अभिनेता मनोज पाहवा ने यूँ तो सभी प्रकार की भूमिकायें अभिनीत की हैं लेकिन दर्शक उन्हें सबसे ज्यादा हास्य भूमिकाओं में पसंद करते हैं। आज भी दर्शक लोकप्रिय हास्य धारावाहिक "ऑफिस ऑफिस " के भाटिया जी के नाम से उन्हें पहचानते हैं। थियेटर , टी वी और फिल्मों में सभी जगह काम कर चुके मनोज का जन्म ८ दिसंबर १९६३ को दिल्ली में हुआ। पंजाबी परिवार में जन्में मनोज की पढ़ाई नेशनल पब्लिक स्कूल ,दरयागंज दिल्ली में हुई। इनके पिता पाकिस्तान से थे जबकि इनकी माताजी का सम्बन्ध उत्तर प्रदेश से था । जहाँ मनोज को कॉलेज के समय से ही अभिनय की ओर रुझान था वहीं इनके पिता को उनका अभिनय करना बिलकुल भी पसंद नहीं था। जब एक बार मनोज ने उनसे अभिनय को अपना पेशा का बनाने की बात की तो उन्होंने मनोज से कहा कि ,"क्या घर का धंधा छोड़कर भांड गिरी करोगे । "
Thursday, April 8, 2021
"ऑफिस ऑफिस " के भाटिया जी यानि मनोज पाहवा
७० से भी अधिक फिल्मों में अभिनय कर चुके मनोज दिल्ली में अपने शुरुआती दौर में रामलीला किया करते थे। बस यहीं से उनका अभिनय की ओर रुझान शुरू हुआ। यही रुझान उन्हें थियेटर की ओर ले गया। थियेटर में काम करने के दौरान ही उन्हें मौका मिला सबसे पहले और लोकप्रिय धारावाहिक हम लोग ( १९८४ -८५ ) में काम करने का। थियेटर में काम करने के दौरान ही उनकी मुलाक़ात "हम लोग " धारावाहिक की बड़की यानि सीमा भार्गव से हुई। पहले दोनों में दोस्ती हुई फिर प्रेम और फिर सन १९८८ में दोनों ने विवाह कर लिया। आज मनोज की पत्नी सीमा और बेटा मयंक और बेटी मनुकृति मिलकर "कोंपल " नामक थियेटर ग्रुप चला रहे हैं।
२५० - ३०० के करीब एड फिल्मों में भी काम कर चुके मनोज पाहवा ने दिल्ली में तो अनेक नाटकों में काम किया और फिर अपने सपनों की उड़ान लिए अपने अभिनय के जूनून को पूरा करने के लिये माया नगरी मुंबई की तरफ उन्होंने अपने कदम बढ़ाये। मुंबई आते ही उन्हें सबसे पहले १९९५ में "शांति" धारावाहिक में काम मिला। इसके बाद मनोज ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। उन्होंने एक के बाद एक १९९६ में जस्ट मोहब्बत १९९७ में सब गोलमाल है और सी हॉक्स १९९८ में गुदगुदी २००१ में ऑफिस ऑफिस २००२ में इक्का बेगम बादशाह ,बोल बेबी बोल २००५ में एल ओ सी २००९ में ओह डॉलिंग ये है इंडिया २०१५ में दफा ४२० आदि धारावाहिकों में काम किया। पिछले दिनों विक्रम सेठ के उपन्यास पर आधारित वेब सीरीज "ए सूटेबल बॉय " में एक राजा का किरदार भी मनोज ने अभिनीत किया है जो कि दर्शकों को बेहद पसंद आ रहा है।
टी वी के साथ ही उनका फ़िल्मी सफर भी शुरू हुआ। १९९६ में उनकी पहली फिल्म आयी "तेरे मेरे सपने। " इसके बाद तो उन्होंने अनेको फिल्मों में काम किया। उनकी कुछ मुख्य फ़िल्में हैं -- इस रात की सुबह नहीं , आर या पार, सत्या , ताल , जोश ,हे राम , तुम बिन , आपको पहले भी कहीं देखा है ,कुछ तो है , नाच , मुसाफिर ,साढ़े सात फेरे , बींग सायरस , तथास्तु , डरना जरूरी है , सलामे इश्क ,वन टू थ्री , टशन ,सिंह इज किंग , आलू चाट ,वांटेड , संकट सिटी ,डू नॉट डिस्टर्ब , लंदन ड्रीम्स ,हॉउस फुल ,चला मुसद्दी : ऑफिस ऑफिस ,मौसम , रेडी , खाप, दबंग - २ , जॉली एल एल बी ,वॉर छोड़ ना यार , साहेब सिंह ग्रेट ,डेढ़ इश्किया ,जुड़वाँ - २ , शादी में आना जरूर , मुल्क, मैं तेरा हीरो , दिल धड़कने दो ,टोटल धमाल , स्टूडेंट ऑफ़ द ईयर - २ , आर्टिकल -१५, हॉउस फुल - ४ , स्ट्रीट डांसर थ्री डी ,सूरज पर मंगल भारी , राम प्रसाद की तेरहवीं आदि । हिंदी फिल्मों के साथ ही उन्होंने २ पंजाबी और १ तमिल फिल्म में भी काम किया है।
जहां तक हम मनोज के हास्य अभिनय की बात करें तो उन्होंने टी वी और फिल्मों दोनों ही जगह दर्शकों को बहुत हँसाया है। अगर हम उनके हास्य धारावहिक "ऑफिस ऑफिस " की बात करें तो आज भी जैसे ही दर्शक उन्हें परदे पर देखते हैं, हँसने लग जाते हैं क्योंकि उनके बोलने का अंदाज़ ही कुछ ऐसा है। संवाद बोलने के साथ - साथ जिस तरह से उनके समोसे - कचौड़ी खाने का शौक दिखाया है वो भी दर्शकों को बहुत पसंद आता है। इसी तरह गुदगुदी और एल ओ सी दोनों में ही उन्होंने दर्शकों को हँसने पर मजबूर किया। फिल्मों में भी उन्होंने अपने हास्य अभिनय से दर्शकों के चेहरे पर मुस्कुराहट लायी है। फिल्म "वांटेड" में उन्होंने सोनू के किरदार में दर्शकों को बहुत हँसाया। आज भी जब इस फिल्म को देखते हैं तो सोनू के किरदार को देखकर बहुत हँसी आती है। फिल्म "साढ़े सात फेरे " में पुलिस वाले की भूमिका में भी मनोज ने दर्शकों को बहुत हँसाया है। इसी तरह उन्होंने धमाल , टोटल धमाल ,वन टू थ्री ,चालीस चौरासी ,वॉर छोड़ न यार ,ओ तेरी , हॉउस फुल , हॉउस फुल - ४ आदि फिल्मों में दर्शकों का मनोरंजन किया है।
अपने हास्य किरदारों के बारें में उनका कहना है , "जब मैं दिल्ली से मुंबई आया था तो मैं मुझे यह मालूम था कि मुझे फिल्मों में हीरो की भूमिका नहीं मिलेगी तो मुझे मेरे भारी को शरीर देखकर जो भूमिकायें मिली मैंने वो अभिनीत की और दर्शकों को हँसाया। मैं इससे संतुष्ट हूँ लेकिन अब पिछली फिल्मों में मैंने हास्य के अलावा कुछ गंभीर और कुछ खलनायक की भूमिकायें भी की हैं दर्शकों को मेरी वो भूमिकायें भी पसंद आ रही है मैं उनसे भी खुश हूँ। "
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