
राजकुमार हिरानी से प्रेरित हैं निर्देशक हरीश कोटियान और संदीप चौधरी । इसलिए रोते-रोते हंसाना और हंसते-हंसते रूला देना उनके ही निर्देशन का करिश्माई पहलू है, जिसे हर्ष अभिनय में भी आज़माना चाहते हैं। उन्हें उम्मीद है कि जब विज्ञापन जगत ने उनके दमखम को स्वीकार किया, तो फिल्म जगत भला क्यों बेरूखी दिखाएगा। टीनेजर्स लाइफ में ही उन्हें फिल्म ‘प्यार में कभी-कभी’ का स्टार्ट टू फिनिश कैरेक्टर मिल गया था, पर कभी-कभी परिस्थितियां ऐसी बन जाती हैं कि अच्छा किरदार भी अच्छे दिन नहीं दिखा पाता। लेकिन हर बार तो ऐसा नहीं होगा। ‘लव डे’ में उनका किरदार इस बार दर्शकों का दिल जीतने आया है। उन्हें यह मैसेज या संदेश देने कि दोस्ती है तो उसे निभाना भी सीखो। झूठ की दोस्ती लंबे समय तक नहीं चलती। भले ही ‘लव डे’ के तीन दोस्त अलग-अलग विचारों के हैं, पर उन्हें प्यार ने एक सूत्र में बांध रखा है और यह फिल्म भी उसी तरह दर्शकों को बांधने का दम रख
ती है। बस, इंतज़ार खत्म होने वाला है।
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