है. मुंबई में उसकी नौकरी भी शकुन के ऑफिस में ही लगती है। रिज़वान अपने बॉस यानि शकुन को खुदा मानता है वह शकुन से बहुत प्रभावित भी है और उसके ही जैसा बनने का सपना भी देखता है।शकुन भी रिज़वान से प्रभावित होता है और उसे अपने साथ काम पर रख लेता है पर कुछ हिदायतों के साथ।
क्या रिज़वान शकुन की बात मान कर सारे काम करता है या उसे प्रभावित करने और आगे निकलने की होड़ में उसकी कही बातों को दरकिनार कर देता है? क्या शकुन भी रिज़वान पर आँख मूंदकर विश्वास करता है ? क्या होता है पैसे ,लालच , धोखे और महत्वाकांक्षा की कहानी "बाज़ार " में।