Thursday, February 22, 2024

मंत्र मुग्ध कर देने वाली आवाज़ के धनी अमीन सयानी की यादें

91 साल की उम्र में अमीन सयानी जी का निधन हो गया। उनको हम देश का पहला आर जे भी कह सकते हैं। रेडियो सिलोन में गीतों का कार्यक्रम बिनाका गीतमाला आता था हम सबने वहीं उनकी मीठी आवाज सुनी थी। अमीन जी के बोलने का अंदाज कुछ इस तरह था
"जी हां बहनो और भाइयो, मैं हूं आपका दोस्त अमीन सयानी और आप सुन रहे हैं बिनाका गीतमाला "

हर बुधवार को सभी श्रोता उनकी आवाज सुनने के लिए बेताब रहते थे।  आज अमीन जी हमारे बीच नहीं रहे लेकिन उनकी आवाज हमेशा हम सभी के कानों में गूंजती रहेगी।

बचपन से लेकर बड़े होने तक हजारों लाखों लोगों को तरह मैंने भी उनकी आवाज़ सुनी थी कभी सोचा नहीं था कि कभी उनसे मिलने का मौका भी मिलेगा । 2010 में म्यूजिक कंपनी सारेगामा से बिनाका गीतमाला की कुछ सी डी रिलीज हुई थी तब अमीन जी से मिलने का अवसर मिला । उनसे मिलकर ऐसा लगा जैसे मेरा एक सपना पूरा हुआ। बहुत ही विनम्रता से वो मुझसे मिले। जब उनसे बातचीत शुरू हुई तो ऐसा लगा जैसे मैं रेडियो सुन रही हूं जबकि वो मेरे सामने ही बैठे थे। हालांकि अमीन सयानी जी आप सशरीर हमारे बीच नहीं हैं लेकिन हमेशा ही आप हमारी यादों में रहेंगे ।


Tuesday, February 20, 2024

डंकी या देस परदेस

पिछले दिनों नेटफ्लिक्स पर शाहरुख खान अभिनीत और राज कुमार हिरानी द्वारा निर्देशित फिल्म "डंकी" देखी। अपने और परिवार वालों के बेहतर भविष्य के लिए किस तरह लोग अवैध तरीके से विदेशों में पाउण्ड कमाने जाते हैं। अपने सपनों को पूरा करने विदेश तो जाते हैं लेकिन किस बदतर स्थिति में वो रहते हैं। यह सब इस फिल्म में दिखाया गया। 

1978 में इसी तरह की  देव आनंद की फिल्म आयी थी "देस परदेस" ।यह फिल्म अच्छी थी , कलाकारों का अभिनय , गीत संगीत सभी कुछ अच्छा था । कहीं भी कुछ ओवर नहीं था। डंकी और देस परदेस की कहानी बहुत कुछ एक सी है लेकिन जो भावनाएं देस परदेस को देखने के बाद उमड़ती हैं वो डंकी को देखकर नही उमड़ती। 
जहां तक अंग्रेजी भाषा को लेकर हास्य बनाने की बात है तो उसमें मज़ा आ रहा था लेकिन इस तरह का हास्य पहले भी दर्शकों ने देखा।
ऐसा नहीं है कि डंकी में कलाकारों ने अच्छा अभिनय नहीं था , विकी कौशल तो पूरी महफ़िल ही लूट ली। जहां तक शाहरुख खान की बात है उन्हे देखकर उनकी फिल्म "जीरो" और फैन की याद आती है। जब जब उन्हें  जवां दिखाने की कोशिश की जाती है वो ऐसे ही लगने लगते हैं। 
एक से बढ़कर एक फिल्में दर्शकों को देने वाले राज कुमार हिरानी भी शाहरुख खान को लेकर अच्छी फिल्म नहीं बना पाए। समझ नहीं आया क्यों उन्होंने इस फिल्म को बनाया।तापसी ने भी शाहरुख के साथ फिल्म कर ली। ऐसा सुनहरा मौका शायद ही अब उन्हें मिले।


मैदान ने क्यों कोई झंडे नहीं गाड़े समझ नहीं आया जबकि यह बेहतरीन फिल्म है

  कल  मैने प्राइम विडियो पर प्रसारित निर्देशक अमित रविंद्रनाथ शर्मा और अभिनेता अजय देवगन की फिल्म "मैदान" देखी। अजय देवगन की यह फि...